पूर्व सैनिकों के परिजनों के लिए वरदान साबित हो रहा वैटर्न सहायता केन्द्र
पठानकोट , 9 जनवरी (मनन सैनी )।स्टेशन हैडक्वार्टर द्वारा स्थापित वैटर्न सहायता केन्द्र (वी.एस.के)आए दिन अपने सैनिकों, पूर्व सैनिकों, वीर नारियों व शहीद परिवारों को उनके अधिकार दिलाने के लिए वरदान साबित हो रहा है तथा इसकी कार्यशैली की गंूज हर जगह सुनाई दे रही हैं। वैटर्न सहायता केन्द्र अब तक कई पूर्व सैनिक परिवारों को जो ना उम्मीद हो चुके थे, उन्हें पैंशन व एरियर दिलवाकर उन्हें यह एहसास करवा चुका हैं कि भारतीय सेना ही सही मायनों में अपने सैनिकों, पूर्व सैनिकों, वीर नारियों व शहीद परिवारों के मान सम्मान को बहाल रखते हुए उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिए हमेशा बचनवद्घ है। हाल ही में इस सहायता केन्द्र ने द्वितीय विश्व युद्घ में घायल हुए सैनिक की विधवा को एरियर दिलवा व पैंशन लगवा कर यह संदेश दिया है कि असंभव को संभव करना ही सेना का काम है।
यह कहानी है 6/10 बलूच रैजीमेंट के लांस नायक डिप्टी राम की 85 वर्षीय पत्नी ब्रह्म लता निवासी बैंक कालोनी सुंदरनगर अंगूरा वाला बाग पठानकोट की, जिसके पति 1938 में इस रैजीमेंट में भर्ती हुए तथा द्वितीय विश्व युद्घ के दौरान दुश्मन से लड़ते हुए घायल हो गए थे, जिन्हें 1945 को मैडीकल ग्राऊंड पर डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया। डिस्चार्ज के दो वर्षों बाद 1947 को जब देश में मार काट हो रही थी तथा इसी वर्ष देश को स्वर्णिम आजादी मिली। लांस नायक डिप्टी राम की शादी इसी वर्ष ब्रह्म लता से हुर्ई। 74 साल की यादें दिल में संजोय हुए 85 वर्षीय ब्रह्म लता ने नम आंखों से बताया कि पैंशन आने के बाद उसके पति ने वन विभाग में नौकरी कर ली। उसने बताया कि 26 अगस्त 1984 को उसके पति की मौत हो गई तथा परिवार का गुजारा वन विभाग से मिलने वाली पैंशन से होने लगा, क्योंकि सेना की पैंशन बंद हो चुकी थी। 2012 को सरकार की पॉलिसी आई कि अगर एक सैनिक ने सेना के साथ-साथ सिविल में भी नौकरी की है तो उसकी मौत के बाद उसकी पत्नी दोनो पैंशनें लेने की हकदार है।
मसीहा बनकर आए कर्नल राणा
ब्रह्म लता ने बताया कि 2012 को सरकार द्वारा दूसरी पैंशन को लेकर बनाई पॉलिसी के बारे में जब उन्हें पता चला तो उनकी बेटी सुनीता जोशी ने दूसरी पैंशन उन्हें दिलाने की कोशिश शुरू की तो हर कोई उसे पागल समझने लगा, क्योंकि उनके पास उनके पति का कोई रिकॉर्ड नहीं था, सिर्फ एक फटे हाल डिस्चार्ज बुक थी, जो टुकड़े-टुकड़े हो चुकी थी, उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि कहां जाए, फिर उन्हें स्टेशन हैडक्वार्टर द्वारा स्थापित वैटर्न सहायता केन्द्र (वी.एस.के) के बारे में पता चला व मार्च 2018 को उन्होंने सहायता केन्द्र के इंचार्ज कर्नल एम.एस.राणा से भेंट कर उन्हें अपने केस के बारे में बताते हुए उन्हें अपने पति की फटी हुई डिस्चार्ज बुक दिखाई तो कर्नल राणा ने उस टुकड़े-टुकड़े हुई डिस्चार्ज बुक को जोडक़र उनके पति का आर्मी नंबर ढूंढा व उसके बाद पति की यूनिट बलूच रैजीमेंट का पता किया कि आजादी के बाद इस यूनिट का क्या बना, उनकी कोशिश से पता चला कि यह रैजीमेंट डोगरा ग्रुप में मर्ज हो चुकी है, फिर कर्नल राणा ने डोगरा के रिकॉर्ड सैंटर व पी.सी.डी.ए इलाहाबाद को डी.ओ लिखे, मगर वहां से जबाव आया कि वह 50 साल बाद सारा रिकॉर्ड नष्ट कर देते है, मगर कर्नल एम.एस.राणा चुप नहीं बैठे, उन्होंने डी.पी.डी.ओ गुरदासपुर व पठानकोट में भी संपर्क साधा, मगर वहां भी उनके पति का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला, क्योंकि उस वक्त पी.पी.ओ नंबर की जगह पैंशन सर्कुलर (पी.सी) होता था। कर्नल राणा ने फिर पी.सी.डी.ए इलाहाबाद के लाइजन सैल व डोगरा रिकॉर्ड को फिर डी.ओ लिखे व रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज करवाया।
आखिर दो वर्ष तक लड़ाई लडऩे के बाद कड़ी से कड़ी जुड़ती गई और आखिर में कर्नल राणा की मेहनत रंग लाई और रिकॉर्ड से पी.पी.ओ नंबर लेने में वो कामयाब रहे और सितम्बर 2020 को उन्हें 7 लाख 7 हजार के करीब आठ साल का एरियर व 12 हजार रुपए की मासिक पैंशन लग गई। ब्रह्म लता ने बताया कि 85 वर्ष की उम्र में वह भाग दौड़ नहीं कर सकती थी तथा न ही उन्हें पैंशन मिलने की उम्मीद थी, मगर कर्नल एम.एस.राणा एक मसीहा बनकर उनके संघर्ष पूर्ण जीवन में आए और उन्हें उनका अधिकार दिलवाया। इसके लिए वह स्टेशन हैडक्वार्टर व वैटर्न सहायता केन्द्र के इंचार्ज कर्नल एम.एस.राणा का आजीवन भर ऋणी रहेंगी।
बेसहारा सैनिक परिवारों का सहारा बना स्टेशन हैडक्वार्टर का वैटर्न सहायता केन्द्र:कुंवर विक्की
इस अवसर पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने बताया कि स्टेशन हैडक्वार्टर ने जब से वैटर्न सहायता केन्द्र स्थापित किया है, तब से कई पूर्व सैनिकों, उनके परिजनों, वीर नारियों व शहीद परिवारों को उनका बनता हक दिलवाने में सराहनीय भूमिका निभा रहा है,जो अपने आप में एक मिसाल है। कई सैनिक परिवारों के जीने का सहारा बने इस सहायता केन्द्र के इंचार्ज कर्नल एम.एस.राणा एक ऐसे कर्मयोगी अधिकारी हैं, जो हर कार्य को एक चुनौती के रूप में लेते हैं और जब तक सबंधित पक्ष को न्याय नहीं मिल जाता, वह चैन से नहीं बैठते तथा अपनी अंतिम फाइल क्लीयर करने के बाद ही वह अपना ऑफिस बंद करते हैं। उनकी कार्यशैली सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
फोटो कैप्शन: द्वितीय विश्व युद्घ में भाग लेने वाले सैनिक की विधवा पत्नी ब्रह्म लता पैंशन संबंधी जानकारी देती हुई।