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केंद्र द्वारा कथित कृषि सुधारों के नाम के तहत फेडरल ढांचे पर हमले में अकाली दल बराबर का हिस्सेदार- तृप्त बाजवा

केंद्र द्वारा कथित कृषि सुधारों के नाम के तहत फेडरल ढांचे पर हमले में अकाली दल बराबर का हिस्सेदार- तृप्त बाजवा
  • PublishedJune 6, 2020

पंजाब का मंडीकरण ढांचा तबाह करने वाले ‘‘किसानी पैदावर, व्यापार और वाणिज्य आर्डीनैंस -2020 ’’ को हरसिमरत बादल ने भी दी मंजूरी

राज्य की आर्थिकता और किसानी को भारी चोट पहुंचायेगा यह आर्डीनैंस

चंडीगढ़, 6 जून:पंजाब के ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि सुधारों के नाम के तहत देश के फेडरल ढांचे को चोट पहुंचाने के लिए किये गए हमले के लिए शिरोमणि अकाली दल भी बराबर का जिम्मेदार है क्योंकि ‘किसानी पैदावर, व्यापार और वाणिज्य आर्डीनैंस -2020 ’ को पास करते समय मोदी सरकार में अकाली दल की नुमायंदगी कर रही हरसिमरत कौर बादल ने भी अपनी सहमति दी है। उन्होंने कहा कि यह आर्डीनैंस जहाँ राज्य के अधिकारों पर छापा मारता है वहीं इससे फसलों के न्युनतम समर्थन मूल्य पर यकीनी खऱीद वाली मंडीकरण व्यवस्था के ख़ात्मे का भी आधार बंधेगा।

बाजवा ने शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की तरफ से इस आर्डीनैंस की की गई हिमायत को राज्य ख़ास करके किसानों के हितों के साथ की गई सरासर सफ़ेद गद्दारी करार देते हुये कहा कि अकाली नेताओं को यह भलीभाँति ज्ञान है कि इस कानून से राज्य सरकार और यहाँ के किसानों के आर्थिक हालत पर बहुत भारी चोट पहुंचेगी, परन्तु वह सिफऱ् एक मंत्री पद के लालच में राज्य के किसानों को पीठ दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के अंतर्गत राज्यों को मिले अधिकारों को दबाने वाले केंद्र के इस फ़ैसले की हिमायत करके सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल ने शिरोमणि अकाली दल के इतिहास को भी दाग़दार कर दिया है।

पंचायत मंत्री ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब अकाली दल की मौजूदा लीडरशिप ने राज्यों को स्वामित्व देने के अपने पुराने एजंडे को तिलांजलि देकर मोदी सरकार द्वारा राज्यों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाने वाले फ़ैसलों की हिमायत की है। उन्होंने कहा कि जम्मू -कश्मीर राज्य को तोड़ कर तीन केंद्रीय प्रबंध वाले क्षेत्रों में तबदील करने के फ़ैसले की की गई हिमायत से स्पष्ट है कि बादल -मजीठिया परिवार के सत्ता से नीचे आने के बाद शिरोमणि अकाली दल ने पहले पंथक एजेंडा छोड़ा था और अब अपने निजी हितों की ख़ातिर मुल्क में फेडरल ढांचा लागू करके राज्यों को अधिक अधिकार देने का एजेंडा भी त्याग दिया है।

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार कृषि का विषय राज्यों के अधिकार क्षेत्र में होने के कारण कृषि उत्पादन, मार्किटिंग और प्रोसेसिंग सम्बन्धी कानून बनाना राज्यों का ही अधिकार है, परन्तु मोदी सरकार ने ‘‘किसानी पैदावर, व्यापार और वाणिज्य (उत्थान और सुविधा) आर्डीनैंस -2020 जारी करके भारत के संविधान और इसकी मूल भावना का उल्लंघना किया है।

बाजवा ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के सामने पंजाब, किसानी, राज्यों के हितों और मोदी सरकार में हिस्सेदारी में से एक को चुन लेने की चुनौती थी जिसमें से उसने मोदी सरकार में अपनी वजीरी को कायम रखने को प्राथमिकता देकर यह सिद्ध कर दिया है कि अब यह पंजाब के लोगों ख़ास करके किसानों की नुमायंदगी करने का नैतिक हक गवां चुकी है।

पंचायत मंत्री ने कहा कि पंजाब कांग्रेस और कैप्टन अमरिन्दर सिंह की सरकार मोदी सरकार के इस नये फ़ैसले के विरुद्ध हर संभव लड़ाई लड़ेगी।  
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Written By
The Punjab Wire