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अहमदिया खुद को मानते है मु​स्लिम परन्तु पाकिस्तानी में नही मिलता मुस्लिम का दर्जा

अहमदिया खुद को मानते है मु​स्लिम परन्तु पाकिस्तानी में नही मिलता मुस्लिम का दर्जा
  • PublishedDecember 13, 2019

अहमदिया समुदाय का भारत के साथ है मजबूत ​रिश्ता, जमात का मुख्यालय है कादियां

प्रताप बाजवा ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र , नागरिकता संशोधन बिल में करें विस्तार


मनन सैनी
गुरदासपुर। नागरिकता संशोधन बिल में विस्तार करने के लिए गुरदासपुर से काग्रेंस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होने कहा कि इस बिल में विस्तार कर अहम​दिया संप्रदाय को शामिल किया जाए। बाजवा ने लिखे पत्र में अहमदिया संप्रदाय संबंधी प्रधानमंत्री को अवगत करवाते हुए कहा कि अहमदिया संप्रदाय खुद को मुस्लिम मानते है जबकि उन्हे पाकिस्तान में मुस्लिम का दर्जा नही दिया जाता। पाकिस्तान में अहमदिया संप्रदाय पर हुए हमलों संबंधी भी बाजवा ने प्रधानमंत्री को लिखा। बाजवा ने लिखा कि भारत के साथ अहमदिया संप्रदाय का मजबूत रिश्ता है । जिस तरह सिखों के लिए करतारपुर साहिब, ननकाना साहिब है उसी तरह उनके लिए कादियां मुख्यालय है।

प्रधानमंत्री को अपने पत्र में बाजवा ने कहा कि उन्होने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान गृह मंत्री से जो सवाल किया था। जिस संबंधी वह लिख रहे है।  बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान में पाए जाने वाले एक धार्मिक संप्रदाय अहमदिया समुदाय का हमारे देश के साथ बहुत गहरा संबंध है। कादियां पंजाब में है जहाँ इस संप्रदाय के संस्थापक मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद का जन्म हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षाएँ शुरू कीं।
अहमदिया संप्रदाय खुद को मुस्लिम मानते हैं ज​बकि पाकिस्तान में उन्हे मुस्लिम का दर्ज नही दिया जाता  अहमदिया पाकिस्तान के सबसे सताए गए संप्रदायो में से एक है। 1974 में ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के अधीन पाकिस्तान सरकार ने इन लोगों को “गैर-मुस्लिम” घोषित करते हुए एक संवैधानिक संशोधन पारित किया। तब से उन्हें पाकिस्तान में हमलों का सामना करना पड़ा।

अहमदिया संप्रदाय पर हाल ही में हमलों का ज्रिक करते हुए बाजवा ने लिखा कि 2010 में शुक्रवार की नमाज पढ़ते हुए 94 अहमदिया मारे गए जिसमें 120 से अधिक घायल हुए थे। 2014 में, आठ महीने की बच्ची सहित तीन महिलाओं की अहमदिया संप्रदाय से होने के कारण हत्या कर दी गई थी। उनकी दुर्दशा के बारे में और भी चौंकाने वाली बात यह थी कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के पहले एशियाई राष्ट्रपति चौधरी जफरुल्लाह खान अहमदिया थे ।​ जिनके निमंत्रण पर संप्रदाय उनके आध्यात्मिक घर कादियान से पाकिस्तान के रबवाह चले गए। लेकिन 1953 में इस समुदाय के खिलाफ विद्रोह शुरू किया गया। 1953 से, आज तक, पाकिस्तान सरकार द्वारा अहमदियों को उनके विश्वास के लिए सताया गया है।
अहमदिया समुदाय को सताने और हमला करने के चलते नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय को लंदन स्थानांतरित कर दिया। इसके बावजूद, उनका आध्यात्मिक और मूलभूत घर अभी भी कादियान, पंजाब बना हुआ है।
भारत पर विश्वास के चलते तथा उन पर उत्पीड़न के स्तर को देखते हुए वह आग्रह करते है कि  नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे में विस्तार करें। ताकि इन व्यक्तियों को अपने प्राकृतिक और आध्यात्मिक घर में वापस आ सकें।
बाजवा ने लिखा कि जैसे सिखों के लिए करतारपुर और ननकाना साहिब वैसे ही अहमदिया समुदाय के लिए कादियां है। महात्मा गांधी जी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण था कि “किसी भी व्यक्ति की सहायता करें जो उत्पीड़ित, मुस्लिम या गैर-मुस्लिम हो”। उनके जन्म को 150 साल हो चुके हैं। उन मूल्यों का पालन करना महत्वपूर्ण है जो उन्होंने यह सुनिश्चित करने में लगाया कि भारत एक ऐसा घर है जो विविधता में एकता को बढ़ावा देता है

Written By
The Punjab Wire