झींगा मछली पालन के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाकर 2.5 से 5 एकड़ की
किसान खारेपन और सेम से प्रभावित ज़मीनों पर झींगा मछली पालन के लिए सरकारी स्कीमों का लाभ उठाएं: तृप्त बाजवा
चंडीगढ़, 31 जनवरी:राज्य के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में हज़ारो एकड़ ज़मीन खारेपन और सेम से प्रभावित है, जोकि अब पंजाब सरकार के ठोस यत्नों स्वरूप किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए पंजाब ग्रामीण विकास एवं पशु पालन, डेयरी विकास एवं मछली पालन मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा ने कहा कि खारेपन के कारण ऐसे क्षेत्रों में किसी भी फ़सल की काश्त करना बहुत मुश्किल है । परन्तु मछली पालन विभाग के प्रयास स्वरूप खारेपन और सेम से प्रभावित यह ज़मीन झींगा मछली पालन के लिए वरदान साबित हुई है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार इन क्षेत्रों में झींगा मछली पालन को उत्साहित करने के लिए वचनबद्ध है और इन यत्नों और विभाग की वित्तीय और तकनीकी सहायता स्वरूप झींगा मछली पालन अधीन क्षेत्रफल वर्ष 2019-20 के दौरान बढक़र 410 एकड़ हो गया है जोकि वर्ष 2018-19 में 252 एकड़ था।मंत्री ने आगे कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान 520 टन झींगा मछली का उत्पादन हुआ जो वर्ष 2019-20 के दौरान बढक़र 750 टन की संख्या पार कर गई।
उन्होंने आगे कहा कि किसान 1 एकड़ क्षेत्रफल में झींगा मछली पालन से 120 दिनों में 3 से 5 लाख रुपए का लाभ कमा सकते हैं।स. बाजवा ने कहा, ‘‘मछली पालन विभाग द्वारा किसानों को झींगा मछली पालन के लिए उनकी अपनी स्वामित्व वाली ज़मीन पर 2.5 एकड़ क्षेत्रफल तक वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही थी और अब राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर झींगा मछली पालन को और प्रफुल्लित करने का फ़ैसला किया है। इसलिए अब किसानों को झींगा मछली पालन के लिए वित्तीय सहायता 2.5 एकड़ से बढ़ाकर 5 एकड़ तक कर दी गई है।’’
उन्होंने आगे कहा कि जिन किसानों के पास अपनी ज़मीन नहीं है, वह कम-से-कम 10 वर्षों के लिए ठेके पर ज़मीन लेकर झींगा मछली की काश्त कर सकते हैं।मंत्री ने किसानों से अपील की कि वह मछली पालन अफसरों की सलाह से तकनीकी तौर-तरीके अपनाकर झींगा मछली की काश्त को अधिक से अधिक अपनाएं ताकि खारेपन के कारण बेकार पड़ी ऐसीं ज़मीनों से बढिय़ा कमाई हो सके। उन्होंने आगे कहा कि मछली पालन विभाग द्वारा झींगा मछली पालन के लिए बनती हर मदद प्रदान की जायेगी।