अकालियों को भाजपा के साथ संबंधों संबंधी अपना स्टैंड स्पष्ट करने के लिए कहा
चंडीगढ़, 26 दिसंबर: राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर अकालियों द्वारा दोहरा मापदंड अपनाने की सख्त आलोचना करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अकाली दल को भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देने के स्टैंड को स्पष्ट करने के लिए कहा है जिसके साथ वह केंद्र सरकार में हिस्सेदार है।
इन संवेदनशील मुद्दों पर लोगों को गुमराह किये जाने के लिए अकालियों पर बरसते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अकाली दल ने संसद में सत्ताधारी एन.डी.ए. द्वारा पेश किये नागरिकता संशोधन एक्ट की हिमायत की परन्तु अब इस कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मुद्दों पर विरोधाभासी बयानबाज़ी की जा रही है। नागरिकता संशोधन कानून में मुसलमानों को शामिल करने की माँग संबंधी अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल और राज्य सभा मैंबर नरेश गुजराल द्वारा हाल ही में दिए बयानों के संदर्भ में सख्त प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे भलीभांत स्पष्ट हो जाता है कि इस मसले पर अकाली दोहरी खेल खेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बात भी सिद्ध हो गई कि सी.ए.ए. और एन.आर.सी. के बाद पैदा हुए सार्वजनिक रोष के मद्देनजऱ अकाली नेताओं ने अपने पहले स्टैंड से अब पैर पीछे खींचने का फ़ैसला ले लिया है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ कि भाजपा के साथ अपने रिश्तों के सम्बन्ध में अकालियों ने दोहरा मापदंड अपनाया हो। इसी अकाली दल ने हरियाणा की विधान सभा चुनाव में एक तरफ़ तो एन.डी.ए. के साथ अपना नाता कायम रखा और दूसरी तरफ़ ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि यहाँ तक कि हरियाणा में अकाली दल इनैलो के साथ खड़ा था जबकि दूसरी तरफ़ पंजाब में भाजपा का हिस्सेदार बना हुआ था जहाँ इसी समय दौरान ही कुछ हलकों में उप-चुनाव हो रहे थे।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि अब अकाली दल को एन.डी.ए. के साथ अपना गठजोड़ रखने संबंधी स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोग यह जानना चाहते हैं कि क्या अकाली भारतीय संविधान के नैतिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाने वाले मुद्दों समेत भाजपा की विभाजनकारी और कठोर विचारधारा का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि लोग अकाली दल के दोहरे किरदार और भ्रामक बयानबाज़ी के साथ मूर्ख नहीं बनना चाहते।
उन्होंने कहा कि ऐसे विरोधाभासी स्टैंड और बयानों ने इस सच्चाई से पर्दा उठा दिया है कि अकालियों को सिफऱ् अपने संकुचित राजनैतिक हितों को आगे बढ़ाने से ही सरोकार है और राष्ट्रीय महत्ता वाले किसी भी मुद्दे पर इनका कोई वैचारिक स्टैंड नहीं है।