साहित्य से जोडऩे के लिए सहकारी सोसाइटियों में मिन्नी पुस्तकालय बनाए जाएंगे-रंधावा

सहकारिता मंत्री रंधावा और प्रिंसिपल सरवण सिंह द्वारा ‘एह जो शमशेर संधू ’ पुस्तक का लोकार्पण

चंडीगढ़, 29 नवम्बर। पंजाब के सहकारिता और जेल मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा की ओर से पंजाबी साहित्य, संगीत, सभ्याचार और पत्रकारिता क्षेत्र की नामवर शख्सियत शमशेर संधू के जीवन के विभिन्न पहलूओं पर प्रकाश डालती पुस्तक ‘एह जो शमशेर संधू ’ शुक्रवार को लोकार्पण की गई। विमोचन समागम के मुख्य मेहमान स. रंधावा, समागम की अध्यक्षता कर रहे प्रिंसिपल सरवण सिंह, शमशेर संधू, पुस्तक के संपादक कंवलजीत, निन्दर घुगियाणवी और दिलशेर सिंह चन्देल द्वारा यह पुस्तक रिलीज़ की गई।

पंजाब कला परिषद के सहयोग से अदबी पंजाबी पंचायत रोज़ गार्डन द्वारा पंजाब कला भवन का आंगण यह समागम उस समय पर प्रभावशाली बन गया जब पुस्तक लोकार्पण के समागम ने साहित्यक, पत्रकारिता, गायकी, गीतकारी और फि़ल्म जगत संबंधी रखे गए अनमोल विचारों और गहरी चर्चा स्वरूप सैमीनार का रूप धारण कर लिया।सहकारिता और जेल मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने अपने संबोधन में कहा कि पंजाब की तरक्की के लिए साहित्यक लहर खड़ी करने की ज़रूरत है। राजनैतिक लोगों को किताबें पढऩी सबसे ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि हर बच्चे के हाथ में पुस्तक होनी चाहिए। स्कूली बच्चों के लिए स्कूली और पंचायत भवन की पुस्तकालय को संवारने की ज़रूरत है।

रंधावा ने ऐलान किया कि सहकारिता सप्ताह के दौरान एक दिन साहित्य को समर्पित होगा जिस दिन साहित्यक सैमीनार, गोष्टियां, कवि दरबार करवाया जायेगा। उन्होंने कहा कि 3000 सहकारी सोसाइटियों में पुस्तकें पहुँचा कर वहाँ मिन्नी पुस्तकालय बनाए जाएंगे।उन्होंने संधू के गीतों संबंधी निजी जज़्बात साझे करते हुए कहा कि जब उनकी माता के देहांत के बाद एक दिन शमशेर संधू के लिखे गीत ‘पेके हुंदे मावां नाल’ सुन कर उनकी बहनें रोने लग गई। उस दिन के बाद उन्होंने अपनी बहनों के भाई नहीं बल्कि माँ बनकर रिश्ता निभाया।

समागम की अध्यक्षता कर रहे प्रिंसिपल सरवण सिंह ने बोलते हुए शमशेर संधू के जीवन पर नवीन बातें करते हुए उसे गीतकारी का माहिर बताया। उन्होंने कहा संधू चाहे प्रसिद्ध गीतकार है परंतु उसकी तरफ से मूलभूत दौर में लिखी गई कहानियों के कारण वह समर्थ कहानीकारों में अग्रणी कतार में आता है।

मंच संचालन करते हुए निन्दर घुगियाणवी ने बताया कि चेतना प्रकाशन द्वारा छापी यह पुस्तक शमशेर संधू को जानने वाले हर छोटी-बड़ी उम्र के साहित्यक, सांस्कृतिक, पत्रकारिता, फि़ल्मी, संगीत की दुनिया के साथ जुड़े सज्जनों द्वारा लिखे लेखों का संग्रह है।

इस पुस्तक के द्वारा शमशेर संधू के बचपन से लेकर हर पक्ष संबंधी जानकारी मिलेगी जिसमें विद्यार्थी जीवन में साहित्यक रुचियों की तरफ झुकाव, जवानी के समय पर इंकलाबी शायर के पाश, सुरजीत पातर, प्रसिद्ध गीतकार और गायक दीदार संधू, जगदेव सिंह जस्सोवाल, प्रिंसिपल सरवण सिंह, गुरभजन गिल के साथ दोस्ती की यादें, जवानी में लिखी गईं चर्चित कहानियाँ, सिख नेशनल कॉलेज बंगा की प्रोफ़ैसरी से पंजाबी ट्रिब्यून की पत्रकारिता की तरफ जाना, कबड्डी और कुश्ती खिलाडिय़ों संबंधी लिखे लेख और फिर सुरजीत बिन्दरखिया के साथ जोड़ी बनाकर संगीत की दुनिया तक छा जाने तक के किस्से इस किताब को पढऩे योग्य बनाते हैं।

इससे पहले अदबी पंचायत रोज़ गार्डन के सरपरस्त दिलशेर सिंह चन्देल ने स्वागत करते हुए कहा कि हमारे लिए गर्व वाली बात है कि पंचायत बनने के बाद यह पहला समागम है जिसमें यह अहम पुस्तक लोकार्पण की गई। नवदीप सिंह गिल ने शमशेर संधू के जीवन के विभिन्न पहलूओं पर प्रकाश डालते हुए उनको उत्कृष्ट सख्शियत बताया। मलकीत सिंह औजला ने बोलते हुए शमशेर संधू और सुरजीत बिन्दरखिया के बीच साझ संबंधी काव्य के में जानकारी दी।

इस पुस्तक में गुलज़ार संधू, स.प. सिंह, प्रिंसिपल सरवण सिंह, गुरदयाल सिंह बल, हंस राज हंस, पम्मी बाई, विजय टंडन, निन्दर घुगियाणवी, सनाउल्ला घुम्मण, देव थरीकियां वाला, गज्जणवाला सुखमिन्दर, जसबीर गुणाचौरिया, अमरजीत गुरदासपुरी, जगतार सिंह सिद्धू, हरबंस हीओं, हरिन्दर काका, अतै सिंह, जोगा सिंह दुसांझ, करमजीत सिंह, रणजीत राही, नवदीप सिंह गिल द्वारा शमशेर संधू संबंधी लिखे लेख शामिल हैं। पुस्तक में शमशेर संधू के बचपन से अब तक के जीवन पर प्रकाश डालती रंगीन और ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें भी पुस्तक की शान हैं।इस समागम में सीनियर पत्रकार सुरिन्दर तेज, डा सुखदेव सिरसा, डा. सरबजीत, हरजीत सिंह नागरा, सतीश घुलाटी, सुखमिन्दर गज्जणवाला, मास्टर जौगा सिंह, गीतकार जगदेव मान आदि उपस्थित थे।

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