चंडीगढ़, 30 अगस्त: हवा प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए तंदुरुस्त पंजाब मिशन के अंतर्गत यत्न आरंभ किए गए हैं, जिसके अंतर्गत पंजाब के 2200 सक्रिय ईंट भट्टों में से ज़्यादातर ईंट भट्टों में हाई ड्रॉट जिग़ ज़ैग टैक्रोलॉजी के प्रामाणित डिज़ाइन का प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें पारंपरिक ईंट बनाने की तुलना में कम कोयले का प्रयोग होता है। यह जानकारी तंदुरुस्त पंजाब मिशन के डायरैक्टर स. काहन सिंह पन्नू ने दी। उन्होंने कहा कि कम्बशचन प्रणालियों में तकनीकी विकास ने अब कोयला आधारित ईंट भट्टों को सीएनजी आधारित ईंट भट्टों में बदलना संभव कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसलिए तंदुरुस्त पंजाब मिशन के अंतर्गत हम ईंटों के भट्टों को कोयले से सी.एन.जी. में बदलने की संभावनाओं की आलोचना कर रहे हैं। स. पन्नू ने बताया कि पंजाब राज्य में ईंटों के भट्टे लगभग 1100 करोड़ ईंटें बनाने के लिए 16 लाख टन कोयले का प्रयोग करते हैं।
हालाँकि, ईंट भट्टों में संशोधित हुई जिग़ ज़ैग तकनीक को कम कोयले की ज़रूरत होती है, परन्तु अभी भी बहुत सी ईंट भट्टो में कोयले का प्रयोग किया जाता है, जो प्रदूषण का कारण बनता है। इसी संदर्भ में पंजाब स्टेट काऊंसिल ऑफ साइंस एंड टैक्रोलॉजी को विनती की गई है कि वह एक टैक्नॉलॉजी लेकर आएं जिससे ईंट भट्टों में कोयले की जगह कम्प्रैस्ड नैचूरल गैस का प्रयोग किया जा सके। इस प्रक्रिया में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपेक्षित सहायता भी दे सकता है। स. पन्नू ने कहा कि पंजाब में अब सीएनजी आसानी से उपलब्ध हो जाती है और बड़ी संख्या में कोयला आधारित औद्योगिक इकाईयाँ गैस आधारित ईकाइयों में बदल रही हैं। स. पन्नू ने बताया कि ईंटों के भट्टों का सी.एन.जी. में बदलाव करना न सिफऱ् ईंटों के उत्पादन की लागत को घटाने में सहायता करेगा, बल्कि भट्टों में कोयले से होने वाले वायू प्रदूषण को भी काफ़ी हद तक घटाने में सहायता करेगा।