चंडीगढ़, 31 मार्च। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से इसी महीने किये गए ऐलान के मुताबिक पंजाब में ग़ैर-कानूनी माइनिंग को रोकने के लिए इनफोरसमैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है।
इस ई.डी. का प्रमुख डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डी.आई.जी.) रैंक का अधिकारी होगा और इसकी स्थापना जल स्रोत विभाग के माइनिंग और जीओलोजी विंग में से जायेगी। इससे ग़ैर-कानूनी माइनिंग पर नकेल डालने से ही राज्य की आमदनी में विस्तार भी होगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि ई.डी. की तरफ से पंजाब की अंतरराज्यीय सरहदों और राज्य में छोटे खनिजों के नाजायज आवाजाही पर रोक लगाने में अग्रणी भूमिका अदा की जायेगी और इस कोशिश में माइनिंग विभाग के अधिकारियों की तरफ से भी सहयोग किया जायेगा। इसके निष्कर्ष के तौर पर ग़ैर-कानूनी माइनिंग कर रहे तत्वों के खि़लाफ़ माईनज़ एंड मिनरलज़ (डेवलपमेंट एंड रैगूलेशन) एक्ट, 1957 के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी। जल स्रोत विभाग के माइनिंग विंग के साथ तालमेल करते हुए ई.डी. की तरफ से यह भी यकीनी बनाया जायेगा कि रेत और बजरी का व्यापार कर रहे व्यक्तियों की तरफ से माइनिंग नीति में दिखाई बिक्री कीमत से अधिक की वसूली न की जाये।
ई.डी. के पास डायरैक्टर माइनिंग, मुख्य इंजीनियर माइनिंग और जि़ला स्तरीय ग़ैर-कानूनी माइनिंग इनफोरसमैंट कमेटियों (डिप्टी कमीशनरों के अंतर्गत) के साथ उचित तालमेल बिठा कर उपरोक्त लक्ष्य हासिल करने के सभी अधिकार होंगे। इसकी तरफ से ग़ैर-कानूनी माइनिंग के साथ निपट रहे पड़ोसी राज्यों की एजेंसियों के साथ तालमेल करने के अलावा माइनिंग को रोकने का लक्ष्य हासिल करने के लिए जासूस तंत्र भी विकसित किया जायेगा।
ई.डी. के प्रमुख राज्य स्तर पर डी.आई.जी. रैंक के अधिकारी होंगे और मुख्यालय में इनकी सहायता के लिए एस.पी. स्तर के तीन अधिकारी होंगे। सात माइनिंग ब्लाकों (सरकारी नीति के अनुसार संख्या कम या अधिक हो सकती है) में से हरेक का प्रमुख कम से कम डी.एस.पी. स्तर का अधिकारी होगा जिससे जि़ला स्तर पर 21 इंस्पेक्टर /सब इंस्पेक्टर (3 प्रति जि़ला) और 175 हैड कांस्टेबल /कांस्टेबल तैनात होंगे। इस तैनाती में ई.डी. की ज़रूरतों के अनुसार समय-समय पर तबदीली की जा सकती है। ई.डी. में पुलिस कर्मियों को वेतन, उपकरण और हथियार पुलिस विभाग के द्वारा मुहैया करवाये जाएंगे। यदि ज़रूरत हुई तो कोई भी ख़ास किस्म के उपकरण जि़ला खनिज फाउंडेशन फंड में से मुहैया करवाए जाएंगे।
मौजूदा समय में अलग-अलग जि़ला पुलिस मुखियों (कमिशनर आफ पुलिस और एस.एस.पी.) के द्वारा माइनिंग से सबंधित मामले दर्ज करके इनकी जांच के इलावा ई.डी. की तरफ से एक्सीऐन, एस.डी.ओज़. और माइनिंग अफसरों के साथ माईनज़ एंड मिनरलज़ (डेवलपमेंट एंड रैगूलेशन) एक्ट, 1957 की धाराओं, सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत तालमेल करके मामले दर्ज करने के बाद इनकी जांच-पड़ताल की जायेगी।
इस कोशिश में मोहाली, रोपड़, होशियारपुर, पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, लुधियाना, नवां शहर, जालंधर, फिऱोज़पुर, संगरूर और बठिंडा पर ख़ास ध्यान दिया जायेगा जिससे कानूनी तौर पर जायज माइनिंग गतिविधियां प्रभावशाली ढंग से चलती रहें।
डिप्टी कमीशनरों और जि़ला पुलिस मुखियों की तरफ से ई.डी. के अफसरों को माँगे जाने पर हर संभव सहायता दी जायेगी। डिप्टी कमीशनरों के अंतर्गत जि़ला स्तरीय ग़ैर-कानूनी माइनिंग इनफोरसमैंट कमेटियों की भी स्थापना की जायेगी जिनमें सबंधित जिलों के सिविल मैजिस्ट्रेट, जि़ला पुलिस और माइनिंग विभाग से प्रतिनिधि लिए जाएंगे जिससे ग़ैर-कानूनी माइनिंग के खि़लाफ़ पूरी एकजुट्टता कार्यवाही की जा सके।
ई.डी. की तरफ से इन कमेटियों के साथ पूरा संबंध रखा जायेगा और प्रमुख सचिव जल स्रोत विभाग और डायरैक्टर माइनिंग की निगरानी के अंतर्गत काम किया जायेगा और जल स्रोत मंत्री, डी.जी.पी., प्रमुख सचिव (जल स्रोत और डायरैक्टर माइनिंग) को हर 15 दिनों बाद में प्रगति रिपोर्ट पेश की जायेगी।
ध्यान देने योग्य है कि बीते समय के दौरान माइनिंग और जीओलोजी विभाग को जल स्रोत विभाग में शामिल कर लिया गया था। निष्कर्ष के तौर पर विभाग ने रेत और बजरी की ग़ैर-कानूनी माइनिंग पर नकेल डालने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं।
माइनिंग सम्बन्धी अपनी नयी नीति के अंतर्गत जल स्रोत विभाग ने राजस्व में 7 से 8 गुणा विस्तार दर्ज करने में सफलता हासिल की है। इसके पीछे कारण बड़ी संख्या में पुलिस की तरफ से कार्यवाही, माइनिंग उपकरण ज़ब्त करना और भारी जुर्माने लगाने जैसे कदम उठाए जाना है।