पंजाब सरकार ने एक दैनिक अखबार में छपी ख़बर का गंभीर नोटिस लिया, भ्रामक, आधारहीन और ग़ैर-संजीदा करार

fake news

हिंदी अखबार की तरफ से छापी गई तस्वीरों वाले दोनों मरीज़ जीवित और स्वस्थ

सुखदेव सिंह को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है जबकि किरनदीप कौर उपचाराधीन है -अस्पताल प्रशासन द्वारा कानूनी विकल्प पर विचार

चंडीगढ़, 7 अगस्त। पंजाब सरकार ने एक हिंदी अखबार की तरफ से दो तस्वीरें छाप कर, एक की लाश को 12 घंटे से फ़र्श पर पड़ी होने और दूसरे व्यक्ति के घंटों तक तड़पते रहने संबंधी लगाई ख़बर को भ्रामम, बिना-आधार एवं ग़ैरसंजीदा और तथ्यों से रहित करार देते हुये इसका गंभीर नोटिस लिया है। पंजाब सरकार के अधिकारित प्रवक्ता ने आज यहाँ बताया कि यह बहुत ही अफ़सोसजनक बरताव है, जोकि पत्रकारिता के उच्च आदर्शों और नैतिकता का घान है जिसके लिए अपेक्षित कानूनी कार्यवाही करने पर विचार किया जा रहा है।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि पत्रकार ने जीते व्यक्ति को मरा करार देकर और दूसरे मरीज़ संबंधी ज़मीनी हकीकतों को दरकिनार करते हुये ग़ैर संजीदा पत्रकारिता का सबूत दिया है, जिससे दो इंसानी जानें और उनके परिवारों के लिए सामाजिक तौर पर बड़ी मुश्किल और बेचैनी पैदा कर दी है।

तस्वीर में दिखाऐ गए दोनों व्यक्तियों के जीते जागते होने की पुष्टि करते हुये कोविड केयर सैंटर इंचार्ज और मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान के अतिरिक्त सचिव श्रीमती सुरभी मलिक और मैडीकल सुपरडैंट डा. पारस कुमार पांडव ने बताया कि इनमें से एक बुज़ुर्ग सुखदेव सिंह जोकि 7वीं मंजिल पर शक्की मरीज़ों के लिए बनाऐ वार्ड में दाखि़ल थे, को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है और वह अपने घर ठीक -ठाक हैं, जिसकी पुष्टि उसके पुत्र लाभ सिंह ने भी की है। उन्होंने कहा कि मरीज़ की कमज़ोरी या किसी अन्य कारण से गिरने की घटना को जाँचे बिना ही उछाल देना मानक पत्रकारिता का हिस्सा नहीं कहा जा सकता।

दूसरे मरीज़ किरनदीप कौर, जिसको कि फोटो में रणजीत कौर बताकर उसकी लाश 12 घंटे फर्श पर पड़ी रहने का दावा किया गया है, संबंधी जानकारी देते हुये एम.एस. डा. पांडव ने बताया कि यह महिला मिर्गी के दौरों की बीमारी से पीडि़त है और अब एमरजैंसी के मैडिसन वार्ड में इलाज अधीन है।

इस महिला के पति सन्दीप सिंह का कहना है कि उसने अपनी पत्नी को बुख़ार रहने के कारण यहाँ लाया था, जहाँ उसे कोरोना शक्की मरीज़ों के वार्ड में रखने के बाद टैस्ट नेगेटिव आने पर यहाँ तबदील कर दिया गया। उसने बताया कि उसकी पत्नी दिनों-दिन स्वस्थ्य हो रही है। उसका कहना है कि हो सकता है कि किसी दौरे या अन्य कारण से कोविड शक्की वार्ड में उसकी पत्नी अचानक बिस्तरे से गिरी हो परन्तु जिस तरह अखबार में इसको लाश लिखा गया है, वह बिल्कुल गलत है।

दोनों अधिकारियों ने कहा कि किसी मरीज़ के गिरने की घटना को सनसनीखेज़ बनाते हुए लाश के साथ तुलना कर देना बहुत ही मन्दभागा है। कोविड केयर इंचार्ज सुरभी मलिक ने कहा कि पत्रकारिता का पेशा बहुत ही जिम्मेंदारी वाला होता है, इसको इस तरह सनसनी भरपूर बनाने बहुत ही अफ़सोसजनक बरताव है। उन्होंने कहा कि पत्रकार का फर्ज बनता था कि किसी जीवित व्यक्ति को मुर्दा कह कर ख़बर या तस्वीर छापने से पहले उसके परिवार से भी पुष्टि कर ली जाती।

उन्होंने इन फ़र्श पर गिरे मरीज़ों की तस्वीरें खींचने वालों की घटिया मानसिकता पर सवाल करते हुए कहा कि किसी बीमार व्यक्ति को संभालने की बजाय, उसकी तस्वीरें खींच कर सनसनी फैलाने से बड़ा मानवीय संवेदना से रहित कोई जुर्म नहीं हो सकता।
मैडीकल सुपरिडैंट का कहना है कि सरकारी राजिन्द्रा अस्पताल एकमात्र ऐसा अस्पताल है जो पंजाब के साथ-साथ हरियाणा से आने वाले मरीज़ों को भी संभाल रहा है। उन्होंने कहा कि दौरे वाला मरीज़ के बेहोश होकर गिरने के मामले को मृतक के साथ तुलना करना सबसे बड़ा अपराध है।

डिप्टी कमिश्नर कुमार अमित ने समूचे मामले पर हैरानी प्रकट करते हुए कहा कि जि़ला प्रशासन की तरफ से बार -बार अफ़वाहें न फैलाने की अपीलों की यदि समाज के जि़म्मेदार समझे जाते एक वर्ग से सम्बन्धित कर्मी द्वारा ही उल्लंघन करके, अफ़वाहों को फैलाने की हरकत की जायेगी तो हम समाज के बाकी लोगों को क्या संदेश देंगे।

अमित कुमार ने कहा कि जि़ला प्रशासन इस सम्बन्धी बनती कार्यवाही करेगा जिससे लोगों में सनसनी पैदा करने को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि वह ख़ुद रोज़ाना कोविड मरीज़ों की स्थिति का जायज़ा लेते हैं और राजिन्द्रा अस्पताल का दौरा भी करते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड के इस माहौल में किसी स्वास्थ्य संस्था को इस तरह बदनाम करना किसी भी पक्ष से सही नहीं है।

Exit mobile version