संक्रमित मंत्री तृप्त बाजवा के मास्क पहनने से हुआ संक्रमण बेहद कम,
बाजवा का कहना पुलिस रेजिस्ट्रेशन का चालान बेशक न काटे, मास्क का चालान जरुर कटे, दो मास्क साथ में करे भेंट
मनन सैनी
गुरदासपुर, 24 जुलाई। कोविड़-19 महामारी के खिलाफ अभी तक सबसे कारगार हथियार मास्क साबित हुआ है। जिसके प्रमाण जिला गुरदासपुर में कई केसों पर अध्ययन करने पर सामने आए है। फेस मास्क पहन कर ना सिर्फ खुद बचा जा सकता है बल्कि संक्रमण को फैलने से भी रोका जा सकता है। जिले में अभी तक कोविड़-19 संक्रमित पाए गए मरीजों में ज्यादातर केस उन मरीजों के थे जिनमें कोविड़-19 के कोई लक्ष्ण नही पाए गए। ऐसे मरीज एक साईलैंट स्पैडर के तौर पर समाज में कहीं भी आते है जिससे कम्यूनिटी स्पैड़ हुआ है। परन्तु अगर सभी लोग मास्क पहन ले तो कोरोना का संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है।
जिला के पहले केस में दो बार लिए गए सैंपल, नही हुआ कोई एक भी व्यक्ति संक्रमित
जिले में में सबसे पहला केस गांव भैणी पसवाल का आया जिसमें एक 60 साल के बुजुर्ग मरीज की मौत हो गई थी। उक्त मरीज जांलधर के एक अस्पताल से भाई का इलाज करवा कर वापिस लौटा था। वापिस आने के उपरांत उसे जांलधर अस्पताल वालों ने उसे मास्क लगा कर रखने पर जोर दिया था। उक्त पुष्टी उसके मरीज के बेटे की ओर से की गई। घर वापिस आने के उपरांत उक्त मरीज ने मास्क नही उतारा और शहर के कई अस्पतालों में भी जाकर इलाज करवाया। जिन्हे बाद में सैनेटाईज कर सील भी किया गया। मरीज की मौत अमृतसर में होने के उपरांत प्रशासन की ओर से उसके संपर्क में आने वाले करीब 77 लोगों के सैंपल लिए गए जिसमें कई डाक्टर भी शामिल थे। परन्तु वह सभी नैगेटिव पाए गए। सभी नैगेटिव आने के उपरांत दोबारा कुछ सैंपल लिए गए जो दोबारा नैगेटिव पाए गए । जिसका कारण सिर्फ मरीज की ओर से मास्क न उतारना पाया गया।
संक्रमित मंत्री तृप्त बाजवा का कहना मास्क बेहद कारगर, पुलिस रजिस्ट्रेशन न होने पर बेशक जाने दें, परन्तु मास्क का जरुर कटे चालान
दूसरा महत्वपूर्ण केस पंजाब के मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा का सामने आया। बाजवा के बेटे जरुर संक्रमित आए जो उनके प्रथम काॅटेक्ट थे। परन्तु तृप्त बाजवा के संक्रमित आने से सबसे बड़ा खतरा उनके संपर्क में आए लोगों को था जिनमें मंत्री भी शामिल थे। क्योंकि बाजवा ने जिले में एक उद्घाटन समारोह में शिरकत की थी। उनके सैकेडरी काॅटेंक्ट में कुल 110 लोगो के सैंपल लिए गए जिसमें मात्र एक पीसीएस अधिकारी संक्रमित पाया गया। बाजवा की ओर से मास्क न पहनने पर वह एक बड़े सप्रैडर बन सकते थे परन्तु बचाव सिर्फ मास्क पहनने से ही हुआ।
बाजवा ने फोन पर बात करते हुए कहा कि मास्क का क्या महत्व है आज वह महसूस करते है। उन्हे आज इल्म हो रहा है कि गर उस दिन वह मास्क न लगाते तो कितने लोग संक्रमित हो सकते थे। परन्तु उन्होने नियमों का पालन करते हुए मास्क पहना और संक्रमण फैलने को रोकने में मददगार साबित हुए।
तृप्त बाजवा के अनुसार मास्क की इस समय बेहद जरुरी है तथा यही एक मात्र हथियार हमारे पास है। उन्होने पंजाब पुलिस को संबोधित करते हुए कहा कि वह बेशक रजिस्ट्रेशन का चालान न काटे परन्तु मास्क न पहनने वालों का चालान जरुर काटे और साथ में जुर्माना देने वालों को दो मास्क भी भेंट करें।
मास्क तथा नियमों का सही ढ़ंग से पालन न करना पढ़ा मंहगा
वहीं दूसरी तरफ बटाला के एक डाक्टर का केस है। जिन्होने मास्क तथा स्वस्थ्य विभाग के मापदंडो को पूरी तरह अपनाने में चूक कर गए और पाॅजिटिव पाए गए और सबसे ज्यादा उनके कॉटेक्ट संक्रमित पाए गए। उक्त के संपर्क में आने वाले कुल 136 लोगो के सैंपल लिए गए जिसमें से 12 मरीज संक्रमित हो गए। जिनमें उनके स्टाफ के कर्मचारी इत्यादि थे। ऐसा ही एक अन्य मरीज डेरा बाबा नानक का बैंकर था। उनके संपर्क में आने वाले 110 सैंपल लिए गए जिनमें 7 संक्रिमत पाए गए।
क्या कहती है जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॅा प्रभजोत कलसी
इस संबंधी जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॅा प्रभजोत कलसी का कहना है कि कोरोना वायरस के खिलाफ एक मात्र हथियार मास्क तथा सोशल डिस्टैंसिंग है। उन्होने बताया कि अगर किसी किसी तरह कोई व्यक्ति संक्रमित मरीज के संपर्क में आ जाता है और दोनो ने मास्क नही डाला तो 90 प्रतिशत संक्रमित होने के चांस होते है। अगर सेहतमंद ने मास्क पहना है और संक्रमित ने नही पहना है और छह फुट की दूरी नही है तो संक्रमित होने के 30 प्रतिशत चांस होते है। वहीं अगर संक्रमित व्यक्ति ने मास्क पहना है और स्वस्थ्य ने नही पहना तो संक्रमित होने के चांस छह फुट की दूर पर पांच प्रतिशत होता है। जबकि अगर दोनो मास्क पहना है और दूरी नही अपनाई तो 1.5 प्रतिशत चांस होता है जबकि मास्क पहनने और सोशल डिस्टैंसिंग अपनाने पर कोई खतरा नही रहता।
इसलिए बेशक घर पर बने हुए मास्क का ही उपयोग किया जाए परन्तु मास्क और सोशल डिस्टैंसिंग को अपना कर कोविड़-19 के खिलाफ जंग जीती जा सकती है।
वहीं उनका कहना था कि यह देखने में आ रहा है कि लोग बिना डाक्टर की सलाह बुखार होने पर एलर्जी तथा बुखार की दवाएं खुद ले रहे है, जो गलत है। उन्होने कहा कि लोगो को चाहिए वह अस्पातल से डाक्टर के पारमर्श से ही दवा लें और अगर जरुरत पड़ती है तो टैस्ट करवाए।