गुरदासपुर, 10 अप्रैल (मनन सैनी)। नेशनल हेल्थ मिशन इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डा. इंद्रजीत सिंह राणा ने बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन में आउटसोर्स कर्मचारियों सहित नौ हजार कर्मचारी 2008 से बहुत ही कम वेतन पर ठेके पर काम कर रहे है। पिछले साल कोविड-19 की शुरुआत के दौरान सेहत मंत्री पंजाब बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा था कि कोरोना की जंग में कम वेतन में भी जूझने वाले इन कर्मचारियों की सेवाएं रेगुलर करके इन्हें रेगुलराइजेशन का ईनाम दिया जाएगा। मगर अभी तक इनकी सेवाएं न तो रेगुलर हुई है और न ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक बराबर काम बराबर वेतन दिया जा रहा है।
जबकि हरियाणा सरकार 2018 से नेशनल हेल्थ मिशन के कर्मचारियों को पूरे वेतन दे रहे है। यह कर्मचारी छुट्टी वाले दिन भी कार्यालय आते है और वेक्सीनेशन में पूरी तनदेही से काम कर रहे है। सबसे अधिक बुरा हाल इस मिशन में काम करते आऊटसोर्स कर्मचारियों का है। कोविड-19 में बहुत से कर्मचारी कोरोना वायरस का शिकार होकर अपनी जान भी गंवा रहे है। पंजाब सरकार के इस रवैये से तंग आकर नेशन हेल्थ मिशन के कर्मचारियों ने इस महीने हड़ताल पर जाने का फैसला कर लिया है। नेशनल हेल्थ मिशन अधीन काम करते कर्मचारियों द्वारा हड़ताल के दौरान वेक्सीनेशन का मुकम्मल बायकाट किया जाएगा और एमरजेंसी सेवाएं बिल्कुल बंद कर दी जाएंगी। स्टेट यूनियन द्वारा गत दिनों पंजाब सरकार को हड़ताल पर जाने का नोटिस भेज दिया है और 14 अप्रैल को पंजाब के सभी कैडरों के नेताओं, जिला व ब्लाक लीडरों की सहमति से हड़ताल का बिगुल बजा दिया जाएगा।