मंगलवार को दूसरे दिन भी बैंक बंद कर हड़ताल पर कर्मचारी
गुरदासपुर, 16 मार्च (मनन सैनी)। बैंकों के निजीकरण के खिलाफ यूनाइटेड फोरम आफ बैंकर आफिसर यूनियन के आह्रवान पर मंगलवार को दूसरे दिन भी बैंक कर्मचारियों ने कामकाज बंद रखकर शहर में रोष मार्च निकालते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया।
जानकारी देते हुए बैंक मुलाजिमों ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा बैंकों का निजीकरण किए जाने के विरोध सहित अन्य मांगों को लेकर यूनियन की ओर से सोमवार व मंगलवार को मुकम्मल हड़ताल कर केंद्र सरकार के खिलाफ रोष जताया गया है। उन्होंने बताया कि बैंकों की हड़ताल के कारण जिले में दो दिन में कुल दस करोड़ का काम प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले महीने आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। जिसके विरोध में यह रोष प्रदर्शन किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों की तरफ ध्यान न दिया गया तो आने वाले समय में बड़ा संघर्ष शुरु किया जाएगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल उनकी यूनियन की ओर से 15 व 16 मार्च को ही हड़ताल करने की घोषणा की थी। जिसके तहत उनकी ओर से दो दिन कामकाज ठप्प रखा है। उधर बैंक बंद होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ा।
इन नीतियों के विरोध में दो दिन चली हड़ताल–
-ग्रामीण शाखाओं का बंद होना तथा बैंकों का अधिक शहर उन्मुखीकरण।
-बुनियादी ढांचे एवं जनोन्मुखी विकास के लिए ऋणों में कमी, जन सेवाओं का निजीकरण।
-कार्पोरेटस एवं बड़े घरानों को सस्ता व अधिक ऋण।
-बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के कम अवसर।
-स्थायी नौकरियों पर हमले, अनुबंध-नौकरियां,नौकरियों पर ठेकेदारों का कब्जा,लूट।
-ग्राहकों के लिए अधिक सेवा शुल्क।
-जनता की बचत पूंजी पर बड़े कार्पोरेट घरानों का कब्जा और उसकी अपने मुनाफे के लिए मनमानी लूट।
–सार्वजनिक बचत के लिए अधिक जोखिम, लघु बचत योजनाओं पर ब्याज में कमी और सेवानिवृत्त,वरिष्ठ नागरिकों,पेशनभोगियों की आय में कमी, उनके जीवन यापन में कठिनाई।
–कृषि ऋणों में कमी, सीमांत और छोटे किसानों की कृषिकार्य से बेदखली।
-छोटे एवं मध्यम आकार के उद्योगों,व्यापारियों को कम ऋण एवं ऋण लेने में कठिनाइयां।
–विद्यार्थियों को शिक्षा ऋणों में कमी एवं कठिनाई।
आज खुलेंगे बैंक-
लीड बैंक के मैनेजर दविंदर वशिष्ट का कहना है कि बैंक दो दिन बंद रहने से काफी काम प्रभावित हुआ है। कल से बैंक खुलेंगे। जो काम पेंडिंग पड़ गए हैं, उनको पूरा किया जाएगा।