श्रम कानून में की गई मजदूर विरोधी संशोधन के विरुद्ध केंद्र व राज्य सरकारों के खिलाफ रोष प्रर्दशन

गुरदासपुर। भारत की ट्रेड यूनियनज के आहवान पर केंद्र की मोदी सरकार व विभिन्न राज्यों की सरकारों द्वारा श्रम कानूनों में की जा रही मजदूर विरोधी व राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को मजदूरों ने डीसी कार्यालय के बाहर रोष प्रदर्शन किया। 

इस दौरान प्रदेश उप प्रधान कामरेड रमेश राणा, जिला प्रधान जोगिंदरपाल पनियाड़ व जिला नेता संसार सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा कोरोना से किए लाकडाऊन का सबसे अधिक नुक्सान मजदूरों को हुआ है। सरकार द्वारा दी गई राहत महज कुछ सीमित लोगों को ही मिल सकी है। कई रजिस्टर्ड कर्मियों के खातों में अभी तक कोई पैसा नहीं आया है। इस संबंधी कई बार बोर्ड को लिखित दिया जा चुका है, मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने मांग की है कि श्रम कानूनों में की गई मजदूरों विरोधी संशोधन वापिस ली जाए।

श्रम कानूनों में कोई भी संशोधन करने से पहले ट्रेड यूनियनज के प्रतिनिधियों से बैठक की जाए। प्रवासी मजदूर कानून 1979 को मजबूत किया जाए। लाकडाऊन से विभिन्न राज्यों से एक दूसरे राज्य से घर वापिस जाने वाले मजदूरों के लिए योग्य व मुफ्त सफर का प्रबंध किया जाए। घर वापिस जा रहे वर्करों पर अत्याचार बंद किया जाए। कोविड-19 का पूरा इलाज किया जाए। बजट का दस फीसदी सेहत के लिए खर्चा जाए। सभी प्राइवेट अस्पताल को सरकारी कंट्रोल में लिया जाए। शगुन स्कीम के लिए बोर्ड द्वारा मांगा जा रहा रजिस्टर्ड मेरिज सर्टिफिकेट की शर्त खत्म की जाए।

सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बंद किया जाए। सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा कोरोना के खिलाफ जंग में शानदार रोल निभाने से सबक लेते हुए सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत किया जाए। उसारी मजदूरों के खाते में दस हजार रुपए डाले जाए। उसारी श्रमिकों की मांगों/समस्याओं के शीघ्र निवारण के लिए ब्लाक स्तर पर श्रम भलाई कार्यालय खोले जाए। इस दौरान कार्यालय सचिव जोगिंदरपाल घुराला, सुखदेव राज बहरामपुर व मुखतियार सिंह ने कहा कि यदि मांगे स्वीकार न की गई तो आगामी दिनों में संघर्ष को और तेज किया जाएगा। इस मौके पर भुपिंदर पप्पी, कमल किशोर, मंगा, टोनी, सोहन लाल, गोपाल, पवन कुमार, फकीर चंद, सरवन राएपुर, सुरिंदर कुमार रामनगर आदि उपस्थित थे। 

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