जंग के माहिरों ने कश्मीर समस्या से निपटने के लिए सभी हिस्सेदारों को एकजुट होने की की अपील

कहा, कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों को सुलझाने के लिए केवल जंग ही नहीं है अकेला रास्ता

चंडीगढ़,13 दिसंबर:कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए सेना के दख़ल को अकेला रास्ता माने जाने के विचार को रद्द करते हुए युद्ध माहिरों ने आज सभी हिस्सदारों खासकर स्थानीय निवासियों को इसके स्थायी हल को यकीनी बनाने के लिए आगे आने की माँग की।आज यहाँ एमएलऐ के पहले दिन यहाँ पैनल विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हुए सेना के पूर्व प्रमुख श्री एएस दुलत ने ‘कश्मीर में तालिबान और आईएसआई’ के मुद्दे पर हैरान कर देने वाला खुलासा करते हुए कहा कि भारत के ज़्यादातर लोग कश्मीर की असली समस्या की ज़मीनी हकीकत से अवगत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर मसला केवल सैन्य मसला नहीं है और अकेली सेना ही इस समस्या का हल नहीं कर सकती।कश्मीर की समस्या इतनी जटिल कैसे हो गई और कश्मीर से तनाव और दहशत को दूर करने के संभव हल क्या हैं। उन्होंने कहा कि हालाँकि सेना लम्बे समय से कश्मीर में ज़मीनी कब्ज़ा कर रही है और स्थिति में कई गुणा सुधार भी हुआ है परन्तु फिर भी कश्मीर समस्या का असली हल सेना द्वारा नहीं किया जा सकता। आतंकवाद के अलावा कश्मीर में भावुक और सामाजिक दृष्टिकोण भी हैं जिनको ध्यान में रखा जाना बेहद ज़रूरी है।श्री दुलत ने इशारा करते हुए कहा कि युद्ध के साधनों में काफ़ी तबदीली आई है, यही अमरीका था जिसने पहले कश्मीर में भी विश्व भर के आतंकवादी समूहों का समर्थन किया था, वह अलगाववादियों को आज़ादी संग्रामी कहता था। उन्होंने कहा कि 9/11 के बाद अमरीका का पक्ष बदल गया। तब अमरीकीयों ने मानवता के चेहरे में हुए आतंकवाद के कारण पैदा हुए असली खतरे को महसूस किया। इसके बाद अमरीका ने आंतकवाद के विरुद्ध जंग छेड़ दी और रातों रात आज़ादी संग्रामी आतंकवादी बन गए।इससे पहले संचालक लैफ्टिनैंट जनरल अता हुसैनन द्वारा मानवता को लहु- लुहान कर रहे आतंकवाद के अलग- अलग रूपों के नीचे पनपते खतरों पर विचार-विमर्श की शुरुआत की गई थी। उन्होंने यह पूछते हुए दर्शकों की उत्सुकता बढ़ा दी कि आईएसआई का पूरा नाम क्या है जो आज के विचार-विमर्श का मुख्य एजेंडा था।उन्होंने विस्तार सहित कहा कि किसी को आईएसआईको आईएसआईएस के साथ उलझाना नहीं चाहिए क्योंकि कश्मीर में आईएसआई का पूरा नाम इस्लामिक स्टेट है। कश्मीर में काम कर रहे स्थानीय आतंकवादी भारतीय राज्य की प्रभुसत्ता के लिए बड़ा ख़तरा खड़ा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में हम आतंकवादियों के साथ संक्रमित लड़ाई लड़ रहे हैं जो रिवायती युद्ध के बिल्कुल उलट है। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड युद्ध सरकार की सहायता से लड़ा जाता है और हमें आतंकवादी ग्रुपों को समर्थन देने वाले सभी चैनलों से लोगों के भावनात्मक समर्थन और वित्त सुविधाओं को बंद करना पड़ेगा। परन्तु रिवायती जंग सेना द्वारा लड़ी जाती है।दूसरे पैनल के मैंबर श्री आरके कौशिक आई.ए.एस. ने विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हुए कहा कि सालों के इतिहास ने हमारे पड़ोसी देशों की ज़मीनी हकीकत जैसे उनकी रक्षा, अंातरिक शान्ति, वित्तीय और सुरक्षा को गहराई से नियंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि आईएसआईएस की मौजुदगी से इन्कार नहीं किया जा सकता, उनके पास कश्मीर में स्रोत हैं और हमारे नौजवानों को इस लड़ाई में आतंकवादियों के विरुद्ध संगठित करने के लिए हमें उनके लिए उद्योगिकीकरण के द्वारा बड़ी संख्या में रोजग़ार पैदा करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में देखा है कि 10000 नौजवान बीएसएफ और कश्मीर पुलिस में भर्ती के लिए आए थे।

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