बाजवा के घर से होकर गुजरेगी अब जिले की राजनिति , वापसी ने फूंकी पुराने कांग्रेसी वर्करों में जान
गुरदासपुर, 31 अगस्त (मनन सैनी) । पंजाब की राजनिति में एक बड़े ब्रेंड की वापसी हुई है, जो और कोई नही बल्कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में अपना लौहा मनवा चुके गुरदासपुर से पूर्व कांग्रेसी प्रधान एवं वर्तमान राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा है। संसद में देश के बड़े से बड़े मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले एवं किसानी आंदोलन के सर्मथन में संसद में लोकतंत्र की हत्या होते देख रुल बुक चेयर की तरफ फैंक सांकेतिक विरोध दर्ज करवाने वाले प्रताप सिंह बाजवा ने ऐलान किया है कि वह अब दोबारा पंजाब तथा अपने जिला गुरदासपुर के लोगों की सेवा करेगें और दोबारा पंजाब की राजनितिक में सक्रिय होगें। 2009 के चुनावों में सिने स्टार विनोद खन्ना को 8342 मतों से हरा कर कांग्रेस का परचम लहराने वाले बाजवा अब 2022 में जिला गुरदासपर से ही चुनाव लड़ेगें। बाजवा के अनुसार वह इस संबंधी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी को अवगत करवा चुके है तथा उनके निवेदन को स्वीकार भी कर लिया गया है। वह जिले के किसी भी हलके से चुनाव लड़ सकते है।
प्रताप सिंह बाजवा जोकि इस वक्त पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन के बेहद करीब हुए है की वापसी से दशकों से माझे की पंजाब में सरदारी की उम्मीद लिए वर्करों एवं लोगों में उम्मीद की किरण देखी जा रही है। बाजवा की वापसी ने जहां कांग्रेसी वर्करों ने नई जान फूंकी है वहीं समर्थकों की ओर से दावा किया जा रहा है कि जिले एवं पंजाब की राजनिति अब बाजवा के घर से होकर गुजरेगीं तथा सत्ता का नया केंद्र अब प्रताप सिंह बाजवा होगें। गन्ना किसानों को भारत में सबसे ज्यादा रेट दिलाने में जहां प्रताप सिंह बाजवा का अहम योगदान रहा वहीं मंगलवार को बटाला में महज चेयरमैनों के रस्मी पद ग्रहन समारोह में शक्ति प्रर्दशन में कांग्रेसी समर्थकों का सैलाब आना कांग्रेस के लिए एक अच्छा शगुन माना जा रहा है।
प्रताप बाजवा की घर वापसी पर जहां सर्मथकों में खासा उत्साह है। वहीं बाजवा परिवार के विरोधी भी कम नही है। हालाकि प्रताप सिंह बाजवा की ओर से कहा गया है कि कांग्रेस में कोई धड़े बंदी नही है तथा सभी कांग्रेसी साथ साथ है। परन्तु नवजोत सिंह सिद्धू को प्रधान बनाने के लिए सबसे ज्यादा जद्दोजहद करने वाले कांग्रेसी लीड़र, कैप्टन अमरेन्द्र सिंह का इस्तीफा मांगने वाला दल ही बाजवा के लिए मुसीबते भी खड़ी कर सकता है इससे कोई दो राय नही है। हालाकि अगामी समय में उंट किस करवट बैठेगा यह कहा नही जा सकता। फिलहाल प्रताप सिंह बाजवा के ऐलान ने पुराने कांग्रेसी वर्करों में नई जान आई है तथा पुराने दिग्गज एकजुट हुए दिखे है।