विभाग की टीमें जाकर कर रही ब्रिडिंग की जांच, सितंबर और अक्तूबर में ज्यादा सावधानी बरते लोग
जिला एपिडिमोलोजिस्ट की सलाह डेंगू कार्ड टैस्ट दे सकता है दगा, इलाइजा टैस्ट ही डेंगू का सही प्रमाणित टैस्ट
गुरदासपुर, 03 सितंबर (मनन सैनी)। शहर में डेंगू के केसों की गिनती में पिछले दिनों इजाफा हुआ है तथा अभी तक जिले में कुल 8 मरीज डेंगू संक्रमित पाए गए है। हालांकि सितंबर और अक्तूबर में और ज्यादा बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। स्वस्थ्य विभाग की तैयारियों की अगर बात की जाए तो विभाग की ओर से संक्रमित मरीजों के क्षेत्रों में जाकर ब्रिडिंग की जांच की जा रही है और फागिंग स्वं स्प्रे भी करवा रहे है। परन्तु अगामी बरसाती मौसम में डेंगू के केस बढ़ने की संभावना को देखते हुए लोगों को भी सूचेत रहने की सलाह दी जा रही है। फिलहाल गुरदासपुर शहर में रेलवे कालोनी एवं बरियार से डेंगू के मरीज काफी सामने आ रहे है तथा अभी तक जिले में डेंगू के कुल 8 मरीजों की पुष्टी भी हो चुकी है। यह पुष्टी खुद जिला एपिडिमोलोजिस्ट डॉ प्रभजोत कलसी की ओर से की गई।
डॉ प्रभजोत कलसी ने बताया कि डेंगू ने अभी शहर में पैर पसारने ही शुरु हुए है। परन्तु अगर लोग सही समय पर अपना टैस्ट सरकारी अस्पताल से करवाएं तो विभाग डेंगू फैलने से पहले ही उस पर अंकुश लगा पाने में संभव है। उन्होनें बताया कि लोगों को थोड़ा बुखार होने पर वह या तो अपने आस पड़ौस के कैमिस्टों से दवा ले लेते है या निजी डाक्टों की सलाह पर निजी लैंब से कार्ड के जरिए डेंगू टैस्ट करवा लेते है। परन्तु कार्ड टैस्ट कोई प्रमाणित एवं पुख्ता टेस्ट नही है। स्वस्थ्य मंत्रालय के नियमों के मुताबिक कार्ड टेस्ट संक्रमित को सिर्फ संभावित मरीज कहा जा सकता है। जिसकी पुष्टी दोबारा सिवल अस्पताल में एलिसा टैस्ट करवा कर की जाती है। स्वस्थ्य विभाग सिर्फ इलाइजा टैस्ट में पॉजिटिव आने पर ही डेंगू मरीज मानता है। सो सभी संभावित मरीजों को सिर्फ सरकारी अस्पतालों में जाकर अपना टैस्ट करवाना चाहिए।
डेंगू और चिकनगुनिया संबंधी अधिक जानकारी देते हुए डॉ प्रभजोत कलसी ने बताया कि उक्त बिमारी ऐडीज नाम के मच्छर के काटने से फैलते है जो साफ पानी के स्त्रोंतों में ही पैदा होता है तथा सिर्फ दिन के वक्त ही काटते है।
उन्होनें बताया कि स्वस्थ्य विभाग की ओर से निजी लैब में पाए गए मरीजों के घरों में भी जाकर भी लारवा की चेकिंग की जा रही है और शहरों में नगर कौंसिल को हरेक वार्ड में 15 दिन के अंतराल के बाद फागिंग करने के लिए कहा गया है। सिवल अस्पताल में डेंगू वार्ड आईसोलेशन सैंटर बनाया गया है। डेंगू और चिकनगुनिया का टैस्ट और स्पोर्टिव इलाज सिवल अस्पतालों में मुफ्त है। उन्होने लोगो से अपील करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार का बुखार होने पर तुरंत सिवल अस्पतालों में जाएं तथा अपने टैस्ट करवाएं। उन्होनें बताया कि जिले की सभी निजी लैब वालों को कहा गया है कि किसी भी पाॅजिटिव आने वाले मरीज की तुरंत जानकारी स्वस्थ्य विभाग को दी जाए ताकि विभाग वहां जाकर फाॅगिग एवं ब्रिडिंग की जांच कर सके।
लक्ष्ण तथा बचाव संबंधी जानकारी देते हुए हुए डॅा प्रभजोत कलसी ने इस प्रकार जानकारी दी
डेगूं रोग के लक्षण
1. तेज बुखार, तेज बदन दर्द, सिरदर्द तथा शरीर पर चकत्ते हो सकते हैं।
2. दांत से, मुंह से, नाक से, खून आने की शिकायत हो सकती है।
3. डेंगू रोग पूर्व से ग्रसित रोग जैसे डायबिटीज, रीनल फेलियर, श्वसन रोगी और इम्यूनो कम्प्रेस्ड व्यक्तियों में अधिक गंभीर हो सकता है।
ऐसे करें बचाव–
1. फॉगिंग के समय खिड़की दरवाजे यथा संभव खुले रखें।
2. घर में कूलर, बाल्टी, घड़े तथा ड्रम का पानी साप्ताहिक अन्तराल पर बदलते रहें।
3. कूलर का पानी निकालने के बाद उसकी टंकी दीवारों को स्क्रब से साफ करके 04-05 घंटे सूखने दें जिससे दीवारों से चिपके लार्वा भी मर जायें।
4. घर के आस-पास पानी एकत्रित न होने दें, खासकर फ्रिज की ट्रे की जांच करें और घर में इंडोर लगाए गए पौधे की भी जांच करें।
5. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। शरीर पर मच्छर निरोधक औषधियों को खुले भागों पर लगाये।
6. फुल बांह के कपड़े और पैरों में जूता मोहा पहने, स्कूल ड्रेस भी फुल आस्तीन वाली हो।
7. बुखार आने पर नजदीक के सरकारी अस्पताल में जांच कराएं।
उन्होनें बताया कि प्रतेक शुक्रवार को ड्राई ड्रे के तौर पर मनाया जाए क्योंकि डेंगू का मच्छर हफ्ते में अंडे से पूरा मच्छर बनता है, इसलिए कूलरों, गमलों, फरिज की ट्रे तथा और पानी के बर्तनों को हफ्ते के हरेक शुक्रवार को साफ रख कर सूखा किया जाए।
क्या न करें:
1. घर के आस-पास कूड़ा एकत्रित होने न दें।
2. घर में यदि बुखार का रोगी है तो उसे बिना मच्छरदानी के न रहने दें। या ऐसे कमरे में रहें जिसकी खिड़की, दरवाजे पर जालियां लगी हों।
3. चिकित्सीय परामर्श एवं जांच के बिना दवा का प्रयोग न करें।
5. संभावित डेंगू से ग्रसित रोगी एस्प्रीन, ब्रूफेन, कार्टिस्ट्रायेड, निमोसुलाइड आदि दवाओं का प्रयोग कतई न करें।