कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर धान के लिए 2902 रुपए प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ पराली जलाने की समस्या के हल के लिए रियायती बोनस की माँग

Capt Amrinder Singh

चंडीगढ़, 8 मई: कोरोनावायरस संकट के दरमियान मज़दूरों की कमी के कारण पेश आ रही चुनौतियों और खाद्य सुरक्षा को यकीनी बनाने की ज़रूरत का हवाला देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धान के लिए 2902 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ पराली जलाने को रोकने के लिए 100 रुपए प्रति क्विंटल रियायती बोनस के तौर पर देने संबंधी विचार करने की अपील की है।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना के अनुमानों के मुताबिक राज्य सरकार धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2902 रुपए प्रति क्विंटल निश्चित करने की सिफ़ारिश करने संबंधी केंद्रीय कृषि मंत्रालय को पहले ही लिख चुके हैं जो पिछले वर्ष 1835 रुपए प्रति क्विंटल था। समर्थन मूल्य के साथ-साथ बोनस देने के लिए प्रधानमंत्री के निजी दख़ल की माँग करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘मौजूदा महामारी के समय खाद्य सुरक्षा को यकीनी बनाने की ज़रूरत को पूरा करने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का एलान करके किसानों को उचित कीमत का संकेत दिया जा सकता है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक दूरी के स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय और लॉकडाउन की चुनौतियों के बावजूद पंजाब, देश की सेवा में गेहूँ की खऱीद के निश्चित लक्ष्य को पूरा करने की तरफ सफलता से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि गेहूँ की कटाई के उपरांत राज्य में धान की बिजाई भी जून के मध्य में शुरू होनी निर्धारित है और राज्य में मज़दूरों की कमी के कारण इसको थोड़े समय पहले करने की ज़रूरत पड़ सकती है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं लग रहा कि कोविड के चलते उत्तर प्रदेश और बिहार के राज्यों से धान की बिजाई के सीजन के लिए ज़्यादा कामगार आऐंगे। उन्होंने कहा कि इससे धान की बिजाई के आ रहे सीजन के दौरान कृषि के कामकाज के लिए किसानों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और इसके साथ श्रम की कीमतें भी ज़्यादा बढ़ेंगी।

मुख्यमंत्री ने धान की पराली और अवशेष को न जलाने के लिए किसानों को प्रति क्विंटल 100 रुपए बोनस दिए जाने को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे किसान जहाँ पराली की संभाल के ख़र्च से बच सकेंगे, वहीं इससे पराली को जलाए जाने से रोका जा सकेगा। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री द्वारा सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों का हवाला देते हुए केंद्र और राज्यों को धान की पराली की समस्या के हल के लिए वित्तीय रियायती ढांचा बनाने के लिए कहा। मुख्यमंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा कि ऐसी रियायत को फ़सल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ प्राथमिकता से घोषित किया जाना चाहिए, जिससे जहाँ किसान इसके प्रबंधन के लिए तैयार रहेंगे, वहीं राज्य को इसको मुकम्मल रूप में अमल में लाने में आसानी रहेगी। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि बोनस किसानों को वातावरण के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कृषि गतिविधियों को रचनात्मक रूप में चलाने और रचनात्मक प्रवृत्ति सृजन करने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायता करेगा। 

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