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आप’ ने सर्वदलीय बैठक में उठाया आंदोलनकारी किसानों को पंजाब पुलिस की सुरक्षा देने का मुद्दा

आप’ ने सर्वदलीय बैठक में उठाया आंदोलनकारी किसानों को पंजाब पुलिस की सुरक्षा देने का मुद्दा
  • PublishedFebruary 2, 2021

किसानों को सुरक्षा प्रदान करने से कैप्टन के इनकार के बाद आप ने किया बैठक का बहिष्कार

कैप्टन किसानों के मुद्दे पर हैं असंवेदनशील – भगवंत मान

आप ने की कैप्टन से प्रधानमंत्री से मिलकर किसानों का मुद्दा उठाने की मांग

चंडीगढ़, 2 फरवरी। आम आदमी पार्टी के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान और विधानसभा में विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा, विधायक अमन अरोड़ा और विधायक गुरमीत सिंह मीत हेअर ने किसान आंदोलन पर पंजाब सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भाग लिया। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी शुरू से ही किसानों के साथ खड़ी रही है और आज की बैठक में भी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने मांग की कि चूंकि दिल्ली पुलिस भाजपा के गुंडों के साथ मिलकर आंदोलनकारी किसानों को शारीरिक नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को किसानों की सुरक्षा के लिए आंदोलन स्थल पर पंजाब पुलिस के जवानों को तैनात करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह किसानों की मांगों के प्रति बेहद असंवेदनशील हैं और वे किसानों की हर मांग को नजरअंदाज कर रहे हैं। कैप्टन की इसी असंवेदलशील रवैये को देखते हुए आम आदमी पार्टी ने आज की सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

बैठक के बाद नेता प्रतिपक्ष हरपाल चीमा ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों की मांगों को कभी गंभीरता से नहीं लिया और न ही किसानों के मुद्दे पर कभी प्रधानमंत्री या गृह मंत्री से मिलने का समय मांगा। मुख्यमंत्री हमेशा हवा में बात करके बच निकलने की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन आज आम आदमी पार्टी ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री से किसानों की मांगों के पर चर्चा के लिए सभी दलों के प्रतिनिधियों की प्रधानमंत्री से मुलाकात की तारीख स्पष्ट करने को कहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसान दिल्ली की सीमा पर असहाय महसूस कर रहे है कि कोई भी हमारे पक्ष में नहीं बोल रहा है। एक तरफ,भाजपा किसानों पर हमला करने के लिए अपने गुंडे भेज रही है। दूसरी तरफ, दिल्ली पुलिस किसानों को डराने के लिए आंदोलनकारी किसानों को ही पकड़ रही है और उनपर झूठे मुकदमें दर्ज कर रही है। आंदोलन में शामिल होने वाले हजारों युवाओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। सैकड़ों युवा अभी तक लापता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार को वहां एक हेल्प डेस्क स्थापित करना चाहिए ताकि लोगों को कोई समस्या हो तो उसे तुरंत सुना जाए। और उस हेल्प डेस्क में सभी दलों के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए।

उन्होंने कहा कि 26 नवंबर, 2020 यानि किसान आंदोलन शुरु होने के बाद से पंजाब के किसानों को काफी नुकसान हुआ है। यह सही है कि किसान आंदोलन राजनीतिक नहीं है, लेकिन इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक हो सकती है। अगर मुख्यमंत्री के परिवार के किसी भी सदस्य के खिलाफ कोई भी जांच खोली जाती है तो वे उसके लिए गृह मंत्री के पास जाते हैं, लेकिन आज किसान आंदोलन में शामिल हजारों लोगों पर मोदी सरकार ने केस दर्ज कर रखे है, लेकिन मुख्यमंत्री कुछ बोल नहीं रहे हैं।

आप नेताओं ने कहा कि 24 जून को हुई पिछली ऑल पार्टी मीटिंग में यह प्रस्ताव रखा गया था कि सभी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेगा, लेकिन मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं किया। अगर वह प्रधानमंत्री से मिलते तो अभी हालात कुछ और होते। अगर काहन सिंह पन्नू की रिपोर्ट पर विचार किया गया होता तो आज परिस्थिति कुछ अलग होती। अगर हाई पावर कमेटी की बैठक के समय लोगों को सूचित किया गया होता, तो उसी समय विरोध करने के लिए लोगों की भीड़ जुट जाती। एक तरफ, मोदी सरकार किसानों को वादा कर रही है कि पराली बिल और बिजली बिल को संसद में पेश नहीं किया जाएगा, लेकिन इस बार संसद में पेश किए जाने वाले बिलों की सूची के अनुसार पुआल बिल नंबर एक पर है और बिजली बिल 29वें नंबर पर है ।

आप नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी सर्वदलीय बैठक में पारित प्रस्ताव में संशोधन करना चाहती थी ताकि इस बात पर ध्यान दिया जाए कि प्रधानमंत्री से एक निश्चित तारीख तक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलने का समय लिया जाए, लेकिन हमारी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसा सिर्फ इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह मोदी-शाह के इशारों पर किसानों की मांगों को ठंडे बस्ते में रखने की कोशिश कर रहे हैं।
 

Written By
The Punjab Wire