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पंजाब के गाँवों ने स्व-एकांतवास अपनाकर कोविड-19 के विरुद्ध जंग लडऩे का रास्ता दिखाया

पंजाब के गाँवों ने स्व-एकांतवास अपनाकर कोविड-19 के विरुद्ध जंग लडऩे का रास्ता दिखाया
  • PublishedApril 5, 2020

राज्य के 13240 गाँवों में से 7842 गाँवों ने स्वैच्छा से किया लॉकडाउन, वीपीओज़ मुहैया करवा रहे हैं जरूरी सुविधाएं

चंडीगढ़, 5 अप्रैल: पंजाब में, गाँवों ने स्व-एकांतवास के जरिये कफ्र्यू की सख्त पाबंदियों के दौरान कोविड-19 संकट से निपटने का रास्ता दिखाया है, जबकि जरूरी वस्तुओं की निर्विघ्न सप्लाई को यकीनी बनाया गया है।

कोविड-19 के विरुद्ध राज्य सरकार की लड़ाई को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। इस घातक महामारी को और फैलने से रोकने के लिए पंजाब के 13240 गाँवों में से 7842 गाँवों ने अपने आप को अलग कर लिया है। हाल ही में पंजाब पुलिस द्वारा नियुक्त किये गए विलेज पुलिस अफसर (वीपीयो) अपनी विलक्षण वन कॉप फॉर वन विलेज योजना के हिस्से के तौर पर नियुक्त किये गए हैं, जो स्वै-एकांतवास की सुविधा में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

गाँव वासियों ने सवैच्छिक तालाबन्दी के इस साहसिक उपाय में पुलिस को पूर्ण सहयोग दिया है, और लोग किसी भी अनाधिकृत या अपरिचित व्यक्ति के गाँव में दाखिले को रोकने के लिए गश्त करने वाली पुलिस पार्टियों की सहायता कर रहे हैं। सिर्फ उन लोगों को गाँव में दाखिल होने दिया जा रहा है जिनके पास वैध पास या जरूरी सेवाएं देने सम्बन्धी इजाजत है। विशेष आईसोलेशन टीमों का गठन किया गया है जिन्होंने कफ्र्यू के शुरूआती पड़ाव में पुलिस फोर्स की मौजूदा स्थिति में सख्त पाबंदियाँ लागू करने और लोगों को इस घातक बीमारी के प्रति जागरूक करने में सहायता की।

दिलचस्प बात यह है कि गाँव में मौजूद गांव के रखवालों की उपस्थिति के कारण इन गाँवों में नशे की तस्करी काफी कम हो गई है। स्व-एकांतवास का यह एक बहुत अच्छा प्रभाव कहा जा सकता है। डीजीपी दिनकर गुप्ता ने कहा कि यह इसलिए है क्योंकि गाँव वासी एक दूसरे को पहचानते हैं और किसी भी शरारती तत्व की पहचान आसानी से हो जाती है।

स्व-एकांतवास करने की कवायद तालाबन्दी के मूलभूत पड़ाव में तब शुरू हुई जब गाँव की पंचायतों को डीएसपी, एसडी और एसएचओज द्वारा कफ्र्यू पाबंदियाँ लागू करने के लिए प्रेरित किया गया था। लोगों को कोविड-19 के फैलने को रोकने के लिए सवैच्छा से गाँवों को सील करने के लाभ बारे अवगत किया गया था। इस प्रेरणा के प्रति भारी समर्थन देते हुए गाँव वासियों ने गाँव में दाखिल होने वाले रास्तों पर पहरा और नाके लगाने शुरू कर दिए। सोशल मीडिया मुहिमों ने भी स्व-एकांतवास को प्रेरित करने में बहुत सहायता की।

डीजीपी ने बताया कि कैप्टन अमरिन्दर के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत अमृतसर से फरवरी में वीपीओज ने गाँव वासियों के लिए जरूरी चीजों की सप्लाई चेन और जरूरी डॉक्टरी सेवाएं प्रदान करवाने का काम संभाल लिया था।

