कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से पंजाब में 550 करोड़ रुपए की लागत से नया वायरोलौजी सैंटर स्थापित करने का प्रस्ताव पेश

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मुख्यमंत्री ने प्रधान मंत्री को लिखा पत्र, सैंटर के लिए मुफ़्त ज़मीन देने की पेशकश

चंडीगढ़, 10 अप्रैल:पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज केंद्र सरकार को राज्य में ‘एडवांस्ड सैंटर फॉर वायरोलौजी ’ (विषाणु -विज्ञान का केंद्र) की स्थापना के लिए 550 करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट का प्रस्ताव पेश किया है जिसके लिए राज्य सरकार ने मुफ़्त ज़मीन देने की भी पेशकश की है।

मुख्यमंत्री ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर अपील की कि वह प्रस्तावित केंद्र की स्थापना के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण को निर्देश देें जो कोविड -19 महामारी से निपटने के लिए विषाणु -विज्ञान, जांच, अनुसंधान और इलाज के अध्ययन में क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और सांसारिक ज़रूरतों के हल पर केंद्रित होगा।देश को पेश अनिर्धारित संकट का जि़क्र करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बताया कि इस वायरस के रोग की अचानक हुई शुरुआत और सिफऱ् दो महीनों में इसके महामारी के रूप में इसने विषाणु विज्ञान के क्षेत्र में गहरे अनुसंधान के लिए सरकार के अधिक संसाधन जुटाने की ज़रूरत की तरफ ध्यान खिंचा है।

उन्होंने बताया कि इस समय पर पुणे में स्थित नेशनल इंस्टीच्युूट ऑफ वायरोलौजी (एन.आई.वी.) ही देश में एकमात्र संस्था है जो ऐसी संकटकालीन स्थिति में अच्छे तालमेल वाला मैडीकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया प्रदान करने के समर्थ है। मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि आज के हलात में जब विश्व ‘सार्स कोव -19 ’ (कोविड -19) की छूत के साथ जकड़ा हो तो वायरस की जांच और अनुसंधान के तौर पर क्षेत्रीय लैबारटरी के तौर पर एडवांस्ड सैंटर फॉर डायगनौस्टिक वायरोलौजी एंड रिर्सच की अधिक ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि वायरस के कारण बार-बार महामारी निरंतर ख़तरा बन जाती है और हमारे लिए भविष्य की संभावनाएं तलाशने के लिए तैयार होना लाजि़मी है जिससे ज़रुरी एहतियादी कदम उठाए जा सकें।

उन्होंने कहा कि पंजाब में केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव इस दिशा में अगला कदम सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने विशेष केंद्र न्यू चंडीगढ़ में मैडीसिटी में स्थापित करने का प्रस्ताव पेश किया है जो चंडीगढ़ में अंतरराष्ट्रीय हवाई संपर्क सेवा होने के कारण उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के हितों की पूर्ति कर सकेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस केंद्र को असानी से ही पी.जी.आई. के तहत विकसित जा सकता है जो प्रस्तावित मैडीसिटी केवल 7-8 किलोमीटर दूर स्थित है।

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