जनगणना का प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया जारी
चंडीगढ़, 7 मार्च: पंजाब सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन.पी.आर.) को अपडेट करने के उद्देश्य के लिए फील्ड स्टाफ को प्रशिक्षण देने की मीडिया रिपोर्टों से स्पष्ट तौर पर इनकार करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर विधानसभा में पास किये प्रस्ताव के विरुद्ध जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। मीडिया रिपोर्टों को रद्द करते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि उपरोक्त प्रशिक्षण जनगणना करवाने सम्बन्धी आम प्रक्रिया का हिस्सा है जो मई-जून में पंजाब में की जानी निर्धारित है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का एन.पी.आर. के साथ कोई लेना-देना नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा कि स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय कुमार ने तो इस सम्बन्ध में हाल ही में हुई वर्कशॉप के मौके पर डिप्टी कमिश्नरों को बकायदा हिदायतें जारी की हुई हैं और डिप्टी कमिश्नरों की मुख्यमंत्री के साथ हुई मीटिंग के मौके पर भी यही आदेश दिए गए थे। उन्होंने कहा कि यहाँ तक कि डिप्टी कमिश्नरों को इस प्रक्रिया में से एन.पी.आर. के प्रशिक्षण के चैप्टर को निकालने की हिदायतें की हुई हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री अनेकों मौकों पर स्पष्ट कर चुके हैं कि पंजाब सरकार हरेक मंच पर पक्षपात वाले नागरिकता संशोधन एक्ट (सी.ए.ए.) के साथ-साथ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एन.आर.सी.) और एन.पी.आर. के विरुद्ध डटकर लड़ाई लड़ेगी। इस स्टैंड के संदर्भ में ही जनवरी महीने में विधानसभा द्वारा प्रस्ताव पास करके एन.पी.आर. को सिरे से खारिज कर दिया गया था।
यह जि़क्रयोग्य है कि प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया था कि राष्ट्रीय नागरकिता रजिस्टर संबंधी आशंका और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर एन.आर.सी. की एक पेशकश है जो लोगों के एक वर्ग को भारतीय नागरकिता से वंचित रखने और सी.ए.ए. लागू करने के लिए बनाया गया है। यह सदन संकल्प करता है कि केंद्र सरकार को एन.पी.आर. से सम्बन्धित फार्मों /दस्तावेज़ों में संशोधन करना चाहिए ताकि लोगों के मन की ऐसी आशंकाओं को दूर किया जा सके और इसके बाद ही एन.पी.आर. के अंतर्गत काम शुरू करे