कहा कि प्रधानमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करें तथा भारतीय कपास निगम को निर्देश दें कि वह कपास की रोजाना खरीद की सीमा खत्म करे
कहा कि यदि यह नही किया गया तो किसानों को निजी कंपनियों को सस्तें में फसलें बेचने पर मजबूर किया जाएगा
चंडीगढ़/27दिसंबर: पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने आज पंजाब में किसानों का शक पहले ही सच होता प्रतीत हो रहा है जिसके चलते काॅटन कारॅपोरेशरन आॅफ इंडिया (सीसीआई) ने कपास की प्रतिदिन खरीद की सीमा खत्म करे तथा इसकी खरीद चार गुना की कमी के कारण प्रभावित हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीसीआई के कार्यों पर ध्यान देने के लिए कहते हुए हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि ‘भले ही आपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जारी रखने के बारे बार बार ब्यान दिया हो, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सुनिश्चित सरकारी खरीद के बारे में कुछ भी निर्देश करने में आपकी असमर्थता पहले से ही सरकारी विभागों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीसीआई पिछले वर्ष के कार्यक्रम के अनुसार भी फाहा खरीदने को तैयार नही है तथा पंजाब के सात जिलों में मंडियों में रोजाना 50हजार क्विंटल कपास की प्रतिदिन आवक के मुकाबले 12,500 क्विंटल की खरीद की घोषणा करके कपास उगाने वाले किसानों को निजी कंपनियों की दया पर छोड़ रहा है।
प्रधानमंत्री से सीधी बातचीत के लिए कहते हुए सरदारनी बादल ने कहा कि ‘एमएसपी प्रणाली के तहत सूचीबद्ध सभी खेती उत्पादों की सरकारी खरीद की गारंटी देने के लिए आपके द्वारा एक स्पष्ट कटौती निर्देश जारी किए जाने की आवश्यकता है। यह समय की मांग है क्योंकि सीसीआई जैसा सरकारी विभाग भी, जिसके पास न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास खरीदने का आदेशपत्र है अपनी जिम्मेदारी त्याग रहा है। यदि सीसीआई ऐसा कर सकता है, तो किसान निजी कंपनियों से क्या उम्मीद कर सकते हैं? सरदारनी बादल ने प्रधानमंत्री से कहा कि वे कानून लांए जिससे निजी कंपनियों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दरों पर किसान उपज की खरीद करना अनिवार्य हो। ‘ ऐसा हो सकता है लेकिन इसके सफल होने के लिए प्रधानमंत्री को उन बिचैलियों की छटनी करनी होगी जिन्होने किसान के साथ बातचीत में गड़बड़ी की। शिरोमणी अकाली दल ने पहले भी यह अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि इसमें 40 लोगों की जान पहले ही जा चुकी है।
मालवा क्षेत्र में सीसीआई द्वारा कपास की खरीद के बारे में बोलते हुए सरदारनी बादल ने कहा कि भले की कपास की आवक बढ़ गई है, लेकिन सीसीआई ने घोषणा की थी कि वह 22 खरीद केंद्रों में केवल 12,500 क्विंटल प्रतिदिन की खरीद को प्रतिबंधित कर देगी। उन्होने कहा कि इससे न केवल मंडियों में अधिक भीड़ होगी तथा किसान अपनी उपज को पहले खरीदने के लिए एक दूसरे के होड़ करने में लगे हुए हैं, बल्कि निजी कंपनियों में भी इस तरह कपास की फसल की बिक्री का भी अंत होगा। सीसीआई द्वारा तय किए गए मौजूदा शेडयूल के अनुसार खरीद सीजन अगले सितंबर तक बढ़ेगा। छोटे किसान न तो अपनी उपज का भंडारण कर सकते हैं न ही इतने लंबे समय तक इसका इंतजार कर सकते हैं। वे निजी कंपनियों को सस्ते में बेचने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
बठिंडा, अबोहर, मानसा तथा मौड़ की प्रमुख मंडियों में स्थिति पहले से ही अनिश्चित बताते हुए सरदारनी बादल ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वे हस्तक्षेप करें तथा सीसीआई को अपने मनमाने आदेशों को तुरंत वापिस लें तथा राज्य भर की मंडियों में पहुंचने वाली कपास की खरीद करें। उन्होने कहा कि यदि ऐसा नही किया गया तो राज्य के कपास उत्पादकों के साथ साथ न्याय सुनिश्चित करने के लिए आंदोलन शुरू किया जाएगा।