डॉ. मुखर्जी के बलिदान दिवस पर अश्वनी शर्मा ने माधोपुर में उनकी प्रतिमा को किया नमन।
अश्वनी शर्मा ने मुखर्जी के बलिदान दिवस पर किया पौधा रोपण।
पठानकोट : 23 जून ( मनन सैनी )। भारत की एकता एवम अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, महान शिक्षाविद, मां भारती के सच्चे सपूत जनसंघ के संस्थापक श्रधेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के 68वें बलिदान दिवस पर भारतीय जनता पार्टी, पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने पठानकोट के माधोपुर में जिला भाजपा अध्यक्ष विजय शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रदाजंलि भेंट की। अश्वनी शर्मा द्वारा डॉ. मुखर्जी के बलिदान दिवस पर पौधारोपण कर पर्यावरण को बचाने का संदेश देते हुए सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को भी पौधारोपण करने का आह्वान किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय भाजपा सचिव तथा प्रदेश भाजपा सह-प्रभारी डॉ. नरेंदर सिंह, पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल, मनोरंजन कालिया, पूर्व विधायिका सीमा देवी, सुजानपुर से विधायक दिनेश सिंह बब्बू, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश बागा, नरेंद्र परमार, राकेश शर्मा, सोशल मीडिया जिला अध्यक्ष विंदा सैनी आदि उपस्थित थे।
अश्वनी शर्मा ने इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को अपने संबोधन में कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय है। राजनीति की अलख जगाने वाले डॉ. मुखर्जी ने सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में लगी धारा 370 के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने नेहरू की तुष्टीकरण की नीति का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर गुरु गोलवलकर के साथ चर्चा कर जनसंघ का गठन किया। देश की एकता और अखंडता का जो पाठ श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने पढ़ाया था, आज वह आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी के नेतृत्व में चरितार्थ होते हुए दिखाई दे रहा है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार किया जा रहा है, यही डॉ. मुखर्जी के प्रति उनकी विनम्र श्रद्धांजलि है।
अश्वनी शर्मा ने कहाकि डॉ. मुखर्जी के पार्टी, राजनीति व समाज में योगदान को हमेशा याद किया जाता है। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए वह जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े थे। वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबंद कर दिया गया, जहां 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। डॉ. मुखर्जी ने नारा दिया था कि देश में ‘दो सविधान, दो निशान व दो प्रधान’ नहीं चलेंगे और आज जम्मू–कश्मीर में बिना परमिट के जाने का श्रेय भी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ही जाता है। शर्मा ने सभी को डॉ. मुखर्जी के दर्शाए हुए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।