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सुखबीर ने मुख्यमंत्री को प्राईवेट थर्मल प्लांटों से किए बिजली खरीद समझौते रद्द करने की चुनौती दी

सुखबीर ने मुख्यमंत्री को प्राईवेट थर्मल प्लांटों से किए बिजली खरीद समझौते रद्द करने की चुनौती दी
  • PublishedJanuary 8, 2020

कहा कि बिजली खरीद समझौतों का समुचा ढ़ांचा डाॅ. मनमोहन सिंह सरकार ने तैयार किया था। हमने इसे एक एक अक्षर लागू किया था

कहा कि प्राईवेट थर्मल प्लांटों तथा खनन कंपनी को 4100 करोड़ रूपए का लाभ पहुंचाने के लिए पैसों का लेन देन हुआ है

चंडीगढ़/07जनवरीः शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने बुधवार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से प्राईवेट थर्मल प्लांटों से किए गए बिजली खरीद समझौते (पीपीएज्) रद्द करने की चुनौती देते हुए कहा है कि इन समझौतों का ढ़ांचा डाॅ. मनमोहन सिंह सरकार द्वारा तैयार किया गया था,यदि उन्हे इन समझौतों में कोई गड़बड़ लगती तो वह तत्काल इन्हे रद्द करें। उन्होने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा रिश्वत लेकर प्राईवेट कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया है तथा इसने जानबूझ कर कोयला धोने से जुड़े 2500 करोड़ रूपए के मामले तथा 1602 करोड़ रूपए के ट्रिब्यूनल अवाॅर्ड के मामले की अदालत में जानबूझ कर सुस्त पैरवी की है।

यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि अकाली दल के लिए पंजाब तथा पंजाबियों के हित सर्वोपरि हैं। यदि बिजली खरीद समझौतों में कोई गड़बड़ी लगती है तो इन्हे तत्काल रद्द कर देना चाहिए। बड़ी अजीब बात है कि यह काम तीन साल से क्यों नही किया गया। उन्होने कहा कि डाॅ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तैयार हुए बिजली खरीद समझौतों के समुचे पीपीए की जांच होनी चाहिए।

सरदार बादल ने कहा कि इस तरह अकाली दल ने कोयले की धुलाई के रूप में प्राईवेट थर्मल प्लांट मैनेजमेंटों को दिए जा चुके 1400 करोड़ रूपए के लाभ तथा 1100 करोड़ रूपए के अन्य दिए जाने वाले अतिरिक्त लाभ की स्वतंत्र जांच करवाने की मांग की है। उन्होने कहा कि कांग्रेस सरकार ने प्राईवेट प्लांटों को कोयले की धुलाई का खर्चा देने संबधी केस की सुप्रीम कोर्ट में सही ढ़ंग से पैरवी नही की है। उन्होने कहा कि यह सीधा ही मैच फिक्सिंग का मामला है। प्राईवेट प्लांटों से किए इस अंदरूनी समझौते के कारण राज्य को उन्हे 2500 करोड़ रूपए देने होंगे। उन्होने कहा कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार के दौरान इस केस की सही ढ़ंग से पैरवी की गई थी तथा प्राईवेट प्लांटों द्वारा दी दलीलों को पीएसईआरसी तथा एपीटीईएल द्वारा रद्द कर दिया गया था।

सरदार बादल ने कहा कि दूसरे 1602 करोड़ रूपए के केस में कांग्रेस सरकार की पुनरावलोकन याचिका को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था, क्योंकि इसने ट्रिब्यूनल के अपने ढ़ाई साल पुराने आवेदन को खारिज करने के फैसले को चुनौती नही दी थी। उन्होने कहा कि इस बिना बात की देरी ने ईस्ट्रनल मिनरलज एंड ट्रेडिंग एजेंसी (ईएमटीए) को अनुचित लाभ पहुंचाया है, जोकि मैच फिक्सिंग का परिणाम लगता है। उन्होने कहा कि इन दोनों घोटालों की एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवानी चाहिए तथा जांच मुकम्मल होने तक बिजली दरों में की ताजा बढ़ोतरी को वापिस लिया जाना चाहिए।

