हाई लेवल पुल बनाने की दी मंजूरी, केंद्रीय मंत्री ने सांसद को लिखा पत्र
कई बार चुनावों का बायकाट कर चुके थे सीमावर्तीय गांव के लोग,
मंत्री अरुणा चौधरी एवं सांसद सनी देओल उठाते रहे नितिन गड़करी के समक्ष यह मांग
गुरदासपुर, 20 अगस्त (मनन सैनी)। आजादी के 75 सालों बाद आखिरकार भारत पाकिस्तान सीमा से सटे रावी दरिया के पार पड़ते सात टापू नुमा गांव वालों की ओर से उठाई जाने वाली पुल की मांग मंजूर कर ही ली गई है। इस संबंधी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी की ओर से गुरदासपुर के सांसद सनी देओल को पत्र लिख सूचित किया गया है। जिसमें उक्त हाई लेवल पुल सेंट्रल रोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत मंजूर किया गया है। जिसकी जानकारी सांसद के निजी सहायक की पंकज जोशी की ओर से दी गई।
जोशी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से 100 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जाने वाला यह पुल 880 मीटर लंबा होगा तथा इसके लिए 6 किलोमीटर एप्रोच सड़क बनाई जाएगा। जिसका काम पंजाब सरकार के लोक निर्माण विभाग की ओर से किया जाएगा। इसी के साथ साथ की कीड़ी पत्तन पर भी हाई लेवल पुल तैयार करने की मंजूरी दी गई है।
गौर रहे कि भारत पाकिस्तान सीमा से सटे रावी दरिया के पार पड़ते टापू नुमा हिस्से को भारत के साथ जोड़ने के लिए एक अस्थाई पेट्रून पुल बनाया जाता था, जो हर साल मानसून के दिनों में उठा लिया जाता है। जिसके चलते उक्त हिस्से को जोड़ने के लिए मात्र कश्ती का ही सहारा होता । इस संबंधी पार बसने वाले लोगों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता। अपनी मांग को लेकर कई बार उक्त गांव के लोगों ने चुनावों का बहिष्कार भी किया तथा अपनी मांग उठाई। इस संबंधी पूर्व विधायकों से लेकर मंत्री तथा पूर्व सांसद भी अपना योगदान देते रहे तथा केंद्र को अगवत करवाते रहे।
इस बाबत दिसंबर 2018 को हलका दीनानगर की विधायक एवं मंत्री अरुणा चौधरी की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को पत्र भी लिखा तथा गत पिछले साल खुद पंजाब के सिंचाई मंत्री को लेकर इस इलाके की समस्याओं से अवगत करवाया।वहीं सांसद सनी देओल की ओर से भी इलाके के लोगों की मांग पर गहनता से विचार किया गया तथा इसका दौरा भी किया गया । इस संबंधी उन्होनें भी नितिन गड़करी से मिल कर उनके समक्ष लोगों की यह मांग रखी। सांसद एवंं विधायकों एवं लोगों की मांगों के सार्थक नतीजे के रुप में केंद्र सरकार की ओर से इस पुल को बनाने के लिए मंजूरी दे दी गई है। परन्तु बताते चले कि यह अभी तक पहला ही चरण है।
पीडब्लयूडी विभाग के एक अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने पर बताया कि भारत पाकिस्तान सीमा से सटे होने के कारण इस पुल की मंजूरी नही मिल रही थी तथा कई अन्य गंभीर संवेदनशील मसले थे। परन्तु अब अगर मंजूरी दे दी गई है तो इसकी डिटेल्ड़ प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार होगी, टैक्नीकल मंजूरी के बाद टैंडर लगगें। पुल बन कर तैयार होने में करीब दो साल भी लग सकते है।