कहा सरकार निर्धारित समय में मांगों का हल निकाले
गुरदासपुर, 12 मई। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन पंजाब के तहत काम करने वाले कर्मचारियों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए विभाग द्वारा कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त करने के लिए नोटिस जारी करने, कर्मचारी संघ के सख्त हस्तक्षेप के बाद, सरकार हड़ताली कर्मियों को पुनः काम पर रखने को मान गई है। परन्तु सरकार की ओर से जारी पत्र के अनुसार कर्मचारियों को जिस शर्त पर वापिस लिया गया है उस शर्त ने कर्मचारियों के अंदर जलती आग में घी डालने का काम किया है। गौर रहे कि कर्मचारियों को इस शर्त पर वापिस लिया गया है कि कर्मचारी भविष्य में हड़ताल पर नहीं जाएंगे। इस संबंधी मुलाजिम वर्ग के नेताओं का कहना है कि सरकार का यह फरमान मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इन मानवता-विरोधी आदेशों का पंजाब के मुलाजिम वर्ग के साथ-साथ आम जनता में भी रोष व्याप्त हैं।
प्रैस ब्यान जारी करते हुए एन आर एच एम इंप्लॉईज एसोसिएशन, पंजाब के राज्य अध्यक्ष डॉ. इन्द्रजीत सिंह राणा ने इन आदेशों पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि ये आदेश कर्मचारियों को सरकार के कर्मचारियों के प्रति इरादों को इंगित करके राज्य भर में संघर्ष करने के लिए उकसा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये वही कर्मचारी हैं जो कोरोना महामारी के दौरान राज्य के लोगों के लिए अपने कर्तव्य का एहसास करते हुए हड़ताल से लौटे हैं।
वे इस महामारी में अग्रणी बनने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा कर रहे हैं। अगर उन्हें अपनी जान की परवाह नहीं है तो उनकी सेवाएं समाप्त करने की सरकार की धमकी उनके प्रति सरकार की औसत दर्जे की सोच का एक प्रमाण है। डॉ राणा ने कहा कि चैनलों पर बैठे सरकार के प्रतिनिधि अगर कर्मचारीयों को सरकार-समर्थक या विरोधी होने की नजर से देख रहे हैं, तो उन्हें स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि कर्मचारियों के वैचारिक मतभेद और विरोध प्रदर्शन के अलग-अलग तरीके हैं, जिनका सरकार द्वारा राजनीतिकरण किया जा रहा है। पंजाब में कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित लोगों-उनके परिवार के बारे में महसूस करते हुए कर्मचारियों ने मात्र अपने विरोध के तरीके को बदला है और यह विरोध अभी भी जारी है।
एसोसिएशन ने कर्मचारियों की मांगों को रखते हुए सुधारों के साथ नियमितीकरण नीति को लागू करने के लिए सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। कर्मचारी नेता डॉ. इंद्रजीत सिंह राणा और अमरजीत सिंह ने संयुक्त रूप से सरकार से अपील की कि वह निर्धारित समय के भीतर सरकार और विभाग के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठें और मुलाजिमों के हित में इन मांगों को हल करें। नेताओं ने यह भी कहा कि इस तरह के कर्मचारी विरोधी कार्यों के लिए पत्र भेजकर, सरकार न केवल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बल्कि पंजाब के पूरे मुलाजिम वर्ग को और अधिक गहन संघर्ष की ओर धकेल रही है क्योंकि पिछले चार वर्षों में राज्य सरकार ने अपनी गलत नीतियों द्वारा कर्मचारियों की आवाज को दबाने की ही कोशिश की है।\
नेताओं ने पंजाब के सभी कर्मचारी यूनियनों से प्रेस के माध्यम से एकजुट होने की अपील की है और कहा है कि यदि सरकार ने किसी भी मुलाजिम के खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई की या सरकार निर्धारित समय के भीतर अपने वादों को पूरा करने में विफल रहती है तो पंजाब के स्वास्थ्य विभाग से जुड़े संगठनों के सभी कोरोना-योद्धाओं के साथ-साथ सरकार द्वारा शोषण के शिकार सभी मुलाजिम खिलाफ होकर संघर्षरत हो जाएंगे और इसके लिए राज्य सरकार की एकमात्र जिम्मेदारी होगी।