जिले के 11 ब्लाक में अब तक करीब 13 करोड़ 62 लाख करोड़ हुए खर्च- डीसी इश्फाक
गुरदासपुर, 6 जुलाई (मनन सैनी)।महात्मा गांधी नरेगा स्कीम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण लोगों के जीवन सुरक्षा में बढ़ोतरी करना व संबंधित ग्रामीण क्षेत्रों के कुदरती साधनों की पहचान करके व उनका जरुरी इस्तेमाल करके आर्थिकता की गति को तेज करना है। वित्तीय साल के दौरान परिवार के सदस्य,जो मजदूरी का काम करना चाहते हैं, को 100 दिनों के लिए सशर्त रोजगार देना स्कीम का मुख्य उद्देश्य है।
इस संबंधी जानकारी देते हुए डीसी मोहम्मद इशफाक ने बताया कि जिले के 11 ब्लाकों में पांच जुलाई 2020 तक 13 करोड़ 62 लाख 61 हजार रुपये खर्च किए जा चुके है। जिसमें दस करोड़ पांच लाख 96 हजार रुपये की अदायगी लेबर व मटीरियल आदि के लिए की जा चुकी है तथा तीन करोड़ 56 लाख व 65 हजार रुपये के बिल पैंडिंग हैं। उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत बीडीपीओ काहनूवान, फतेहगढ़ चूडिय़ां व गुरदासपुर द्वारा तेजगति से काम करवाने में अग्रिम है। बीडीपीओ काहनूवान ने दो करोड़ पांच लाख 42 हजार रुपये, बीडीपीओ फतेहगढ़ चूडिय़ां ने एक करोड़ 96 लाख 75 हडार रुपये व गुरदासपुर के बीडीपीओ ने एक करोड़ 46 लाख 86 हजार रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने बताया कि बीडीपीओ दीनानगर, दोरांगला, धारीवाल व श्रीहरगोबिंदपुर को सख्त मेहनत की जरुरत है। जैसे कि बीडीपीओ दीनानगर ने मात्र 40 लाख आठ हजार रुपये,दोरांगला ने 58 लाख 41 हजार रुपये,धारीवाल ने 63 लाख 64 हजार रुपये व श्रीहरगोबिंदपुर बीडीपीओ द्वारा केवल 65 लाख 42 हजार रुपये खर्च किए गए हैं।
उन्होंने बीडीपीओ को अन्य मेहनत व लग्न के साथ मनरेगा के तहत काम करवाने के लिए कहा। डीसी ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा मनरेगा के तहत तेजगति के साथ काम करने को यकीनी बनाया जा रहा है व मनरेगा के तहत गांवों में परिवारों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए जिन लोगों के पास ढाई एकड़ तक चाही जमीन व पांच एकड़ तक बंजर जमीन है। उन्होंने लोगों को व्यक्तिगत कार्यों,जैसे पशुओं के लिए शैड,बकरियों के लिए शैड,सुअरों के लिए शैड व पोल्ट्री फार्म के लिए शैड बनाने के लिए सहायता प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।