कृषि संशोधित कानून किसानों को सशक्त बनाने के लिए मील का पत्थर होंगे साबित ।
अमृतसर: 16 दिसंबर । केन्द्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि संशोधित कानूनों में प्रस्तावित सात संशोधनों के लिए केंद्र सरकार तैयार है, जिसकी लिए वो बार-बार किसान संगठनों को बातचीत के लिए न्योता दे रही है और केंद्र द्वारा की गई बैठकें सफलता की ओर जा रही है । यह कहना है पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक का । जिला भाजपा कार्यालय शहीद हरबंस लाल खन्ना स्मारक में जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेश महाजन की अध्यक्षता में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान इस अवसर पर उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता राजिंदर मोहन सिंह छीना भी मौजूद थे ।
श्वेत मलिक ने कहा कि किसानों की आज तक किसी भी सरकार ने कद्र नहीं की थी, जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है तब से किसानों के नई-नई नीतियाँ व उनकी उपज के लिए ज्यादा दाम मिलें इसके लिए व्यवस्थित नीतियाँ बनाने के लिए अग्रसर रही है । मोदी सरकार ने प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत डी.बी.टी. के जरिये किसानों के खाते में सीधे 6000 रूपये वार्षिक, किसान फसल बिमा योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, माइक्रो फूड इंटरप्राइज के तहत वोकल फॉर लोकल पर ज़ोर, राष्ट्रीय पशु बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम, हर्बल खेती को बढ़ावा देने के योजनायें, मधुमक्खी पालकों के लिए विशेष योजनायें, ऑपरेशन ग्रीन योजना के तहत सभी फल और सब्जियां उगाने के लिए योजनायें, आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर किसानों को सशक्त बनाने के लिए कई इतिहासिक कदम उठाए हैं। किसानों की फसलों का इस साल भी मोदी सरकार ने पहले ही समर्थन मूल्य बढ़ा कर किसानों को सशक्त करने का कदम उठाया था ।
श्वेत मलिक ने कहाकि किसानों को उनकी मर्जी के मुताबिक फसलों के विक्रय हेतु वर्तमान मंडियों की व्यवस्था लागू रखते हुए नए विकल्प मिल सकें जिससे फसलों का ज्यादा दाम मिल सके एवं उच्च मूल्य की नई किस्म की फसलों को उगाने हेतु बाजार उपलब्ध हो सकें, इस लक्ष्य से नए कृषि सुधार अधिनियम पारित किए गए हैं। जैसे अन्य उत्पादकों को अपने उत्पाद को बेचने का अधिकार है वैसा ही अधिकार किसानों को भी प्राप्त हो सके।
श्वेत मलिक ने कहाकि किसानों के ऊपर लगी सभी पाबंदियों को हटाना तथा उन्हें अपनी उपज को बेचने के लिए पुराने विकल्प को चालू रखते हुए नये विकल्प उपलब्ध कराना जिससे किसानों को उपज का अधिक दाम मिल सके। नये विकल्प चुनने की आजादी परन्तु कोई बंदिश नहीं। किसान चाहे तो पूर्ववत नजदीक की मंडी में अथवा सरकारी खरीदी केंद्रों में भी एमएसपी मूल्य पर अपनी फसल बेच सकता है। नये अधिनियमों में प्रत्येक प्रावधान किसान का हित संरक्षित करते हैं तथा व्यापारी की अपेक्षा किसान का पलड़ा भारी रखते हैं। किसान को फसल कटाई के बाद नये विकल्प का प्रयोग कर अच्छा मूल्य प्राप्त हो सके अथवा कटाई से पहले ही एग्रीमेंट के आधार पर निर्धारित मूल्य मिल सके ऐसे प्रावधान किये गये हैं। अब किसान को अपनी फसल किसी को कहीं भी और किसी भी समय बेचने की आजादी और भुगतान भी निश्चित समय में प्राप्त करने का अधिकार है। उसके पास पुराने विकल्प भी उपलब्ध हैं। किसान को फसल के मूल्यों के अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव से मुक्ति मिले तथा उसकी आमदनी निश्चित तौर पर अधिक हो। किसान की भूमि सुरक्षित रहे तथा उसकी मिल्कियत पर किसी प्रकार की आंच न आए।