डीजीपी के मुताबिक कैप्टन अमरिन्दर ने इन गाँवों में स्व-एकांतवास को यकीनी बनाने में वीपीओज द्वारा निभाई भूमिका की प्रशंसा की है, जिन्होंने स्व-एकांतवास को प्रभावशाली ढंग से चलाने के लिए समितियों का गठन किया है। समितियों में गाँव के सरपंच, प्रधान और वार्ड पंच शामिल हैं। वीपीओज एक व्हाट्सऐप ग्रुप के द्वारा घरों के साथ बाकायदा संपर्क में रहते हैं जिसमें गाँव / वार्ड समिति मैंबर शामिल होते हैं।

इन समितियों को स्थानीय पुलिस द्वारा गाँवों में जरूरी वस्तुएँ जैसे कि दवा और भोजन और साथ ही पशु आहार की निरंतर सप्लाई को यकीनी बनाने में सहायता दी जाती है। पशूओं के डॉक्टरों को इन स्व-एकांतवास गाँवों में जाने की आज्ञा है। वेरका और अन्यों द्वारा गाँवों में से दूध उठाने की भी सुविधा दी जा रही है जबकि गंभीर बीमार होने और अन्य मैडीकल ऐमरजैंसियों के लिए माँग के अनुसार पीएस और पीपी स्तर पर सहायता मुहैया करवाई जाती है।

डीजीपी ने कहा कि कुछ गाँवों में, शाम / रात केे समय नाके पर गाँव वासियों द्वारा ड्यूटी पर लगाए गए नौजवानों द्वारा दुव्र्यवहार की शिकायत प्राप्त हुई थीं, परन्तु गाँव वासियों और पुलिस अधिकारीयों के बीच बातचीत के द्वारा इन समस्यों का हल कर लिया गया।

डीजीपी के निर्देशों पर जिला स्तर पर वॉर रूम स्थापित किये गए हैं और जमीनी स्थिति का जायजा लेने और जरूरी वस्तुओं की सप्लाई की कमी का पता लगाने के लिए गाँवों के साथ लगातार संपर्क बनाकर रखा जाता है। स्वास्थ्य विभाग और सरकार की सभी हिदायतों और एडवाईजरियों संबंधी गाँव के गुरुद्वारा साहिब और मंदिरों में घोषणा की जाती है।

सभी आदेशों को लागू करने की प्रक्रिया में सहायता के लिए वॉलंटियरों को आई-कार्ड जारी किये जाते हैं। वह सामाजिक दूरी बनाए रखने और एकांतवास किये व्यक्तियों के फॉलो-अप का कार्य करते हैं।

अमृतसर शहर में सभी 25 गाँवों ने स्वैच्छिक लॉकडाउन किया है जबकि अमृतसर ग्रामीण में 840 में से 158 गाँव स्व-एकांतवास में हैं। इसके साथ ही बरनाला में (142 में से 92), बठिंडा में (सभी 302), फरीदकोट में (176 में से 125), फतेहगढ़ साहिब में (437 में से 178), फाजिल्का में (369 में से 82), फिरोजपुर में (699 में से 490), गुरदासपुर में (665 में से 382), होशियारपुर में (1639 में से 40), जालंधर सिटी में (61 में से 17), जालंधर ग्रामीण में (840 में से 840), कपूरथला में (554 में से 538), खन्ना में (374 में से 266), लुधियाना सिटी में (287 में से 156), लुधियाना ग्रामीण में (279 में से 157), मानसा में (सभी 241), मोगा में (सभी 324), पटियाला में (966 में से 666), पठानकोट में (443 में से 347), रोपड़ में (667 में से 618), संगरूर में (599 में से 571), एस.ए.एस. नगर में (सभी 420), एस बी एस नगर में (493 में से 479), श्री मुक्तसर साहिब में (235 में से 225) और तरन तारन में (550 में से 103) गाँव स्व-एकांतवास में हैं।  

Written By
The Punjab Wire