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मनप्रीत बादल ने की केंद्र सरकार को गेहूँ-धान पर एमएसपी जारी रखने की अपील

मनप्रीत बादल ने की केंद्र सरकार को गेहूँ-धान पर एमएसपी जारी रखने की अपील
  • PublishedDecember 18, 2019

 प्री-बजट मीटिंग के दौरान वित्त मंत्री ने फ़सलीय अवशेष के प्रबंधन के लिए एमएसपी पर 100 रुपए प्रति क्विंटल मुआवज़ा देने की व्यवस्था करने के लिए कहा

मौजूदा बुनियादी ढांचे को फिर से विकसित करने के लिए विशेष सहायता मांगी

चंडीगढ़, 18 दिसम्बर:पंजाब के किसानों के हित में आवाज़ उठाते हुए आज राज्य के वित्त मंत्री स. मनप्रीत सिंह बादल ने केंद्र सरकार को पंजाब के किसानों से न्युनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) पर गेहूँ और धान की खरीद जारी रखने के अलावा फ़सलीय विभिन्नता को प्रोत्साहित करने और भूजल के गिर रहे स्तर को रोकने के लिए मकई और अन्य वैकल्पिक फसलों की खरीद को यकीनी बनाने की अपील की।नयी दिल्ली में बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन के साथ समूह राज्यों और केंद्रीय शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ प्री-बजट बैठक के दौरान श्री बादल ने फसलों के अवशेष के प्रबंधन का मुद्दा भी उठाया और उन्होंने सुझाव दिया कि भारत सरकार को फसलों के अवशेष के प्रबंध के लिए प्रोवीजऩल कास्ट शीट में एमएसपी पर 100 रुपए प्रति क्विंटल की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि भारत सरकार द्वारा सडक़ें / बिजली / सिंचाई आदि के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए राज्य को माली सहायता दी जाती है। हालाँकि, पंजाब जैसे राज्यों ने पहले ही अपने स्रोतों से या कजऱ्े लेकर केंद्र सरकार की मदद के बिना ही ढांचा विकसित कर लिया है, जिसका उनको केंद्र की मौजूदा स्कीमों के कारण खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘पंजाब को अपने आप बुनियादी ढांचा विकसित करने की कीमत उठानी पड़ रही है क्योंकि बुनियादी ढांचा पहले ही मौजूद है और उसे अनुदान भी नहीं मिल रहा और ऊपर से ढांचा विकसित करने के लिए उठाए कजऱ्े की अदायगी भी करनी पड़ रही है।’ उन्होंने माँग की कि केंद्र सरकार मौजूदा बुनियादी ढांचे को फिर से विकसित करने के लिए पंजाब को विशेष सहायता दे।भूजल के गिर रहे स्तर पर चिंता ज़ाहिर करते हुए और वेस्ट वॉटर के प्रबंधन की तुरंत ज़रूरत के मद्देनजऱ श्री बादल ने केंद्रीय वित्त मंत्री को वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने और गाँवों के छप्पड़ों के नवीनीकरण के लिए आगामी केंद्रीय बजट में एक विशेष योजना बनाने के लिए विनती की। स. बादल ने कहा कि पंजाब का राष्ट्रीय अनाज भंडार में बहुत बड़ा योगदान है। पंजाब हर साल तकरीबन 120 -125 लाख मीट्रिक टन गेहूँ और 105-110 लाख मीट्रिक टन चावल का योगदान डालता है। हालाँकि, पिछले दो-तीन सालों के दौरान राज्य में अनाज की लिफ्टिंग की रफ़्तार धीमी पड़ी है जिस कारण नयी फ़सल के भंडारण के लिए जगह की कमी आ रही है। उन्होंने राज्य के गोदामों में अनाज की जल्द लिफ्टिंग यकीनी बनाने के लिए केंद्र सरकार के दख़ल की माँग की।आर्थिक विकास के पुनर्जीवन और सार्वजनिक निवेश को उत्साहित करने के लिए व्यापक -आर्थिक नीतिगत फ़ैसलों बारे स. बादल ने केंद्र से अपील की कि वह राज्यों को बुनियादी ढांचे और अन्य उत्पादक प्रोजैक्टों जैसे कि पुलों, बांधों और रोजग़ार के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए एफ.आर.बी.एम. की सीमा में ढील दी जाये। उन्होंने कहा कि मौजूदा महँगाई दर के साथ यह अतिरिक्त वित्तीय प्रसार यकीनी तौर पर विकास को बढ़ावा देने के अलावा माँग और उपभोग बढऩे से रोजग़ार के अन्य मौके पैदा होंगे। इस दौरान पंजाब के प्रस्तावों का तकरीबन सभी राज्यों ने समर्थन किया।

जी.एस.टी मुआवज़ा जारी करने में अनिश्चित देरी

मीटिंग के दौरान पंजाब के वित्त मंत्री ने कहा कि जी.एस.टी के मुआवज़े की अदायगी में केंद्र द्वारा न-ख़त्म होने वाली देरी से पंजाब की माली हालत को सख्त झटका लगा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू करने के पहले दो सालों में, केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को जीएसटी मुआवज़े की दो -महीनों बाद जारी की जाने वाली किश्त देने में बरती जा रही ढील के कारण राज्य को अपने कार्य और योजनाओं को कुशल ढंग से लागू करने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने जीएसटी मुआवज़े को महीनेवार जारी करने की माँग की जिससे राज्य अपने खर्चों को और बेहतर ढंग से योजनाबद्ध कर सके। उन्होंने कहा कि जीएसटी मुआवज़े की दो महीनों बाद जारी की जाने वाली किश्त 4 महीनों के बाद भी जारी न किये जाने के कारण राज्य का वित्तीय प्रबंधन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

Written By
The Punjab Wire