राज्य ने बुधवार को म्यूकर मायकोसिस को महामारी एक्ट के अंतर्गत नोटीफायी किया
चंडीगढ़, 20 मईपंजाब सरकार द्वारा म्यूकर मायकोसिस (ब्लैक फंगस) बीमारी को महामारी एक्ट के अंतर्गत नोटीफायी करने के एक दिन बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरूवार को स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि सभी सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में इस बीमारी के इलाज के लिए ज़रूरी दवाओं की उपलब्धता यकीनी बनाई जाये।उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को यह भी कहा कि ब्लैक फंगस जो कि कई राज्यों में फैल गई है, का जल्द पता लगाने और इलाज के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर तैनात किये जाएँ।बीमारी के जानलेवा खतरे को टालने के लिए इसके जल्द पता लगाने पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने डॉ. के.के. तलवार के नेतृत्व वाली कोविड माहिर टीम को कहा कि स्तर 3 स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर यह यकीनी बनाएं कि कोविड मरीज़ों के इलाज के दौरान अनावश्यक स्टीरॉयड का प्रयोग न हो क्योंकि ब्लैक फंगस बीमारी की मुख्य कारण के तौर पर पहचान की गई है, ख़ासकर शूगर के मरीज़ों में।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कोविड समीक्षा मीटिंग के दौरान डॉ. तलवार ने बताया कि कोविड मरीज़ों के इलाज में स्टीरॉयड का अतिरिक्त प्रयोग बीमारी का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को वैकल्पिक प्रयोग करने के लिए कहा गया है और माहिर ग्रुप भी कोशिश कर रहा है कि इलाज का विकल्प और अलग विधि तलाशी जाये।मुख्यमंत्री ने डॉ. तलवार और उनकी टीम को कहा कि वह इस बात का अध्ययन करें कि मरीज़ कोविड के इलाज के बाद भी अस्पतालों में वापस क्यों आ रहे हैं।ज़िक्रयोग्य है कि पहले चरण में राज्य में ब्लैक फंगस का कोई केस सामने नहीं आया हालांकि इस समय के दौरान कई दूसरे राज्यों में केस सामने आए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इसको आधार नहीं बनाया जा सकता और स्थिति किसी समय भी बदल सकती है, जिसके लिए पहले ही इसकी रोकथाम के लिए सख़्त एहतियाती कदम उठाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि राज्य सरकार ने कल ही इस बीमारी को महामारी एक्ट के अंतर्गत नोटीफायी किया है, हालांकि ऐसे कोई दिशा-निर्देश केंद्र द्वारा जारी नहीं किये गए।