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हम अनजान नहीं हैं -कैप्टन अमरिन्दर सिंह

हम अनजान नहीं हैं -कैप्टन अमरिन्दर सिंह
  • PublishedJanuary 3, 2020

सी.ए.ए. संबंधी केरल विधान सभा द्वारा पास किये प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी का मुख्यमंत्री ने दिया जवाब

केंद्रीय कानून मंत्री के सी.ए.ए. के समर्थन में उतरने पर ली चुटकी

केंद्र सरकार को आवाम की आवाज़ सुनने की अपील, सी.ए.ए. से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे संबंधी जताई चिंता 

चंडीगढ़, 3 जनवरी:पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केरल विधान सभा द्वारा विवादास्पद नागिरकता संशोधन एक्ट (सी.ए.ए.) में संशोधन करने की माँग को लेकर पास किये प्रस्ताव के हक में उतरते हुए इस प्रस्ताव को आवाम की आवाज़ करार दिया है और केंद्र सरकार को यह आवाज़ सुनने की अपील की है।मुख्यमंत्री ने यह बात केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री द्वारा इस मुद्दे पर दिए बयान के संदर्भ में कही।

कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद को लिखे खुले पत्र में मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री के उस बयान पर आपत्ति जताई है जिसमें उन्होंने कहा था कि जो राज्य सी.ए.ए. का विरोध कर रहे हैं, उन राज्यों के राजनीतिज्ञों को ऐसा स्टैंड लेने से पहले उचित कानूनी सलाह लेनी चाहिए।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि राज्यों ने अपेक्षित कानूनी सलाह पहले ही ली हुई है और केरल विधान सभा के प्रस्ताव के साथ लोगों ने अपने चुने हुए नुमायंदों के द्वारा अपनी सूझ-बूझ और इरादों को प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे विधायक लोक आवाज़ की नुमायंदगी करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह सिर्फ संसदीय अधिकारों का मुद्दा नहीं है बल्कि ऐसे विचारों को दर्शाना वहाँ के नुमायंदों का संवैधानिक फर्ज होता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जि़म्मेदार राज्य सरकारों के प्रमुख होने के नाते हम न तो अनजान हैं और न ही गुमराह हुए हैं। उन्होंने कहा कि नागरिकों पर कानून जबरदस्ती नहीं थोपे जा सकते और सभी शक्तियों की तरह संसदीय शक्ति की ड्यूटी भी इसको जि़म्मेदारी के साथ निभाने की है।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि धारा 245 अधीन नागरिकता से सम्बन्धित कानून पास करने की कानूनी शक्ति सिफऱ् संसद के पास है न कि राज्यों के पास जबकि केंद्रीय कानून मंत्री ने केरल विधान सभा द्वारा पास किये प्रस्ताव में इस नुक्ते को दरकिनार कर दिया कि विधान सभा ने कोई नागरिता कानून पास नहीं किया बल्कि भारत सरकार को संसद में सी.ए.ए. में संशोधन करने की अपील की है जहाँ उसके पास बहुमत है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर कानून मंत्री और एक वकील होने के नाते आप जानते होंगे कि यह प्रस्ताव सही दिशा में है जबकि ऐसे कानून के आधार पर भारत सरकार द्वारा पेश प्रस्ताव/बिल में संशोधन या रद्द संसद ने ही करना होता है।कानून मंत्री की तरफ से ऐसे कानून लागू करने के लिए राज्यों को उनके ‘संवैधानिक फर्ज’ याद करवाने बारे की गई टिप्पणी पर चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन राज्यों के नेताओं ने अपने चुनाव जीते हैं और भारतीय संविधान के अंतर्गत पद की शपथ ली है।

संविधान की प्रस्तावना की तरफ मंत्री का ध्यान दिलाते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने याद करवाया कि वह (रवि शंकर प्रसाद) एक वकील हैं और उनको ‘धर्म निरपेक्ष’ शब्द बारे पता होना चाहिए जो 42वें संवैधानिक संशोधन एक्ट -1976 द्वारा प्रस्तावना में विशेष तौर पर शामिल किये तीन शब्दों में से एक है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के ताने-बाने के लिए धर्मनिरपेक्ष आचरण की ज़रूरत है और मंत्री भी वास्तव में राज्यों को संविधान के मूल सिद्धांत का पालन करने के लिए कह रहे हैं।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केंद्रीय मंत्री बार -बार इस बात से इन्कार कर रहे हैं कि सी.ए.ए. किसी भी सूरत में भारतीय मुसलमानों को प्रभावित नहीं करेगा जो एक सार्वजनिक/राजनैतिक स्टैंड है और आपको पद के दायरे में से निकलने के लिए मजबूर करता है।मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यकीनी तौर पर एक वकील होने के नाते आप चल रही बहस से वाकिफ़ हो कि सी.ए.ए. भारतीय संविधान की अनुच्छेद 14 की कसौटी पर खरा नहीं उतरा क्योंकि यह अनुच्छेद सभी लोगों को उनके धर्म का लिहाज़ किये बिना कानून के सामने समान और एक ही सी सुरक्षा की गारंटी देता है।

मुख्यमंत्री ने युगांडा देश जहाँ ईदी अमीन की सत्ता के दौरान हिंदुओं को वहाँ से निकाल दिया गया था, की मिसाल देते हुए कहा कि यदि सी.ए.ए. धार्मिक उत्पीडऩ से सुरक्षा मुहैया करवाता है तो फिर यह सुरक्षा सभी देशों से धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ जुड़े हरेक व्यक्ति को मुहैया करवानी चाहिए जहाँ लोगों को धार्मिक उत्पीडऩ का सामना करना पड़ सकता है।पंजाब को संवेदनशील सरहदी राज्य बताते हुए मुख्यमंत्री ने सी.ए.ए. के सम्बन्ध में एक और गंभीर चिंता प्रकट की। उन्होंने कहा कि एक्ट की भाषा के मुताबिक, ‘‘यह लाजि़मी है कि कोई अवैध प्रवासी जो इसका लाभ लेना चाहता है वह किसी भी सूरत में भारतीय मूल का ही हो। वह पाकिस्तान, बंग्लादेश या अफगानिस्तान से हो।

उन्होंने आगे कहा कि यह लोग इन देशों में से अस्थायी तौर पर निकलने वाले, निवासी या नागरिक हो सकते हैं।कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपने पत्र में कहा कि क्योंकि सी.ए.ए. के मुताबिक भारतीय मूल के होने के तौर पर या ऐसे मूल को सिद्ध करने की ज़रूरत नहीं है अर्थात छह धर्मों के साथ जुड़ा कोई भी व्यक्ति संशोधित कानून के अनुसार आवेदन कर सकता है और निश्चित तारीख़ पर या पहले सिद्ध करने पर नागिरकता के लिए योग्य होगा। इससे हमारे देश विशेषकर सरहदी राज्यों में घुसपैठ करने के लिए इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है जिससे यह कानून राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा करने का ज़रिया बन जायेगा।

राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एन.आर.सी.) के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा की जा रही परस्पर विरोधी बयानबाज़ी का जि़क्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे किसी तरह भरोसा पैदा नहीं होता। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि जब यह सी.ए.ए. के साथ पढ़ा जाता है तो यह बहुत से भारतीय मुसलमानों को स्वयं ही नागरिकता के हक से वंचित कर देगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह डर है कि राजनैतिक उद्देश्यों के लिए रातो-रात कानून को तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है जिस कारण हमारे देश के सही सोच वाले नागरिकों के मन में पैदा हुए डर जायज हैं।’’

Written By
The Punjab Wire