श्री मुक्तसर साहिब स्थित गुरुद्वारा साहिब के सरोवर को पानी की सप्लाई के लिए बिछेगी नई पाईप लाईन,
मुख्यमंत्री द्वारा वित्त विभाग को तुरंत 85 लाख रुपए जारी करने के आदेश
मंत्रीमंडल ने मीटिंग में दी थी मंजूरी
चंडीगढ़, 16 जनवरी:पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने श्री मुक्तसर साहिब स्थित श्री दरबार साहिब के पवित्र सरोवर में साफ़ पानी की निरंतर सप्लाई को यकीनी बनाने के लिए नयी भूमिगत पाईप लाईन बिछाने के लिए वित्त विभाग को तुरंत 85 लाख रुपए जारी करने के आदेश दिए हैं।एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा बीते दिन मीटिंग के दौरान यह रकम जारी करने को मंजूरी दी गई थी।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा वित्त विभाग को कहा गया है कि फंड तुरंत डिप्टी कमिश्नर श्री मुक्तसर साहिब को दिए जाएँ। इसके अलावा उपरोक्त काम के लिए यदि और फंड की ज़रूरत हो तो पहल के आधार पर फंड जारी करने के लिए भी वित्त विभाग को कहा गया है।जि़क्रयोग्य है कि गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब (श्री मुक्तसर साहिब) के मैनेजर भाई बलदेव सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर सरोवर को पानी की निर्विघ्न सप्लाई के लिए नयी पाईप लाईन बिछाने के लिए फंड जारी करने की माँग की गई थी और नगर कौंसिल श्री मुक्तसर साहिब को हँसली वाली जगह से सरोवर तक गहरी पाईप लाईन बिछाने संबंधी अपेक्षित कार्यवाही करने के लिए भी कहा गया था जिस पर तुरंत कार्यवाही करते हुए पंजाब मंत्रीमंडल द्वारा 85 लाख रुपए की मंज़ूरी दे दी गई।
मैनेजर भाई बलदेव सिंह द्वारा पत्र के द्वारा यह भी जि़क्र किया गया था कि पवित्र सरोवर को मुक्तसर माइनर से लगे आउटलेट के द्वारा पानी आता है और वहीं पानी को साफ़ करने के लिए एक टैंक बना है। इस टैंक के आगे से कोटकपूरा सडक़ के साथ-साथ तकरीबन 10 फुट गहरी हँसली बनी हुई है जिसको 80 साल हो चुके हैं और बहुत पुरानी होने के कारण वह कई स्थानों से लीक है। इससे विभिन्न स्थानों से पानी रिसने के कारण सडक़ बैठ जाती है और यदि पाईप की मरम्मत करनी होती है तो सीवरेज सिस्टम, बिजली के खंबे, टैलिफ़ोन की तारों आदि की व्यवस्था प्रभावित होती है जिसकी मरम्मत करनी बहुत मुश्किल हो जाती है।
भाई बलदेव सिंह द्वारा यह पत्र माघ के पहले दिन के मौके पर श्री मुक्तसर साहिब स्थित श्री दरबार साहिब में नतमस्तक होने के लिए पहुँचे ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री श्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा को सौंपा गया था।