जिला गुरदासपुर के विभाजन पर मंत्री अरुणा चौधरी का स्टैंड, ठीक नही होगा गुरदासपुर जिले का विभाजन, कहा 2021 की जनगणना का करना चाहिए इंतजार

कहा पॉलिटिकल नहीं प्रेक्टीकल तरीके से सोचने की जरुरत, बटाला को उपर उठाने के लिए कई अन्य तरीके

गुरदासपुर, 12 सितंबर (मनन सैनी)। जिला गुरदासपुर के विभाजन को लेकर चल रही संभावनाओं और राजनितिक खींचतान के चलते मंत्री अरुणा चौधरी जोकि दीनानगर हलके से संबंधित है ने अपना रुख बेहद नपे तुले शब्दों में साफ किया है। उनका कहा है कि वह बटाला को जिला बनाने के विरोध में नही है परन्तु जिला गुरदासपुर का विभाजन करना ठीक नही है। अगर बटाला को जिला बनाना ही है तो हमें 2021 की जनगणना का इंतजार करना चाहिए और पाॅलिटिकल नहीं प्रेक्टीकल तरीके से सोचना चाहिए। अरुणा चौधरी ने कहा कि बटाला को उपर उठाने के कई अन्य तरीके भी है। चौधरी ने कहा कि पहले ही पठानकोट जिला बनने से जिला गुरदासपुर को बेहद नुकसान हुआ है। कैबिनेट मंत्री अरुणा चौधरी रविवार को पत्रकारों के साथ बातचीत कर रही थी।

इतिहास संबंधी जानकारी देते हुए मंत्री चौधरी ने कहा कि आजादी से पहले चार तहसीलों को मिलाकर गुरदासपुर जिला बनाया गया था। जब देश का बंटवारा हुआ था तब जिले में तीन ही तहसील ही रह गई थी, जबकि 2011 में तहसील पठानकोट को जिला बना देने से जिला गुरदासपुर के अधीन अब बटाला और गुरदासपुर तहसील रह गए हैं। समय के साथ-साथ जिला गुरदासपुर के टुकड़े होते गए और अब बटाला को जिला बनाने की मांग उठने लगी है। उन्होंने कहा कि बटाला क्षेत्र इतिहास से भरपूर होने के कारण जिला गुरदासपुर की विशेष पहचान रखता है। मगर सरकार को चाहिए कि दस साल के बाद होने वाली 2021 में जनगणना के बाद ही कोई फैसला लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि जिला गुरदासपुर का एक बार फिर से टुकड़ा किया जाता है तो इससे जिला का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वे बटाला को जिला बनाने के विरोध में नहीं हैं, परंतु नया जिला बनाने के लिए कोई क्राइटेरिया होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई समय था, जब बटाले को इंडस्ट्री के नाम से जाना जाता था। वहां पर दूर-दराज से लोग आए करते थे, मगर आतंकवाद के समय बहुत से लोग वहां से शिफ्ट कर गए और इंडस्ट्री पूरी तरह से खत्म हो गई।

बटाला को विकसित करने संबंधी अन्य विकल्प बताते हुए अरुणा चौधरी ने कहा कि हमें ऐसे कदम उठाने चाहिए कि बटाला की इंडस्ट्री पुन: अपने पैरों पर खड़ी हो सके और लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो सके। वहीं बटाला के पुरातन इतिहास से संबंधित इमारतों को ऐतिहासिक हेरिटेज के रुप में विकसित करना चाहिए। इसके बाद ही बटाला को जिला बनाने पर विचार करना चाहिए।

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