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भूपिंदर मान को शीर्ष अदालत द्वारा गठित चार मैंबरीय कमेटी में खेती कानूनों के खिलाफ स्टैंड लेना चाहिए था: शिरोमणी अकाली दल

भूपिंदर मान को शीर्ष अदालत द्वारा गठित चार मैंबरीय कमेटी में खेती कानूनों के खिलाफ स्टैंड लेना चाहिए था: शिरोमणी अकाली दल
  • PublishedJanuary 14, 2021

कहा कि हैरानी की बात है कि अशोक गुलाटी ने पंजाब सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञों के ग्रूप के सदस्य होने के बावजूद कमेटी की सदस्यता ली

चंडीगढ़/14जनवरी: शिरोमणी अकाली दल ने आज कहा कि कृषि विशेषज्ञ भूपिंदर सिंह मान को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई चार मैंबरीय कमेटी में वह केस को कमजोर करने की बजाय जोकि केंद्र के पहले ही पक्ष में है तथा खेती कानूनों का समर्थन करने की बजाय जो पहले ही केंद्र के समर्थन में है पंजाब तथा पंजाबियों के समर्थन में अपना स्टैंड लेना चाहिए था ।

शिरोमणी अकाली दल खेती विशेषज्ञों के बारे तथा कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथी अशोक गुलाटी से चार मैंबरीय कमेटी की सदस्यता खुलेआम स्वीकार करके तथा तीन खेती कानूनों का समर्थन करने के लिए तथा उनके द्वारा 1991 का भारतीय खेती का इतिहास कहने के लिए फटकार लगाई है।

यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए शिरोमणी अकाली दल के नेता महेशइंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि पंजाबियों ने अशोक गुलाटी द्वारा दिए गए विश्वासघात ने हैरान कर दिया है जिन्होने इस तथ्य के बावजूद चार सदस्यीय कमेटी की सदस्यता स्वीकार कर ली था कि वह पहले मोंटेक सिंह आहलूवालिया की अध्यक्षता में पिछले साल पंजाब सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञों के समूह के सदस्य थे।

इस बारे में अन्य जानकारी देते हुए सरदार महेशइंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि श्री मान का पत्र कमेटी से खुद को दूर रखने का इस बात का सबूत है कि बाद में पंजाब सरकार के साथ साथ केंद्र पर कृषि कानूनों के पक्ष में फैसला आने का भारी दबाव था। यही कारण है कि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कमेटी से खुद पीछे हट रहे हैं क्योंकि उन्होने पंजाब के हितों से समझौता नही किया है। यह स्पष्ट है कि श्री मान की अंतरआत्मा उन्हे बता रही है कि वह अपने पंजाबी भाईयों को किसी भी तरह का धोखा नही देना चाहिए। हालांकि ऐसा करने की बजाय उन्हे विशेषज्ञ पैनल के माध्यम से जबरन जनविरोधी कानून लागू करने की इस साजिश के खिलाफ लड़ना चाहिए था।

अकाली नेता ने कहा कि श्री मान के अपने को बचाने के लिए लिखे पत्र ने कमेटी के कांग्रेस तथा भाजपा के गठजोड़ को सबके लिए उजागर कर दिया है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि किसानों के आंदोलन को कौन नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञ पैनल ने विशेष रूप से इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए विश्वसनीयता खो दी है क्योंकि किसान संगठनों ने उनके साथ बातचीत करने से इंकार कर दिया है।उन्हे कमेटी को छोड़ देना चाहिए।

Written By
The Punjab Wire