नम आंखों से कारगिल योद्धा की शहादत को किया नमन
गुरदासपुर 17 जून (मनन सैनी)। कारगिल युद्ध में शहादत का जाम पीने वाले भारतीय सेना की 13 जैक राइफल के सेना मेडल विजेता लांसनायक रणबीर सिंह का 22वां श्रद्धांजलि समारोह शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिन्द्र सिंह की अध्यक्षता में राहुल गैस एजेंसी पनियाड़ में शहीद की याद में बने स्मारक पर सादे ढंग से सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए आयोजित किया गया। जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इनके अलावा शहीद की पत्नी सविता कुमारी, बेटा राहुल मन्हास, भाई रंजीत सिंह, दामाद मनु पठानिया, भांजा एएसआई सोहन सिंह, शहीद सिपाही जतिंदर कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद सिपाही मनदीप कुमार के पिता नानक चंद आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल होकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम शहीद की प्रतिमा को दूध से नहलाया गया तथा उनकी आत्मिक शांति हेतू हवन यज्ञ करवाया गया।
उसके उपरांत आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि कुंवर रविंदर विक्की ने कहा कि जब भी देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ तो हमारे जांबाज सैनिकों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए हमेशा दुश्मन को धूल चटाकर राष्ट्र की एकता व अखंडता को बरकरार रखा है। ऐसी ही वीरता व अदम्य साहस का परिचय 22 वर्ष पहले पाकिस्तान द्वारा भारत पर थोपे गए कारगिल युद्ध में अपने साथियों सहित पाक सेना के 25 सनिकों को मारकर तथा खुद सीने पर गोली खाकर लांसनायक रणबीर सिंह ने कारगिल की बर्फीली चोटियों पर तिरंगे फहराते हुए शहादत का जाम पीकर अपना सैन्य धर्म निभाया था। ऐसे रणबांकुरों की शहादत का मोल कभी भी चुकाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि वतन पर शहीद होने का गौरव किस्मत वालों को मिलता हैं तथा जिस सैनिक के हिस्से में यह मुकाम आता है, उसका सेना में भर्ती होने का सपना साकार हो जाता है।
13 जैक राइफल यूनिट को कारगिल युद्ध में मिले थे 40 वीरता पदक-
कुंवर विक्की ने कहा की शहीद लांसनायक रणबीर सिंह की युनिट 13 जैक राइफल का गौरवशाली इतिहास रहा है। कारगिल युद्ध में इस युनिट ने पाक सेना को धूल चटाते हुए 2 परमवीर चक्र, 8 वीर चक्र, 13 सेना मैडल, 16 कमडेशन कार्ड व यूनिट साइटेशन के रूप में 40 वीरता पदक जीत कर बहादुरी का इतिहास रचा था। इस युनिट के शौर्य को वह दिल से सैल्यूट करते हैं।
शहीद का बेटा बोला, शहादत के 22 वर्षो के बाद भी होती है, पापा के स्पर्श की अनुभूति-
शहीद के बेटे राहुल मन्हास ने नम आंखों से कहा कि बेशक उसने अपने शहीद पापा को देखा नहीं, क्योंकि उसका जन्म पापा की शहादत के तीन महीने के बाद हुआ था। मगर जब भी उनका श्रद्धांजलि समारोह आता है तो उन्हें जहां अपने शहीद पापा के स्पर्श की अनुभूति होती है वहीं उनकी शहादत पर गर्व भी महसूस होता है। इस दौरान शहीद परिवार द्वारा कुष्ट रोगियों को राशन भी बांटा गया तथा परिषद की ओर से शहीद परिवार को सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर रितु मन्हास, राज सिंह, सूरत सिंह, लक्की सलारिया, महिंदर पाल, जगजीवन सिंह आदि उपस्थित थे।