वाघा-अटारी व्यापार की बहाली का मामला केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे
वित्त मंत्री यूनीलेटरल डिसीज़ंस बाईलेटरल लॉसिस पुस्तक की रिलीज़
चंडीगढ़, 3 दिसंबर:अंतरराष्ट्रीय वाघा-अटारी व्यापारिक रास्ता भारत और पाकिस्तान के दरमियान केवल एक सडक़ ही नहीं है बल्कि दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच शांतीपूर्ण संबंधों और ख़ुशहाली के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। केंद्रीय एशिया तक इसकी पहुँच पंजाबियों की आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिए अहम है। यह खुलासा वित्त मंत्री स. मनप्रीत सिंह बादल ने यहाँ अपने सरकारी निवास पर ‘‘यूनीलेटरल डिसीज़ंस बाईलेटरल लॉसिस’’ पुस्तक रिलीज करते समय किया।
नयी दिल्ली आधारित अनुसंधान और नीति माहिर संस्था ब्यूरो ऑफ रिर्सच ऑन इंडस्ट्री एंड इक्नॉमिक फंडामैंटल्स (बी.आर.आई.ई.एफ.) के डायरैक्टर अफ़ाक हुसैन और एसोसिएट डायरैक्टर निकिता सिंगला द्वारा लिखी गई इस पुस्तक में अंतरराष्ट्रीय व्यापार घाटे को घटाने के लिए दिखाए गए नुक्तों बारे जानकारी देते हुए स. मनप्रीत सिंह बादल ने पड़ोसी मुल्कों के साथ व्यापारिक संबंधों की मौजूदा स्थिति पर चिंता ज़ाहर की। वित्त मंत्री ने कहा कि मैं पंजाब सरकार की तरफ से भारत सरकार के समक्ष वाघा-अटारी व्यापार की बहाली के मामले की पैरवी करूँगा। उन्होंने कहा कि पंजाब में व्यापार की अथाह संभावनाएं हैं।
गौरतलब है कि फरवरी 2019 से, जम्मू-कश्मीर के जिला पुलवामा में आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के संबंधों में खटास आई है। 1996 से पाकिस्तान को व्यापार के लिए सबसे पसन्दीदा देश (मोस्ट फेवर्ड नेशन) के दिए दर्जे को भारत सरकार ने वापस लेने का फ़ैसला किया।
स. मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि जर्मन राजनीतिज्ञ ओटो वॉन बिस्मार्क ने एक बार टिप्पणी की थी कि – बर्लिन को जाने वाली सडक़ व्याना से होकर गुजऱती है। मैं महसूस करता हूँ कि नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के दरमियान सडक़ पंजाब में से होकर गुजऱती है। साझी सीमा के साथ नज़दीकी के मद्देनजऱ पंजाबियों का बहुत कुछ दांव पर है। वाघा-अटारी व्यापार ने इस साझी सीमा को सहयोग और अंतर-निर्भरता का केंद्र बनाया था। व्यापार के निलंबन के कारण ज़मीनी स्तर पर हुए नुक्सान की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि समय के साथ-साथ व्यापार सरहदी इलाकों की आर्थिकता के बचाव के लिए कैसे महत्वपूर्ण बन गया है, जिसके बहाल होने से न सिफऱ् ख़ुशहाली आयेगी बल्कि भारत और पाकिस्तान के दरमियान शांतीपूर्ण संबंधों का आधार बंधेगा।
इस पुस्तक पर ऑनलाइन चर्चा के दौरान अमृतसर से संसद मैंबर स. गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि अमृतसर के पास पर्यटन के अलावा वास्तव में कोई अन्य उद्योग नहीं है, जिसको कोविड-19 के कारण बुरी तरह मार पड़ी है। उन्होंने भारत सरकार को वाघा-अटारी व्यापार को अमृतसर के लिए एक पूर्ण विकसित उद्योग के तौर पर विचारने की अपील की, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 25,000 से अधिक परिवारों को रोजग़ार मिलता है। उन्होंने कहा कि इस सरहदी जिले के लिए व्यापार की बहाली बेहद अहम है।
अपनी किताब में, लेखकों ने हवाला दिया कि साल 2018-19 में, भारत और पाकिस्तान के दरमियान द्विपक्षीय व्यापार 2.5 बिलियन अमरीकी डॉलर था – भारत से पाकिस्तान को निर्यात 2.06 बिलियन अमरीकी डॉलर और भारत द्वारा पाकिस्तान से आयात 495 मिलियन अमरीकी डॉलर था। भारत द्वारा एम.एफ.एन. (मोस्ट फेवर्ड नेशन) का दर्जा वापिस लेने और 200 प्रतिशत ड्यूटी लगाने के फ़ैसले से पाकिस्तान द्वारा भारत को निर्यात, जो 2018 में प्रति माह औसतन 45 मिलियन अमरीकी डॉलर था, मार्च-जुलाई 2019 में घटकर प्रति माह 2.5 लाख अमरीकी डॉलर रह गई, जब तक पाकिस्तान द्वारा व्यापार को पूरी तरह निलंबित नहीं किया गया।
इस किताब में व्यापार निलंबन के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों संबंधी भी शोधपूर्ण जानकारी दी गई है। जैसे कि व्यापारिक भाईचारा और नागरिक, जो सरकार के फ़ैसलों का समर्थन करते हैं, इस पुस्तक में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की अनुपस्थिति में पंजाब की सरहदी आर्थिकता को कायम रखने के लिए कारगर उपायों की पहचान करने की माँग की गई है। लेखकों की तरफ से अमृतसर में लोगों के साथ की गई बातचीत के अनुसार इस शहर में 9,000 से अधिक परिवार सीधे तौर पर प्रभावित हुए क्योंकि उनकी रोज़ी-रोटी द्विपक्षीय व्यापार पर निर्भर है; और स्थानीय आर्थिकता को प्रत्येक माह तकरीबन 30 करोड़ रुपए के दो-तिहाई हिस्से का नुक्सान बर्दाश्त करना पड़ रहा है।