अन्य जानकारी देते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि यदि बार बार मंहगी हो रही बिजली के कारण आम लोगों तथा इंडस्ट्री को तकलीफ झेलनी पड़ती है तो इसकी वजह कांग्रेस सरकार का भ्रष्टाचार तथा निकम्मापन है। उन्होने कहा कि बार बार बिजली दरों में की बढ़ोतरी के कारण हुए सालाना 8 हजार करोड़ रूपए की बढ़ोतरी से लोगों पर 20 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ चुका है। इसने राज्य में हर परिवार के मासिक बजट को ठेस पहुंचाई है।

जब अकाली-भाजपा सरकार ने सत्ता संभाली थी तथा डाॅ. मनमोहन सिंह सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार प्राईवेट पावर प्लांट स्थापित करने के लिए मंजूरी देने का फैसला किया था, उस समय पंजाब में बिजली की हालत के बारे बताते हुए सरदार बादल ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा बिजली सैक्टर में किए शून्य निवेश के कारण, बिजली की बहुत ज्यादा कमी थी। उन्होने बताया कि घरेलू उपभोक्ताओं को रोजाना 6 से 8 घंटे के बिजली कटों का सामना करना पड़ रहा था तथा उद्योग सप्ताह में तीन से चार दिन तक बंद रहते थे। उन्होने कहा कि यहां तक कि धान की बिजाई के लिए प्रतिदिन सिर्फ 4 से 5 घंटे ही बिजली दी जाती थी। उन्होने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि ‘बिजली, पानी तथा सड़क प्राथमिक आवश्यकताएं थी, जिन्हे पूरा करने के लिए 22 हजार करोड़ रूपए के निवेश की आवश्यकता थी, इसीलिए निजी बिजली उत्पादन करवाने का फैसला लिया गया। उन्होने कहा कि डाॅ. मनमोहन सिंह सरकार द्वारा तैयार किए बिजली खरीद समझौते के अनुसर निष्पक्ष तथा पारदर्शी ढ़ंग के साथ बोलीकारों को बुलाया गया। यदि कोई हमारे उपर प्राईवेट कंपनियों से गलत ढ़ंग से पीपीएज करने का दोष लगा रहा है तो वह वास्तविकता में डाॅ. मनमोहन सिंह पर नुकसानदेह पीपीएज तैयार करने का दोष लगा रहा है, क्योंकि हमने केंद्रीय निर्देशों का ही एक एक अक्षर लागू किया था।

अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि यह बेहद सम्मान की बात थी कि 2009 में देश में बाकी शुरू किए छह प्रोजेक्टों में से पंजाब के प्रोजेक्ट सस्ते थे तथा सरकारी प्रोजेक्टों के मुकाबले अधिक कुशल थे। उन्होने कहा कि इन दोनों प्रोजेक्टों की सफल शुरूआत के कारण ही बिजली मंत्रालय ने साल 2015 तथा 2016 के लिए पंजाब को बेस्ट यूटिलिटी तथा बेस्ट ड्रिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी पुरस्कार दिए थे।

अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि इस साफ सूथरे रिकाॅर्ड के बावजूद कांग्रेस तथा आप अपनी विफलताएं छिपाने के लिए लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही हैं। कांग्रेस सरकार को सबसे निकम्मी तथा कठोर सरकार करार देते हुए सरदार बादल ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ को राजनीति नही खेलनी चाहिए, बल्कि अपनी सरकार से पूछना चाहिए कि पीपीएज् रद्द क्यों नही किए जा रहे हैं? उन्होने कहा कि जाखड़ को एहसास होना चाहिए कि वह विपक्ष का नेता नही है। यदि पीपीएज् राज्य के हित में नही है तो इन्हे तीन साल से रद्द क्यों नही किया गया? उन्होने कहा कि यदि जगन रेड्डी स्टेट कैपीटल अमरावती को रद्द कर सकता है तो पीपीए क्या है? कांग्रेस सरकार हमें दोषी नही ठहरा सकती। इस संबधी मैं सचिन पायलट की टवीट् पढ़ रहा था, जिसमें उसने स्पष्ट रूप से लिखा है कि 13 महीने सरकार चलाने के बाद पिछले सरकार पर उंगली उठाने का कोई मतलब नही होता। उन्होने कहा कि पंजाब में कांग्रेस तीन सालों से सत्ता में है। इसीलिए पिछली अकाली-भाजपा सरकार पर बार बार उंगलियां उठाने से कोई मसला हल नही होगा।

Written By
The Punjab Wire