गुरदासपुर, 27 सितंबर । दूषित हो रहे पर्यावरण को बचाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली की ओर से धान की कटाई करने के उपरांत बची हुई पराली को आग जलाकर जलाने पर पूर्ण तौर पर मनाही है। इस लिए किसान पराली को या तो पशु धन की जरुरतों के लिए एकत्र करके खेतों से बाहर निकाल कर संभाल लें या खेत में ही पराली को जोतकर अगली फसल की रोपाई की जाए। उक्त विचार डिप्टी कमिश्नर गुरदासपुर मोहम्मद इशफाक ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि आगामी कुछ दिनों तक धान की कटाई का सीजन शुरु हो जाएगा। धान की कटाई के दौरान किसानों को जागरुक करने के लिए गांव स्तर पर बीडीपीओ, खेतीबाड़ी विभाग व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड आदि के साथ लगातार बैठक की जा रही है ताकि धान के सीजन के दौरान किसानों को धान के अवशेष को आग न लगाने के लिए अधिक से अधिक प्रेरित किया जा सकें।
उन्होंने बताया कि पराली को जलाने से रोकने के लिए सेटेलाइट के जरिए खेतों पर नजर रखी जाएगी और इस संबंधी किसानों को जागरुक करने के साथ-साथ पराली को जलाने से रोकने के लिए जिले में नोडल अधिकारी व सेक्टर अधिकारी तैनात किए गए है जो कि खेती, प्रदूषण व माल विभाग के साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होने कहा कि जिले में सैंकड़ों किसान ऐसे है, जो कई वर्षों से पराली व अवशेष को खेतों में जोत रहे है और उनका अनुभव है कि वह कम खर्च करके फसल का अधिक झाड़ लेते है। उन्होंने बताया कि खेतीबाड़ी विभाग द्वारा पराली की संभाल के लिए मशीनें किसानों, किसान ग्रुपों व सहकारी सभाओं को सबसिडी पर मुहैया करवाई गई है।