बादल ने 2013 में अनुबंध खेती अधिनियम लागू करके पंजाब के किसानों को दिया धोखा : हरपाल सिंह चीमा
2017 में एपीएमसी एक्ट में संशोधन कर कैप्टन ने पंजाब के किसानों को कॉरपोरेटों के हाथों बेचा : हरपाल सिंह चीमा
अकाली- भाजपा और कांग्रेस तीनों हैं किसान विरोधी, अब अकाली-कांग्रेस कर रहे ड्रामेबाजी
चंडीगढ़, 6 फरवरी -केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर द्वारा पंजाब सरकार के बारे में संसद में दिए गए बयान पर टिप्पणी करते हुए आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हमेशा पंजाब के किसानों को धोखा दिया और उन्हें गुमराह किया। शनिवार को पार्टी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए चीमा ने कहा कि शुक्रवार को संसद में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा दिए गए बयान के अनुसार, पंजाब की अकाली-बीजेपी सरकार ने सर्वप्रथम 2013 में काले कृषि कानून की शुरुआत की थी। तोमर के बयान ने प्रकाश सिंह बादल की किसानों के प्रति काली नीयत को उजागर किया है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आज वही काम कर रही है जो प्रकाश सिंह बादल की सरकार ने 2013 में किया था। 2013 के अधिनियम के अनुसार, कृषि कानून का उल्लंघन करने पर एक किसान को एक महीने की कैद और न्यूनतम 5000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यही नहीं, अगर किसान फिर से गलती करता है तो सजा और जुर्माना दोनों में बढ़ोतरी हो जाएगी।
चीमा ने कहा कि जब कैप्टन सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब कांग्रेस 2017 में सत्ता में आई थी, तब कैप्टन सरकार ने भी इन कानूनों को 2013 के कानूनों के अनुरूप ही बढ़ाने बढ़ाने का फैसला किया। एपीएमसी एक्ट, 2017 कैप्टन सरकार के दौरान बनाया गया था, जिसमें बादल सरकार के दौरान 2013 में बने कानूनों को आगे बढ़ाया गया। उस समय भी आम आदमी पार्टी विपक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थी और हमने इन कानूनों पर अपना विरोध दर्ज कराया था।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी पहले ही दिन से कह रही थी कि शिअद-भाजपा और कांग्रेस सभी कॉरपोरेट घरानों के लिए काम कर रहे हैं और राज्य के किसानों को धोखा दे रहे हैं। पंजाब के लोगों ने प्रकाश सिंह बादल को पांच बार मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन अब जब मोदी सरकार कृषि पर काले कानून लेकर आई, तो उन्होंने केवल एक बार केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर बात की, उस समय भी उन्होंने तारीफ ही की। उसके बाद प्रकाश सिंह बादल ने किसानों के पक्ष में एक भी शब्द नहीं बोला। बादल की तीखी चुप्पी से पता चलता है कि उनका दिल अभी भी भाजपा के लिए धडक़ रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी ऐसा ही किया, पहले उन्होंने हाई पावर कमेटी के सदस्य होने के बावजूद पंजाब के लोगों को इस काले कानूनों के बारे में अवगत नहीं कराया। फिर कानून बनने के बाद उन्होंने इन कानूनों के लिए मोदी सरकार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला। अब वे किसानों के बड़े हितेषी होने का ढोंग कर रहे हैं।