केंद्र और पंजाब सरकार की नीतियो को कोसा
गुरदासपुर। मंगलवार को किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के जिला गुरदासपुर ने जिला प्रधान गुरप्रीत सिंह खानपुर और सोहन सिंह गिल की अध्यक्षता में डीसी कार्यालय समक्ष पक्का मोर्चा लगाया। जिसमें बड़ी संख्या में किसान महिलाएं व किसान-मजदूर शामिल हुए।
प्रदेशाध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लाकडाऊन की आड़ में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि हर वर्ग के लिए घातक है। केंद्र सरकार इसे रद्द करके किसानों के हक में फैसले लेने की बजाए कारपोरेट घरानों के हाथों की कठपुतली बने हुए है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इसे रद्द नहीं करती किसानों का संघर्ष जारी रहेगा, भले ही उन्हें कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। उन्होंने कांग्रेस सरकार को आड़ो हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार भी अपनी वायदों से बुरी तरह से फेल हो चुकी है। उन्होंने कहा कि चुनावों के समय जो कांग्रेसी मंत्रियों ने वायदे किए थे, अब वो उससे भाग रहे है। उन्होंने मांग की कि कृषि कानून रद्द किए जाए, बासमती 1121 का मूल्य 5500 रुपए किया जाए, बासमती ट्रेडिंग कापोरेशन बनाई जाए और जो धान की खरीद पर अनावश्यक शर्तें लगाई गई है, उसे वापिस लिया जाए, धान की नमी की मात्रा 17 फीसदी से बढ़ाकर 22 फीसदी की जाए, गन्ने का बकाया किसानों के खातों में डाला जाए, गन्ना मिल को एक नवंबर से शुरु किया जाए, किसानों का समुचा कर्जा माफ किया जाए, घर-घर नौकरी दी जाए, बेरोजगारी भत्ता दिया जाए, शगुन स्कीम 51 हजार रुपए किया जाए, बुढ़ापा पेंशन बढ़ाया जाए, नशे पर रोक लगाई जाए, कार्यालयों में फैला भ्रष्टाचार को बंद किया जाए, भू माफिया रेत माफिया, केबल माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया आदि पर रोक लगाई जाए, दिल्ली संघर्ष के दौरान जिन किसानों की मौत हो चुकी है, उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए। इस दौरान किसान महिलाओं ने भी अपने विचार रखे।
उन्होंने विश्वास दिलाया कि वह अपने किसान भाईयों का पूरा सहयोग देंगे। इस मौके पर दविंदर कौर, अमृतपाल कौर, सुखदेव कौर, परमजीत कौर, रमनजीत कौर, सुखवंत कौर के अलावा गुरप्रताप सिंह, सुखजिंदर सिंह, गुरमुख सिंह, अनूप सिंह, कैप्टन शमिंदर सिंह, हरदीप सिंह, परमिंदर सिंह चीमा, बलजीत सिंह, हरभजन सिंह, हरविंदर सिंह, झिरमल सिंह, रणधीर सिंह, सुखविंदर सिंह, सुखदेव सिंह, अनोख सिंह, सुखविंदर सिंह आदि उपस्थित थे।