भाई राजोआणा पर गृहमंत्री के बयान ने सिखों को गहरी ठेस पहुंचाई-सुखबीर बादल

कहा कि 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर अपनाए क्षमादान को यथार्थ में नही अपनाया

मुख्यमंत्री से पूछा कि उसने सिख कैदियों की सजाएं माफ करवाने के लिए केंद्र को भेजी सूची में भाई राजोआणा का नाम क्यों शामिल नही किया?

चंडीगढ़/03दिसंबर। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह की ओर से दिया बयान कि भाई बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सजा माफ नही की गई है, ने सिखों को गहरी ठेस पहुंचाई है, जोकि यह मानकर बैठे थे कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर भाई राजोआणा की फांसी की सजा उमरकैद में तबदील की जा चुकी है।
यहां एक प्रेस बयान जारी करते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि आज हमें बहुत गहरा धक्का लगा है। जब पिछले महीने अखबारों में यह खुलासा करने वाले बयान छपे थे कि भाई राजोआणा की फांसी की सजा माफ कर दी गई है तब हमने सोचा था कि हम अतीत से बाहर आ गए हैं। पर आज के बयान ने सभी को बहुत बड़ा झटका दिया है। उन्होने कहा कि लागों में यह  भावना घर कर गई है कि सिखों को इंसाफ नही दिया गया है तथा 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर अपनाई दया की भावना को वास्तव में लागू नही किया गया है।
सरदार बादल ने कहा कि अकाली दल इस मामले को ‘मानवीय दृष्टिकोण’ से देखने के हक में है तथा यह बात अपने अलग अलग प्रतिनिधियों द्वारा केंद्र सरकार तक पहुंचा चुका है। उन्होने कहा कि हम महसूस करते हैं कि यह केस माफी का हकदार है, क्योंकि भाई राजोआणा बिना पैरोल के 23 से ज्यादा साल जेल में काट चुके हैं। इसके अलावा बेअंत सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा किए अत्याचारों के खिलाफ भड़की भावनाओं का भी एक मुद्दा है, जब सरकार द्वारा की अंधाधुध दहशतगर्दी के दौरान हजारों सिख नौजवानों का कत्ल कर दिया गया था। उन्होने कहा कि इसके साथ ही अकाली दल सैद्धांतिक तौर पर भी मौत की सजा के खिलाफ है तथा इस मुद्दे पर केंद्र सरकार तथा देश के राष्ट्रपति से भी मिल चुका है।

यह टिप्पणी करते हुए कि अकाली दल भाई राजोआणा को राहत सुनिश्चित कराने की अपनी लड़ाई जारी रखेगा, अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही केंद्रीय गृहमंत्री से मिलेगा तथा उन्हे सिखों की भावनाओं से अवगत करवाएगा तथा अनुरोध करेगा कि भाई राजोआणा की मौत की सजा माफ कर दी जाए। उन्होने कहा कि पंजाब विधानसभा भी यही भावना रखती है, जो कि इस संबधी सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी पास कर चुकी है, जिसका बेअंत सिंह के पोते गुरकीरत सिंह कोटली द्वारा भी समर्थन किया जा चुका है।

अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर दोहरा खेल खेला है, जिससे उसने केंद्र के फैसले को भी प्रभावित किया है। उन्होने कहा कि पंजाब सरकार ने तैयार की उन सिख कैदियों की सूची में भाई राजोआणा का नाम नही डाला था, जो सजाएं पूरी करने के बाद जेलों में सड़ रहे हैं। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि उसने सजा माफी के लिए भाई राजोआणा के नाम की सिफारिश क्यों नही की?

सरदार बादल ने कहा कि कांग्रेस सरकार की सिख विरोधी मानसिकता इस तथ्य से दिखाई देती है कि उसने उन चार कातिल पुलिस अधिकारियों की सजा माफ करवाने में बेहद शीघ्रता दिखाई थी, जिन्होेने शीघ्र पदोन्नित लेने के लिए 1993 में एक बेकसूर सिख नौजवान का अपहरण करके झूठे पुलिस मुकाबले में मार दिया था। उन्होने कहा कि कातिल पुलिस अधिकारियों के प्रति ऐसी मेहरबानी दिखाने की मांग करने वाली परिस्थितियां न होने के बावजूद भी यह सब किया गया था। उन्होने कहा कि इस तथ्य के बावजूद पीड़ित परिवार को दोषियों को सजा दिलवाने में 18 साल लगे थे, इन पुलिस अधिकारियों के प्रति ऐसी उदारता दिखाई गई तथा उन्होने बड़ी मुश्किल से दो साल की सजा काटी थी, जब उन्हे माफी दे दी गई।

यह टिप्पणी करते हुए कि अकाली दल इन सभी तथ्यों को गृहमंत्री के सामने रखेगा तथा भाई राजोआणा को राहत से वंचित करने में कांग्रेस सरकार की इस फरेबी भूमिका का भी पर्दाफाश करेगा, अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि सिखों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जोकि अतीत के बहते घावों को बंद करना चाहते हैं, पार्टी को पूरी आशा है कि भाई राजोआणा की मौत की सजा माफ हो जाएगी। उन्होने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सिखों के घावों पर मरहम रखेगी तथा एक मानवतावादी कदम के तौर पर भाई राजोआणा की सजा माफ कर देगी।


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