कुंवर विक्की ने कहा शूरवीरों की धरती पंजाब जिसके डी.एन.ए में है कुर्बानी का जज्बा
राजिन्द्र सिंह की शहादत को नम आंखों से किया नमन, बेटा बोला… मैं भी बनूंगा पापा की तरह फौजी:
गुरदासपुर, 29 जुलाई (मनन सैनी)। दो साल बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से शहीद की शहादत पर किए गए वायदे वफा नही हुए जिसके चलते शहीद राजिंदर सिंह के श्रद्धांजलि समारोह पर शहीद परिवार का दर्द छलका। इस मौके पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर विक्की ने कहा कि जब शहीद लांसनायक राजिन्द्र सिंह की तिरंगे में लिफ्टी पार्थिव देह गांव पहुंची थी तो उस समय सरकार ने शहीद की याद में यादगिरी गेट व गांव के सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखने की घोषणा की थी, मगर अफसोस शहादत के दो वर्षों बाद भी सरकार के वायदे वफा नहीं हुए, जिससे शहीद परिवार की भावनाएं आहत हैं।कुंवर विक्की दूसरे श्रद्धाजंलि समारोह में बतौर मुख्य मेहमान शिरकत कर रहे थे।
जबकि शहीद की माता पलविन्द्र कौर, पिता सुरिन्द्र सिंह, पत्नी रणजीत कौर, बेटा गुरनूर सिंह, भाई बलविन्द्र सिंह व दलविन्द्र सिंह, शहीद लांसनायक संदीप सिंह शौर्य चक्र के पिता जगदेव सिंह, शहीद सिपाही मक्खन सिंह के पिता हंसराज, शहीद सूबेदार निर्मल सिंह वीर चक्र के बेटे मलकीत सिंह, शहीद सिपाही जतिन्द्र कुमार के पिता राजेश कुमार, शहीद नायक मनिन्द्र सिंह की पत्नी नायब तहसीलदार अकविन्द्र कौर व भाई गुरविन्द्र सिंह आदि ने विशेष मेहमान के तौर पर शामिल कर शहीद को श्रद्घासुमन अर्पित किये।
गौर रहे कि जम्मू-कश्मीर के माच्छिल सैक्टर में आतंकियों से लड़ते हुए शहादत का जाम पीने वाले सेना की 57 राष्ट्रीय राइफल्स के लांसनायक राजिन्द्र सिंह का दूसरा श्रद्घांजलि समारोह शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह अशोक चक्र के पिता कैप्टन जोगिन्द्र सिंह की अध्यक्षता में गांव पबांराली कलां के गुरुद्वारा साहिब में आयोजित किया गया। जिसमें शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुए। इस मौके पर शहीद के परिजनों एवं अन्य शहीदों के परिजनों ने विशेश मेहमान के तौर पर शिरकत की श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस मौके पर डेरा बाबा नानक से नायब सूबेदार ओम प्रकाश के नेतृत्व में आई 7 राज राइफल्स यूनिट के जवानों की टुकड़ी ने शस्त्र उलटे कर बिगुल की मातमी धुन से शहीद को सलामी दी गई।
अपने संबोधन के दौरान मुख्यातिथि कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने कहा कि पंजाब गुरुओं, पीरों व शूरवीरों की धरती है, जिसके डी.एन.ए में ही कुर्बानी का जज्बा भरा है। जब-जब भी देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ, जहां के वीर सपूतों ने दुश्मन को धूल चटाते हुए बहादुरी के इतिहास रचे हैं। वीरता के इसी इतिहास को दोहराते हुए दो वर्ष पहले लांसनायक राजिन्द्र सिंह ने अपना बलिदान देकर शहीदों की श्रृखलां में अपना नाम सुनहरी अक्षरों में अंकित करवा लिया।
बेटा बोला… मैं भी बनूंगा पापा की तरह फौजी:
शहीद राजिन्द्र सिंह के ढाई साल के बेटे गुरनूर जिसने शहीद पापा की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहन रखी थी, ने तोतली जुबान में कहा कि वह भी अपने पापा की तरह फौजी बनेगा, उसकी यह बातें सुन समारोह में शामिल हर आंख नम हो उठी।
असहनीय होता है शहादत का दर्द: कैप्टन जोगिन्द्र
शहीद लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह के पिता कैप्टन जोगिन्द्र सिंह ने कहा कि शहादत का दर्द असहनीय होता है और वह इस दर्द को भली भांति महसूस कर सकते हैं,क्योंकि उन्होंने खुद अपना बेटा देश की बलिवेदी पर कुर्बान किया है, इसलिए सरकारों को शहीद परिवारों के मान सम्मान की बहाली हेतु उचित कदम उठाने चाहिए। इस अवसर पर मुख्यातिथि द्वारा शहीद के परिजनों सहित 10 अन्य शहीद परिवारों को दोशाले व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर हरभजन सिंह, मलकीत सिंह, इंद्रजीत सिंह, अमन सिंह आदि उपस्थित थे।