‘आप’ विधायक संधवां, मीत हेयर और रोड़ी ने रद्द किया पूर्व वित्त मंत्री का मुलाजिमों संबंधी सुझाव
चण्डीगढ़, 18 अप्रैल। आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के विधायक कुलतार सिंह संधवां, मीत हेयर और जै कृष्ण सिंह रोड़ी ने कोरोना संकट के चलते सरकारी मुलाजिमों के वेतन-पैनशनों में कटौती किए जाने के सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है, साथ ही मांग की है कि सरकारी मुलाजिमों के वेतन-पैनशनों में कटौती करने की बजाए बतौर पूर्व विधायक या संसद मैंबर कई पैनशनें ले रहे सभी राजनैतिक नेताओं की 1 से अधिक पैनशनें पक्के तौर पर बंद कर दी जाएं, क्योंकि जहां विधवाएं, बुजुर्ग और अपंग प्रति माह 750 रुपए पैंशन के लिए कई-कई महीने तरसते हैं, जहां टैट, नैट, पीएचडी, एम.बी.बी.एस और इंजीनियरिंग जैसी उच्च और कठिन से पढ़ाई कर लाखों नौजवानों को गुजारे के लायक वेतन भी न मिलता हो, वहीं पूर्व विधायक या संसद के तौर पर प्रति माह कई-कई लाख रुपए पैनशनें किसी भी लिहाज से सही नहीं हैं।
‘आप’ नेताओं ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया पर आर्थिक मंदी का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे हलातों में सरकारों का फर्ज बनता है कि वह अनावश्यक और तरकहीण खर्च को बंद करें। इस की शुरुआत राजनैतिक लोगों को खुद अपने से करनी चाहिए। ‘आप’ विधायकों ने पूर्व वित्तीय मंत्री परमिन्दर सिंह ढींडसा के उस बयान से असहमति जाहिर की, जिस के द्वारा उन्होंने लॉकडाउन के दौरान सरकारी मुलाजिमों के वेतन में 30 प्रतिशत कटौती करने का सुझाव दिया था।
संधवों ने कहा कि हज़ारों की संख्या में मुलाज़ीम सिफऱ् 10,300 रुपए पर बहुत मुश्किल के साथ गुज़ारा करन के लिए मजबूर हैं। उन की जगह कई मौजूदा /पूर्व मंत्री, संसद और विधायक तीन से सात पैनशनें भत्तों समेत ले कर सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ बने हुए हैं। उन की फ़ाल्तू पैनशनें पर काट लगाना चाहिए, क्योंकि यदि एक पैंशन छोड़ कर बाकी पैनशनें बंद की जाएँ तो सूबा सरकार को काफ़ी वित्तीय लाभ मिलेगा, जिस सदका लोगों को काफ़ी राहत दी जा सकती है।