केन्द्रीय बजट लंबाई में तो काबिल-ए-तारीफ, पर अंदर से खोखला: मनप्रीत बादल

Manpreet Badal

कन्द्रीय वित्त मंत्री के जीडीपी के 10 प्रतिशत रहने के अनुमान को हास्यप्रद बताया

चंडीगढ़, 01 फरवरी:पंजाब के वित्त और योजना मंत्री स. मनप्रीत सिंह बादल ने कहा है कि केंद्रीय बजट अपनी लंबाई में तो काबिल-ए-तारीफ़ है परन्तु अंदर से पूरी तरह खोखला है।    उन्होंने बजट में दिखाए गए आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा जीडीपी का 10 प्रतिशत तक बढ़ जाने के अनुमान को हास्यप्रद बताया है जबकि सभी स्थितियां इसके विरुद्ध हैं। यहाँ यह भी बताना ज़रूरी है कि इंटरनेशनल मोनेटरी फंड के अनुसार भारत की अगले साल की जीडीपी 4.8 प्रतिशत तक ही जा सकती है।   

आर्थव्यवस्था चार व्यापक मापदण्डों पर काम करती है – निजी खपत, सरकारी खर्च, निर्यात और कॉर्पोरेट निवेश। उपभोक्ताओं के खर्चों में कमी आई है जिसको आटोमोबाइल, एफ एम सी जी, रीयल एस्टेट और परचून क्षेत्र में भी देखा जा रहा है। लगातार पाँच महीनों से निर्यात में भी कमी आई है और सरकार के रवैए से इसकी स्थिति और खऱाब होगी।

वित्त मंत्री द्वारा पिछले साल कॉर्पोरेट कर में कमी करने के बावजूद भी कॉर्पोरेट निवेश में कोई विस्तार नहीं हुआ और वित्तीय घाटे के कारण सरकारी खर्चों को भी सीमित किया गया है जोकि मंत्री द्वारा खुद माना गया है कि पहले इसके 3.2 फीसदी होने के अनुमान लगाए गए थे कि जोकि 3.8 फीसदी हो गया है।

उन्होंने कहा है कि यह एनडीए सरकार की पिछले सालों में किये गए बुरे प्रबंधों का नतीजा है कि आर्थिक विकास से सम्बन्धित चारों क्षेत्रों में गिरावट आई है।यह कहते हुए मुझे बुरा लग रहा है कि भारत एक मुद्रास्फीतिजनित मंदी की ओर बढ़ रहा है। हमें इस बजट से रचनात्मक सुधारों की उम्मीद थी परन्तु इसमें हमें केवल प्रधानमंत्री की शान में पड़े हुए कसीदे ही दिखाई देते हैं। इस तरह के वित्तीय घाटे के स्तर से मुझे उम्मीद है कि जल्द ही अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा भी भारत की क्रेडिट रेटिंग घटेगी।

उन्होंने कहा कि वह विशेष तौर पर इसलिए परेशान हैं क्योंकि भारत के नौजवानों के लिए रोजग़ार पैदा करने के लिए किसी भी स्कीम का जि़क्र तक नहीं किया गया। ‘‘कुछ साल पहले प्रधानमंत्री पकौड़े तलने की बात कर रहे थे और अब उनके आर्थिक प्रबंधक थालीनोमिक्स नामक विचित्र और हास्यप्रद अवधारणा के साथ सामने आए हैं।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में इस तरह के तथ्य घिनौने लगते हैं जब भारत रोजग़ार के संकट से गुजऱ रहा है जिसमें लगभग 10 प्रतिशत बेरोजग़ारी है।-

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