श्वेत मलिक ने कहाकि किसानों के भेजे प्रस्तावों में यह साफ़ किया गया है कि किसानों को जिन पर आपत्ति है, उन पर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार है।
प्रस्ताव नम्बर एक : अधिनियम को संशोधित करके यह प्रावधानित किया जा सकता है कि राज्य सरकार निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सके। साथ ही ऐसी मंडियों से राज्य सरकार एपीएमसी मंडियों में लागू सेस/शुल्क की दर तक सेस/शुल्क निर्धारित कर सकेगी।
प्रस्ताव नम्बर दो : राज्य सरकारों को इस प्रकार के पंजीकरण के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान की जा सकती है जिससे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार राज्य सरकारें किसानों के हित में नियम बना सकें।
प्रस्ताव नम्बर तीन : विवाद निराकरण की नए कानूनों में प्रावधानित व्यवस्था के अतिरिक्त सिविल न्यायालय में जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है।
प्रस्ताव नम्बर चार : जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रीकरण की व्यवस्था नहीं बनाती हैं तब तक सभी लिखित करारों की एक प्रतिलिपि करार पर हस्ताक्षर होने के 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध कराने हेतु उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी।
प्रस्ताव नम्बर पाँच : यह स्पष्ट किया जाएगा कि किसान की भूमि पर बनाई जाने वाली संरचना पर खरीददार (स्पांसर) द्वारा किसी प्रकार का ऋण नहीं लिया जा सकेगा और न ही ऐसी संरचना उसके द्वारा बंधक रखी जा सकेगी।
प्रस्ताव नम्बर छे : किसान की भूमि की कृर्की नहीं हो सकती, फिर भी किसी भी प्रकार के स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो उसे सरकार द्वारा जारी किया जाएगा।
प्रस्ताव नम्बर सात : केंद्र सरकार एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था व मंडीकरण के संबंध में लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है ।
प्रस्ताव नम्बर आठ : किसानों की विद्युत बिल भुगतान की वर्तमान व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
प्रस्ताव नम्बर नौ : पराली को जलाने से संबंधित प्रावधान एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आफ एनसीआर आर्डिनेंस, 2020 के अंतर्गत किसानों की आपत्तियों का समुचित समाधान किया जाएगा।
श्वेत मलिक कृषि सुधार कानूनों पर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, आप व अन्य विपक्षी पार्टियों व असमाजिक तत्वों द्वारा किसानों में भ्रामक व गुरमाहपूर्ण प्रचार कर अपने निहित स्वार्थ के लिए उन्हें आन्दोलन के लिए उकसाया गया है । किसानों को उनके बहकावे में न आकर वार्ता के जरिये इस मामले का हल करना चाहिए । न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करना एक नीति का हिस्सा है, कोई कानून नहीं है। इसे वर्ष 1966-67 में शुरू किया गया था, जिसे सरकारें आगे बढ़ाती आ रही हैं । राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के तहत देश की दो तिहाई जनता को राशन उपलब्ध करवाने का प्रावधान है । ऐसे में सरकार के लिए जरूरी है कि वह किसानों से अनाज हासिल करे ।
श्वेत मलिक ने कहाकि देश के किसानों के सम्मान में और पूरे खुले मन से केंद्र सरकार द्वारा पूरी संवेदना के साथ सभी मुद्दों के समाधान का प्रयास कर रही है । केन्द्र सरकार से हुई वार्ता में सार्थक नतीजे सामने आए हैं । इसलिए किसानों को आन्दोलन का रास्ता छोड़ बातचीत के माध्यम से इसका हल करना चाहिए । इस अवसर पर प्रदेश मीडिया सह-सचिव जनार्दन शर्मा, जिला महामंत्री राजेश कंधारी, हरविंदर संधू आदि उपस्थित थे ।