गुरुवार को गांव सिद्धपुर में पार्थिव देह पहुंचने पर सैन्य सम्मान से होगा अंतिम संस्कार
मनन सैनी
गुरदासपुर। भारतीय सेना की 45 राष्ट्रीय राइफल्स के 26 वर्षीय सिपाही रणजीत सिंह सलारिया जो जम्मू कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के माच्छिल सेक्टर में तैनात थे। गत दिवस अपने साथियों सहित हजारों फीट ऊंची चोटी पर न्यूनतम 30 डिग्री तापमान में पूरी चौकसी के साथ एलओसी पर ड्यूटी निभा रहे थे की अचानक गिरे हिमखंड की चपेट में आने से अपने चार साथियों सहित देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए शहादत का जाम पी गए। उनकी शहादत की खबर जैसे ही दीनानगर में पड़ते उनके गांव सिद्धपुर पहुंची तो पूरे गांव में मातम पसर गया। शहीद रणजीत सलारिया के पिता ठाकुर हरबंस सिंह सलारिया ने दहाड़े मारते हुए बताया कि कल उन्हें बेटे की यूनिट से फोन आया कि उनका बेटा देश की सुरक्षा करते हुए शहीद हो गया है। यह खबर सुनते ही वह सन्न हो गए। क्योंकि 12 जनवरी को ही उनके बेटे का फोन आया था और उसने अपनी कुशलता के बारे बताते हुए कहा कि वह अप्रैल महीने घर पर छुट्टी आएगा। लेकिन उसकी शहादत की खबर से परिवार पर जो वज्रपात हुआ है शायद ही हमारा परिवार इससे उभर पाए। क्योंकि पूरे घर की जिम्मेवारी उसी के कंधों पर थी।
नन्हीं परी के सिर से उठ गया पिता का साया–
शहीद रणजीत सलारिया की शादी पिछले वर्ष 26 जनवरी को जिला पठानकोट के गांव रानीपुर बासा में हुई थी और अक्तूबर महीने उसके घर बेटी ने सानवी ने जन्म लिया। जिसका उन्होंने प्यार से निकनेम परी रखा। उसके जन्म पर वह दो महीने की छुट्टी लेकर घर आया था। बेटी के जनम पर उसने खूब जश्न मनाया था। 9 नवंबर को वह छुट्टी काट कर ड्यूटी के लिए वापस लौटे। तीन महीने की नन्हीं परी घर के हर सदस्य को विलाप करते हुए एकटक निहारते हुए मुस्करा रही थी। उस मासूम को यह अहसास भी नहीं था कि उसके सिर से पापा का साया उठ चुका था।
पत्थर की मूरत बनी शहीद की पत्नी दीया–
शहीद की पत्नी दीया जिसके हाथों के चूड़े का रंग अभी फीका भी नहीं हुआ कि पति की शहादत को सुन वह पत्थर की मूरत बन गई। शादी के पहले ही साल में वह सुहागित से विधवा बना गई। शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने जब उसे दिलासा दिया तो वह कहने लगी कि मेरा रणजीत आ रहा है मिल कर जाना। उसने तो कहा था कि अप्रैल में आऊंगा। पता नहीं इतनी जल्दी क्यों आ रहा है। अभी नवबंर में ही तो छुट्टी काट कर गया है। शायद परी को मिलने का दिल कर रहा होगा।
अभी शादी के अरमान भी पूरे नहीं हुए थे कि दीया के सिर का सुहाग वतन पर कुर्बान हो गया। शहीद की मां रीना रानी व बड़ी बहन जीवन ज्योति ने नम आंखों से बताया कि रणजीत चार वर्ष पहले सेना की 221 आरटी फील्ड रेजिमेंट में भर्ती हुआ था। पिछले वर्ष देहरादून से शादी की छुट्टी लेकर घर आया था। साथ ही उसकी पोस्टिंग भी जम्मू कश्मीर के आतंक प्रभावित क्षेत्र कुपवाड़ा में हो गई। शादी के बाद वह सीधा वहीं पर ड्यूटी देने रवाना हुआ।
अधूरा रह गया नया मकान बनाने का सपना–
शादी के समय रणजीत ने नया मकान बनवाने के लिए नीवं भरवाई थी। वह कहता था कि शादी के बाद इसका निर्माण करवाने की बात कही। लेकिन नया घर बनने से पहले ही वह राष्ट्र की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे गया। उसका नया घर बनाने का सपना अधूरा रहा गया।
कठिन परिस्थियों में ड्यूटी निभाते हैं हमारे जांबाज-कुंवर विक्की
शहीद सिपाही रणजीत सलारिया के परिवार को ढांढस देने विशेष तौर पर पहुंचे शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने बताया कि हमारे सीमा प्रहरी जांबाज कठिन परिस्थियों में ड्यूटी निभाते हुए देश की सुरक्षा करते हैं। पाक द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के साथ साथ उन्हें खराब मौसम के बर्फीले आतंक से भी जूझते हुए अपने प्राण न्यौछावर करने पड़ते हैं। पिछले दो महीने में ही हमारे 15 जवान इस बर्फीले तूफान का शिकार होकर शहादत का जाम पी चुके हैं। उन्होंने बताया कि शहीद रणजीत की पार्थिव देह बुधवार गांव पहुंचनी थी। मगर कश्मीर में खराब मौसम के कारण नहीं लाया जा सका। अब वीरवार को इसके जहाज से अमृतसर अथवा जम्मू लाया जाएगा। वहां से सैन्य वाहन से घर पहुंचाया जाएगा और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।