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संंरक्षित होगी ऐतिहासिक धरोहर- नहीं टूटेगी पुराने डीसी दफतर की बिल्डिंग, पुराने रुप में ही किया जाएगा सरंक्षित, गुरदासपुर हैबिटेट सेंटर के रुप में किया जाएगा विकसित

संंरक्षित होगी ऐतिहासिक धरोहर- नहीं टूटेगी पुराने डीसी दफतर की बिल्डिंग, पुराने रुप में ही किया जाएगा सरंक्षित, गुरदासपुर हैबिटेट सेंटर के रुप में किया जाएगा विकसित
  • PublishedSeptember 21, 2021

इमारत के संरक्षण, बहाली और नवीनीकरण के कार्य ​संबंधी ​जिला प्रशासन ने मांगे प्रस्ताव

अहमदाबाद, अमृतसर आदि के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट एवं संरक्षणवादी दिखा रहे रुचि

गुरदासपुर, 21 सितंबर (मनन सैनी)। आजादी से पूर्व अंग्रेजी शासन काल के दौरान अंंग्रेजी कला का नमुना पेश करती वह इमारत,जिसकी दीवारों ने अपने ​ऑंख, कान न होने के बावजूद भारत-पाकिस्तान बंटवारे तथा उसके बाद का हर खौफनाक मंजर देखा और सुना । अंग्रेजी हकूमत के घोड़ो की टापों की आवाज से लेकर बंटवारे के बाद मासूम शरणार्थियों, प्लायन कर्ताओं की सिस्कियों, वतन परस्ती के नारे की दास्तां और ना जाने कितने बाबुओं का इतिहास खुद में संजोए गुरदासपुर के डीसी दफतर की पुरानी इमारत अब टूटने नहीं जा रहा है। जिला प्रशासन खास कर डिप्टी कमिश्नर गुरदासपुर मोहम्मद इश्फाक की ओर से इस इमारत की महत्वत्ता तथा एतिहासिक धरोहर को समझते हुए संरक्षित करने संबंधी विशेश रुचि दिखाते हुए इसे बचाने की कवायद शुरु की है। पुराने डीसी दफतर के नाम से मशहूर अब इस बिल्डिंग को गुरदासपुर हैबिटेट सैंटर के रुप में विकसित करने की योजना पर काम किया जा रहा है। जिसकी जिम्मेदारी गुरदासपुर के एडीसी राहुल को दी गई है।

गौर रहे कि भारत पाकिस्तान में बंटवारे के बाद सरहद पर स्थित जिला गुरदासपुर उस दर्दनाक मंजर का गवाह रहा है तथा गुरदासपुर में पाकिस्तान के गुजरावाला, शकरगढ़, कैलाशपुर, सहारनपुर, आदि से आए कई ऐसे हिंदू सिख परिवार थे जिनकी जमीनें पीछे पाकिस्तान में छूट गई थी और उन्हें सरकार की ओर से यहां भारत में बसाया गया और जितनी जायदाद पाकिस्तान में थी उस हिसाब से उन्हें यहां जमीन एवं मकान दिए गए। जिसके लिए कई लोगों ने गुरदासपुर के इसी दफतर के चक्कर काटें।

1855 में अंग्रजी हकूमत के दौरान बनी इस इमारत में बंटवारे से पहले से लेकर 2017 तक ​​डिप्टी कमिश्नर गुरदासपुर का दफतर चलता था। समय बदलने के साथ साथ ​2017 में गुरदासपुर में नई जिला प्रंबंधकीय कंप्लैक्स बन जाने के बाद इस भवन का उपयोग बड़े पैमाने पर राजस्व रिकॉर्ड रखने के लिए किया जा रहा है। वहीं इस इमारत से जुड़े विशाल ऐतिहासिक और स्थापत्य मूल्य को देखते हुए डीसी इश्फाक की ओर से यह प्रस्तावित किया जा रहा है कि इस इमारत को संरक्षित कर पुराने गौरव को बहाल कर आम जनता के लिए आधुनिक उपयोग में लाया जाए।​ जिसके चलते अब उक्त भवन को गुरदासपुर हैबिटेट सेंटर के रुप में विकसित किया जाए जिसे सीखने और कला के केंद्र के साथ साथ लोगों के सामूहिक मनोरंजन के काम आए।

इस संबंधी रुचि दिखाते हुए जिला हेरिटेज सोसायटी की ओर से अभिव्यक्ति की रुचि संबंधी प्रस्ताव मांगे गए है। जिसमें इस इमारत के सरंक्षण, बहाली और नवीनीकरण के कार्य के लिए अहमदाबाद, अमृतसर आदि के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट और संरक्षणवादी अब इसमें रुचि दिखा रहे है।

इस भवन की मौजूदा सरंचना, उसके डिजाइन, वास्तुकला के सरंक्षण को ध्यान में रखते हुए इसे आधुनिक रुप दिए जाने का प्रस्ताव है। उक्त इमारत से कोई छोड़छाड़ किए बिना इसमें​ लाईब्रेरी, सम्मेलन हाल, डिस्ट्रिक्ट हेरिटेज सोसाइटी का दफतर, डिजिटल लॉ लाइब्रेरी, ओपन आर्ट गैलरी, संग्रहालय और प्रदर्शनी स्थान, फ़ूड कोर्ट के लिए स्थान, पार्किंग की जगह पर गौर किया जाएगा। जिला प्रशासन की ओर से प्रस्ताव मांगे गए है कि इस इमारत से छेड़छाड न कर इसमें अन्य क्या सुविधा प्रदान की जा सकती है,​ जिसके लिए आवेदन मांगे गए है।

इस संबंधी ​अतिरिक्त जिला टाऊन प्लैनर गुरप्रीत सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से अभिव्यक्ति की रुची मांगी हई है तथा ​अमृतसर, ​अहमदाबाद और लोकल ऑर्किटेक्ट और संरक्षणवादी इसमें रुचि दिखा रहे है। उनकी ओर से बकाया सरी जगह की ​वीडियों बना कर उक्त टीमों को दी गई है तथा इस संबंधी 21 सिंतबर को प्रस्ताव मिलेंगे। जिसके बाद प्रशासन की ओर से उस पर विचार किया जाएगा।

वहीं गुरदासपुर के एडीसी राहुल जिन्हे इस काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है ने बताया कि मंगलवार को इस अभिव्यक्ति की रुचि संबंधी अंतिम ता​रिख निर्धरि​त कई गई थी। परन्तु आज व्यस्तता के चलते वह मेल चेंक नही कर पाए। इस संबंधी जितने भी आवेदन आए होगें उन पर गहनता से विचार कर, उनकी राय लेकर, प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करवा कर इस ऐतिहासिक इमारत को बचा कर इसे गुरदासपुर हेबिटेट सैंटर के रुप में विकसित किया जाएगा।

Written By
The Punjab Wire