दिल्ली की बिजली दरों के ढांचे को रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों की जेब भरने के लिए संगठित लूट बताया
दिल्ली के नागरिक पंजाब की अपेक्षा बिजली के लिए औसतन अधिक कीमत कर रहे हैं अदा
चंडीगढ़, 5 जुलाईः राष्ट्रीय राजधानी में किसानों को मुफ़्त बिजली देने में नाकाम रहने पर दिल्ली में अपने समकक्ष को आड़े हाथों लेते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव पर नज़र रखकर पंजाब में मुफ़्त बिजली देने के झूठे वादे करने के लिए अरविन्द केजरीवाल की कड़ी आलोचना की है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केजरीवाल सरकार सभी मोर्चों पर दिल्ली के लोगों के प्रति पूरी तरह विफल साबित हुई है और राष्ट्रीय राजधानी में स्थित गाँवों के किसानों को न मुफ़्त बिजली मिलती है बल्कि उद्योग के लिए बिजली दरें भी बहुत ज़्यादा हैं। उन्होंने ऐलान किया कि पंजाब के लोग हर क्षेत्र में शासन के दिल्ली मॉडल को पहले ही नकार चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली की बिजली दरों को केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार की संगठित लूट करार देते हुए कहा कि दिल्ली की सरकार ने बिजली का वितरण करने वाली रिलायंस जैसी प्राईवेट कंपनियों को आम आदमी की कीमत पर अधिक दरें वसूल कर अपनी जेब भरने के लिए खुलेआम इजाज़त दी हुई है।
केजरीवाल की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार औद्योगिक बिजली के लिए 9.80 रुपए यूनिट वसूल कर रही है जबकि पंजाब में कांग्रेस सरकार पंजाब में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए पाँच रुपए यूनिट की सब्सिडी दर के मुताबिक वसूल की जा रही है और इसी सब्सिडी के परिणामस्वरूप् बीते साल चार सालों में जमीनी स्तर पर 85,000 करोड़ की लागत का निवेश के लिए रास्ता साफ हुआ। उन्होंने कहा कि 2226 करोड़ रुपए की सालाना सब्सिडी पर पंजाब में 1,43,812 औद्योगिक इकाईयोंं को इस समय पर सब्सिडी के मुताबिक बिजली दी जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में उनकी सरकार 13,79,217 किसानों को 6735 करोड़ रुपए की मुफ्त बिजली मुहैया करवा रही है जबकि दूसरी तरफ दिल्ली में आप की सरकार ने किसान भाईचारे को ऐसी मदद देने के लिए कोई भी यत्न नहीं किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले केजरीवाल सरकार ने तीन खेती विरोधी कानूनों में से एक कानून नोटीफायी किया और अब आम आदमी पार्टी पंजाब के किसानों के हमदर्द होने का बहाना कर रही है।
दिल्ली की जन विरोधी बिजली दरों का पर्दाफाश करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि दिल्ली सरकार घरेलू बिजली 200 यूनिट मुफ्त देकर एक तरफ जेब में थोड़ी रकम डाल रही है और दुकानदारों, उद्योगों और किसानों से कमर्शियल और कृषि बिजली की अधिक कीमतें लगा कर दूसरी तरफ जेब में से बड़ी रकम वसूल कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार छोटे दुकानदारों और अन्य कमर्शियल संस्थाओं को बिजली 11.34 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बेच रही है जो कि पंजाब की कीमतों से 50 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने कहा कि वास्तव में दिल्ली का हर निवासी पंजाब के निवासियों के मुकाबले अप्रत्यक्ष तौर पर बिजली के लिए अधिक रकम अदा कर रहा है।
दो राज्यों में दी जाती बिजली सब्सिडियों की तुलना करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार बिजली सब्सिडी पर सालाना 10458 करोड़ रुपए खर्च रही है जब कि केजरीवाल सरकार 2820 करोड़ रुपए खर्च करती है। पंजाब की 3 करोड़ जनसंख्या के मुकाबले दिल्ली की जनसंख्या सिर्फ 2 करोड़ है। इस हिसाब से पंजाब में औसतन बिजली सब्सिडी प्रति व्यक्ति 3486 रुपए हैं जब कि दिल्ली में प्रति व्यक्ति 1410 रुपए दी जाती है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि पंजाब सरकार की तरफ से दी जाती 10458 करोड़ रुपए की सब्सिडी कुल राजस्व का 2.24 प्रतिशत है जब कि दिल्ली सरकार की तरफ से दी जाती 2820 करोड़ रुपए की सब्सिडी कुल राजस्व का सिर्फ 1.03 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उपभोक्ताओं को बिजली की बिक्री के द्वारा इकठ्ठा होते राजस्व के प्रसंग में देखा जाये तो स्थिति और भी बुरी हो जाती है। साल 2020-21 में पी.एस.पी.एस.एल. ने 46,713 मेगावाट बिजली बेची जब कि दिल्ली में डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने 27,436 मेगावाट बिजली बेची। पंजाब में बिजली को बेच कर कुल 29,903 करोड़ रुपए राजस्व इकट्ठा हुआ जब कि दिल्ली में 20,556 करोड़ रुपए राजस्व इकट्ठा हुआ। इसी तरह पंजाब में औसतन प्रति यूनिट बिजली की कीमत 6.40 रुपए है जब कि दिल्ली में यही 7.49 रुपए है।