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भगवंत मान ने अपने समेत कैप्टन अमरिन्दर और सुखबीर बादल को लाइव डिबेट में बैठने की दी चुनौती

भगवंत मान ने अपने समेत कैप्टन अमरिन्दर और सुखबीर बादल को लाइव डिबेट में बैठने की दी चुनौती
  • PublishedOctober 2, 2020

राहुल गांधी किस मुंह से पंजाब में करेगा रोड शो, संसद में जिस दिन कृषि बिलों को लेकर बहस होनी थी उस दिन राहुल गांधी गैर हाजिर थे

कांग्रेस के लोक सभा में 51 और राज सभा में 40 संसद मैंबर होने के बावजूद भी बिलों को पास होने से नहीं रोक पाई कांग्रेस 
– एस.ए.डी का मतलब सुखबीर अकाली दल

चंडीगड़, 2 अक्तूबर । आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष और संसद मैंबर भगवंत मान ने कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल को चुनौती देते कहा कि वह इन दोनों पार्टियों को तथ्यों के अधार पर पांच सवाल पूछना चाहते हैं कि आज तक कैप्टन और बादलों की जोड़ी ने पंजाब की भलाई के लिए क्या किया है? इन सवालों के जवाब देने के लिए बेशक वह गुगल का सहारा ले लें, खजाने पर बोझ बने सलाहकारों की फौज से लिखवा लें, बड़े-बड़े रजिस्टर ले आएं या मेरे (भगवंत मान) साथ लाइव डिबेट में कैप्टन अमरिन्दर और सुखबीर सिंह बादल बैठ जाएं। उसी समय कैप्टन और बादलों का पंजाब विरोधी चेहरा जनतक हो जाएगा जो आज धरने प्रदर्शन करके अपने आप को किसान और पंजाब हितैषी कहलवाने की नाकाम कोशिशें कर रहे हैं। 

भगवंत मान ने प्रैस कान्फ्रेंस को संबोधन करते कहा कि राहुल गांधी पंजाब में आ रहा है और कांग्रेस पार्टी का यह कहना है कि राहुल गांधी पंजाब के किसानों के हितों की चौंकीदारी के लिए पंजाब में रोड शौ करेंगे। यहां यह सवाल खड़ा होता है कि राहुल गांधी कौन से मुंह के साथ पंजाब में रोड शौ निकालेंगे, क्योंकि जब संसद में कृषि  बिलों को लेकर बहस हो रही थी तो उस समय राहुल गांधी संसद में से ही गैर हाजिर थे, जिस से स्पष्ट होता है कि राहुल गांधी के लिए किसान कोई मायने नहीं रखते। 

भगवंत मान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के 51 संसद मैंबर लोक सभा में हैं और 40 संसद मैंबर राज सभा में हैं, इस के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी कृषि विरोधी काले कानूनों को पास होने से नहीं रोक सकी। मान ने कहा कि 28 अगस्त 2020 को जब विधान सभा सैशन बुलाई गई थी तो पंजाब सरकार ने कृषि अध्यादेशों को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया था और इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजना था, परंतु किसान विरोधी कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस प्रस्ताव को 28 अगस्त से लेकर 14 सितम्बर तक कुल 18 दिन विधान सभा के दफ्तर में ही रखा और केंद्र सरकार को नहीं भेजा। जिस दिन 14 सितम्बर 2020 को पार्लियामेंट का सैशन शुरू हुआ, उस दिन ही यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाना चाहिए था परंतु ऐसा नहीं हुआ, जिस से साफ पता चलता है कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह कृषि विरोधी अध्यादेशों के मुद्दे को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है।

एस.ए.डी का मतलब सुखबीर अकाली दल बताते हुए भगवंत मान ने कहा कि आज जो बादल परिवार अपने आप को किसान और पंजाब हितैषी साबित करने के लिए सडक़ों पर ट्रैक्टर रैलियां करके यह कह रहा है कि हम कैबिनेट मीटिंग में कृषि अध्यादेश बिलों का विरोध किया था, तो वह विरोध वाले मिनट्स जनतक क्यों नहीं करते इनका विरोधी चेहरा उसी समय सामने आ जाएगा। बादल जोड़ी ने कैबिनेट मीटिंग में कृषि बिलों को पास करवाने में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए बिलों का समर्थन किया था और बादलों की जोड़ी ने यह योजना बनाई कि हमेशा की तरह इस बार भी पंजाब के किसानों को गुमराह कर दिया जाएगा, परंतु अफसोस अब पंजाब का किसान और समूह वर्ग इन बादलों की गुमराह करने वाली चालों से पूरी तरह वाकिफ है और अब इनकी चालों में नहीं फसेंगे। 

भगवंत मान ने शिरोमणी अकाली दल को सवाल करते पूछा कि पंजाब भर में किसानों की द्वारा किया जा रहा धरना प्रदर्शन कोई धार्मिक प्रोगराम नहीं है तो फिर शिरोमणी अकाली दल बादल धार्मिक गुरुद्वारों में ही क्यों राजनैतिक मीटिंगें करते हैं, अगर बादलों में हिम्मत है तो यह किसानों में जा कर धरना क्यों नहीं लगाते। 

 भगवंत मान ने कहा कि जो बीते दिन तीनों तख्त साहबानों से रैलियां निकाली गई है और इन रैलियों ने जिस रास्ते से गुजरना था उस रास्ते में एसजीपीसी की ओर से लंगर लगाए जाते हैं क्या एसजीपीसी यह बताएगी कि उसने किसानों की ओर से जहां भी धरने लगाए गए हैं क्या वहां कितनी बार लंगर लगाया है? भगवंत मान ने कहा कि जब भी बादल परिवार पर किसी तरह का संकट आया है तो उस ने धर्म का सहारा लेकर पंजाब की जनता को गुमराह किया है और अब भी वही कर रही है।  

अंत में भगवंत मान ने समूह किसान जत्थेबंदियों से अपील करते कहा कि वह अपने गांवों में ग्राम सभाएं बुला कर इन बिलों के खिलाफ प्रस्ताव पास करें ताकि इन बिलों को वापस करवाया जा सके। इसके साथ ही मान ने ‘आप’ के समूह वलंटियरों और पदाधिकारियों को यह भी संदेश दिया कि वह जहां भी किसानों का कोई संघर्ष हो रहा है, उस संघर्ष में हिस्सा लें और संघर्ष में न तो पार्टी का कोई झंडा ले कर जाएं, न कोई पार्टी निशान और न ही पार्टी के हक में कोई नारा लगाएं बल्कि किसानों के हक में जोरदार एकजुट हो कर इन जालिम सरकारों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें।    

Written By
The Punjab Wire