डी.जी.पी. लगने के इच्छुक मोहम्मद मुस्तफा को सुप्रीम कोर्ट ने न दी राहत

Mohammad .Dinkar Gupta

अब 26 फरवरी को हाईकोर्ट में ही होगी अगली सुनवाई

चंडीगढ़, 7 फरवरी:सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिनकर गुप्ता की नियुक्ति के विरुद्ध सी.ए.टी. के हुक्म पर रोक लगाने वाले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फ़ैसले के खि़लाफ़ स्पैशल लीन पटीशन (एस.एल.पी.) को रद्द करते हुए पंजाब के डीजीपी लगने के इच्छुक मोहम्मद मुस्तफा को राहत देने से इंकार कर दिया। यह मुस्तफा के लिए एक बड़ा झटका है, जिसके अंतर्गत हाईकोर्ट ने 21 जनवरी, 2020 के अपने हुक्म में दिनकर गुप्ता को डी.जी.पी., पुलिस, पंजाब नियुक्त करने संबंधी कैट (केंद्रीय प्रशासकीय ट्रिब्यूनल) के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने यू.पी.एस.सी. द्वारा राज्य को भेजे नामों के पैनल में से दिनकर गुप्ता को अपना डीजीपी नियुक्त किया था।सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दी अंतरिम स्टे के विरुद्ध एस.एल.पी. में दख़ल देने से इंकार के बाद मुस्तफा के वकील पी.एस. पटवालिया ने पटीशन वापस लेना सही समझा जिससे हाईकोर्ट की तरफ से इस मामले की सुनवाई पहले तय समय के अंतर्गत 26 फरवरी, 2020 को करने सम्बन्धी रास्ता साफ हो सके।इससे पहले पटवालिया द्वारा दी गई दलीलों के जवाब में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस अबुल नज़ीर के बैंच ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का आदेश एक अंतरिम आदेश था और इस मामले की अगली सुनवाई अब 26 फरवरी, 2020 को हाईकोर्ट में होनी बाकी है।

मुस्तफा के वकील की तरफ से दी गई दलील कि पंजाब राज्य इस मामले में देरी करने की कोशिश करेगा, को ख़ारिज करते हुए अटर्नी जनरल ऑफ इंडिया के.के. वेनुगोपाल और एडवोकेट जनरल पंजाब अतुल नन्दा ने स्पष्ट किया कि पंजाब राज्य इस मामले को हाईकोर्ट में लड़ेगा और इस पर बहस करेगा।

अपनी पटीशन में मुस्तफा ने मुख्य तौर पर हाईकोर्ट द्वारा कैट के फ़ैसले के विरुद्ध की गई अपील की सुनवाई में दी गई लम्बी तारीख पर सवाल उठाए थे। उसकी पटीशन में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि वह फरवरी 2021 में सेवामुक्त होने वाला है और प्रकाश सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के अनुसार डीजीपी के तौर पर चुने जाने वाले उम्मीदवार का न्युनतम बचा हुआ कार्यकाल 6 महीनों का होना चाहिए और वह सेवामुक्ति के निकट नहीं होना चाहिए।

एसएलपी में स्पष्ट किया गया है कि अगर विवाद जारी रहने दिया जाता है और पटीशनकर्ता के चयन को अगस्त 2020 तक विचारा नहीं जाता तो ट्रिब्यूनल के समक्ष सफल होने के बावजूद भी पटीशनकर्ता पूरी चयन प्रक्रिया से बाहर रह जायेगा क्योंकि डीजीपी के पद पर तैनाती सम्बन्धी विचारे जाने के लिए 6 महीनों का कार्यकाल ज़रूरी होता है।

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