16 दिसंबर 2019 को वित्त मंत्री की लिखित मंजूरी के बावजूद नियमितीकरण नहीं होने से नाराज मुलाजिम
गुरदासपुर, 23 अक्तूबर (मनन सैनी)। एक तरफ पंजाब सरकार देश में प्रथम आने के लिए शिक्षा विभाग की सराहना करते नहीं थक रही है और दूसरी तरफ शिक्षा विभाग को प्रथम लाने के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले कर्मचारियों की मांगों को अनदेखा किया जा रहा है।सर्व शिक्षा अभियान के तहत भर्ती 2005 से शुरू हुई और 2011 तक जारी रही। पंजाब सरकार के नियम व शर्तों पर लिखित परीक्षा देकर नौकरी के लिए आए दफ्तरी मुलाजिमों को विभाग व सरकारों ने समय-समय पर भुला दिया है। उक्त विचार व्यक्त करते हुए सर्व शिक्षा अभियान/मिड डे मील ऑफिशियल एम्प्लाइज यूनियन पंजाब के नेता वनीत कुमार, मलकिंदर सिंह, अनु अरोड़ा और लखविंदर कौर ने जारी प्रेस बयान में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात यह है कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत कार्यरत 8886 शिक्षकों को पंजाब की कांग्रेस सरकार ने 1 अप्रैल 2018 को नियमित कर दिया था, लेकिन इस बार भी पूर्व शिक्षकों को भुला दिया गया। मुलाजिमों के विरोध के बाद शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की तर्ज पर मुलाजिमों के नियमितीकरण का मामला वित्त विभाग को अग्रेषित किया जिसे वित्त विभाग ने 16 दिसंबर 2019 को स्वीकार कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए विभाग को लिखा था। अक्सर सभी के मुंह से सुनने में आता है कि वित्त मंत्री कर्मचारियों की मांगें नहीं मानते सरकार सिर्फ सोचने का बहाना बना रही है। वित्त विभाग द्वारा शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिसंबर 2019 में दी गई मंजूरी के बावजूद विभाग और शिक्षा मंत्री को कैबिनेट से पारित कर्मचारियों के नियमितीकरण का मुद्दा नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि वित्त विभाग की मंजूरी के बावजूद शिक्षा विभाग और पंजाब की कांग्रेस सरकार ने नियमित नहीं किया। शिक्षा एवं शिक्षा विभाग द्वारा उठाए गए नए विभागीय मुद्दों के विरोध में जिसमें कर्मचारियों के वेतन में रुपये की चार हजार रुपये कटौती की गई है। दूर दराज अस्थाई ट्रांसफर किए जाने के रोष स्वरुप 25 अक्टूबर को समूहिक छुट्टी लेकर शिक्षा भवन मोहाली का घेराव करेंगे। इस संबंधी जिला शिक्षा अधिकारी/ब्लाक शिक्षा अधिकारी को अल्टीमेटम दे दिया गया है।