कहा कि रंधावा ने एसीएस और रजिस्ट्रार,सहकारी समितियों की आपित्तयों को खारिज कर अज्ञात कपंनी का पक्ष लिया, जिसका उत्पाद आईआरडीए ने भी मंजूर नही किया था
सीवीसी के दिशा-निर्देश तथा राज्य के आम वित्त-नियम 2017 का भी पालन नही किया गया
चंडीगढ़/06जुलाईः पूर्व मंत्री सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने आज कहा कि सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के खिलाफ सभी नियमों को तोड़कर भ्रष्टाचार में लिप्त होने और अधिकारियों की आपत्तियों को दरकिनार करके मृत्यु जीवन बीमा कंपनी को अनुबंध देने तथा कोविड-19 महामारी में विभागीय कर्मचारियों को एकल बोली के माध्यम से मृत्यु कवरेज प्रदान करने के लिए ठेका दिया गया है इसके लिए आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। उन्होने यह भी दावा किया कि इस घोटाले के माध्यम से राज्य के खजाने को हुए नुकसान की वसूली सहकारिता मंत्री से की जाए।
यहां एक पत्रकारों को संबोधित करते हुए सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि इस पूरे मामले की पूरी आपराधिक फाइल मीडिया को जारी करके पूरे घोटाले को उजागर कर दिया गया है। उन्होने कहा कि उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतो से साबित हो गया है कि भ्रष्टाचार का खुला मामला है। उन्होने खुद को पकड़े जाने से बचाने के लिए सुखजिंदर सिंह रंधावा द्वारा कहे गए झूठ को भी उजागर किया।
अकाली नेता ने कहा कि इस मामले में रिश्वत मिलने के संकेतों को सूचीबद्ध करते हुए कहा कि निविदा प्रक्रिया ने केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) के दिशा-निर्देशों का पालन नही किया गया। उन्होने कहा कि पंजाब सरकार के जनरल वित नियम 2017 में कहा गया है कि किसी भी स्रोत से खरीद तभी की जा सकती है जब केवल विशेष फर्म ही सेवाएं देने के लिए ही उपलब्ध है। उन्होने कहा कि रंधावा ने इस तथ्य की अनदेखी की कि केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार ने महामारी में ड्यूटी के दौरान अपने अग्रिम पक्ंित के यौद्धाओं के परिजनों मुआवजा देने के निर्देश जारी किए थे। उन्होने कहा कि गो डिजिट को ठेका दिए जाने से तीन दिन पहले 8मई को इस संदर्भ में एक पत्र भी जारी किया गया था।
सहकारिता मंत्री की साजिश का खुलासा करते हुए सरदार मजीठिया ने कहा कि उन्होने अपनी ही बोली कमेटी की आपत्तियों को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि चूंकि यह एक ही बोली का मामला है, इसीलिए इसे फिर से निविदा दी जानी चाहिए। उन्होने कहा कि रंधावा ने एक दूसरी आपत्ति को भी खारिज कर दिया जिसके मानदंडों के अनुसार ई-टेंडर से मंगाने की सिफारिश की गई थी और एक संदिग्ध ई-मेलिंग प्रक्रिया को निविदा दस्तावेज द्वारा प्राप्त करने की अनुमति दी गई थी। उन्होने कहा कि मंत्री ने रजिस्ट्रार, सहकारिता की आपत्ति को भी खारिज कर दिया जिन्होने कहा कि टेंडर फिर से किया जाना चाहिए क्योंकि किसी अन्य कंपनी की दरों से कोई तुलना नही की जा सकती है।
सरदार मजीठिया ने गो डिजिट के बारे अधिक जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी अनुबंध के लिए अयोग्य थी, क्योंकि जैसा की आवश्यक था यह आईआरडीए के साथ तीन साल की अवधि के लिए पंजीकृत नही था। उन्होने कहा कि पंजाब सरकार को जो कंपनी ऑफर की गई थी उसके प्रोडक्ट को आईआरडीए ने मंजूरी नही दी । उन्होने कहा कि जहां तक कंपनी की आर्थिक स्थिति का सवाल है तो उसने पिछले साल स्वास्थ्य क्षेत्र में 36 करोड़ रूपए का कारोबार किया था। उन्होने कहा कि एलआईसी ने टेंडर के लिए आवेदन भी किया था लेकिन पिछले साल
1.77 लाख करोड़ रूपए का कारोबार करने के बावजूद इसपर विचार नही किया गया।
सरदार मजीठिया ने कहा कि सहकारिता विभाग ने अनुबंधित कर्मचारियों सहित 14,605 कर्मचारियों को डेथ कवरेज प्रदान किया था, जिसपर विभाग ने आपत्ति भी जताई थी। उन्होने कहा कि पॉलिसी इस तरह से बनाई गई की बीमार होने का कवरेज न मिल सके। उन्होने कहा कि कोरोना मामलों में साथ ही अन्य बीमारी होना आम सी बात है इस तथ्य को अनदेखा करना नीति धारकों के हितों के खिलाफ था।
इस अवसर पर विधायक कंवरजीत सिंह बरकंदी और कार्यालय सचिव चरनजीत सिंह बराड़ उपस्थित थे।